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पैसों की तंगी के कारण शुरू की 1500 रुपए की नौकरी, आज करोड़ों रुपए की कंपनी के मालिक है शेख आसिफ

दुनिया में बड़ी पहचान बनाने के लिए कई संघर्षो का सामना करना पड़ता है। मुश्किलें पार करके जो बड़ा मुकाम हासिल कर ले ऐसे ही इंसान को पद्मश्री जैसे अवार्ड से नवाजा जाता है। आज हम बात करने जा रहे हैं जम्मू-कश्मीर के डिजिटल मार्केटर शेख आसिफ की जिनका नाम देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री पुरस्कार 2022 के लिए नॉमिटेड कर दिया गया है। बता दें, शेख आसिफ न सिर्फ एक बिजनेसमैन है बल्कि वह बेहतरीन लेखक भी है।

इसके साथ ही वह एक शिक्षक के रूप में कई लोगों को फ्री में पढ़ाते हैं। आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि शेख आसिफ कभी 1500 की नौकरी किया करते थे लेकिन आज वह करीब 2.5 करोड़ रुपए की कंपनी के मालिक है। आइए जानते हैं शेख आसिफ की कहानी

digital marketer sheikh asif

गरीब परिवार में पैदा हुए शेख आसिफ को इस मुकाम तक आने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आसिफ का जन्म जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के बटमालू में हुआ। इनके पिता एक हेड कांस्टेबल थे लेकिन वह अक्सर बीमार रहा करते थे। ऐसे में आसिफ की मां ने ही सारा परिवार संभाला और आसिफ को भी पढ़ाया।

लेकिन एक समय पर घर की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि आसिफ को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इतना ही नहीं बल्कि आसिफ के परिवार पर कर्जा भी था। वहीं उनके पिता ने बेटा अच्छी पढ़ाई कर सके इसलिए उन्हें कंप्यूटर भी कर्जे पर दिलवाया था।

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आसिफ के मुताबिक, साल 2008 में उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद कश्मीर में ही उन्होंने करीब 6 साल तक एक प्राइवेट कंपनी में डाटा एंट्री के रूप में काम किया। इस नौकरी से आसिफ को मात्र 1500 रुपए मिलते थे जिससे वह अपने घर की जरूरतों को पूरा करते थे। इसी दौरान शेख आसिफ ने कंप्यूटर में अधिक ज्ञान लेना शुरू कर दिया।

उन्होंने खुद बताया कि, “मैंने कंप्यूटर के क्षेत्र में ज्यादा जानकारी हासिल करना शुरू कर दिया। मैं खुद से सीखने का प्रयास करने लगा।” शेख ने बताया कि वह अमेरिकी बिजनेसमैन और माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक बिल गेट्स से काफी प्रभावित है और उन्हीं की तरह सफल बनना चाहते हैं, ऐसे में उन्होंने बिजनेस करने की ठानी।

इसके बाद साल 2014 में आसिफ ने नौकरी को त्याग दिया और बिजनेस करने का फैसला किया। वह जैसे ही बिजनेस के सपने देखने लगे उसी दौरान जम्मू कश्मीर की घाटी में बाढ़ आ गई जिसके चलते उनके सारे पैसे घर की मरम्मत और राशन-पानी में चला गया। शेख आसिफ ने बताया कि, “मेरा पूरा घर पानी में डूब गया था हमारी स्थिति पिछले कुछ वर्षों में बेहतर हुई थी। लेकिन आपदा ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।”

इसके बाद एक बार फिर घर की स्थिति ठीक करने के लिए शेख आसिफ ने नौकरी करने का फैसला किया। ऐसे में साल 2016 में वह यूनाइटेड किंग्डम चले गए। लेकिन आसिफ कुछ बड़ा करना चाहते थे, ऐसे में इस नौकरी के साथ-साथ उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी।

शेख आसिफ ने बताया कि, उन्होंने थीम्स इन्फोटेक नाम की वेबसाइट बनाई और यूके के लोगों की मदद से आगे बढ़े। साल 2018 में सफलता हासिल करते हुए शेख आसिफ कंपनी के 2 ब्रांच में 35 कर्मचारी के साथ काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने लगातार मेहनत कर बड़ा मुकाम हासिल कर लिया।

लेकिन इसी दौरान आसिफ का वीजा खत्म होने वाला था, ऐसे में उन्होंने सोचा कि जो बिजनेस वह ब्रिटेन में कर सकते हैं वही भारत में भी कर सकते हैं। ऐसे में फिर उन्होंने स्वदेश लौटने का फैसला किया। बता दें, आसिफ की एक ब्रांच कश्मीर में है तो दूसरी ब्रिटेन में।

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भारत आकर शेख आसिफ ने वेब डिजाइनिंग और डिजिटल मार्केट में छात्रों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान की। रिपोर्ट की मानें तो शेख आसिफ अब तक 900 बच्चों और 40 कर्मचारियों को शिक्षा दे चुके हैं। बता दें, शेख आसिफ अपने करियर में कई अवॉर्ड्स हासिल कर चुके हैं।

वह Digitization in Business, Online Business Ideas and Start a Business जैसी किताबें भी लिख चुके हैं। इसके अलावा आसिफ का नाम भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री पुरस्कार 2022’ के लिए नॉमिटेड कर दिया गया है।

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आसिफ ने बताया कि, “मैं विदेशों में अपनी कंपनी चला रहा हूं। मेरी मुफ्त कक्षाएं जारी रहेंगी। मैं यहीं रहना चाहूंगा। मैं चाहता हूं कि भारत विश्व स्तर पर चमके।” इसके अलावा शेख आसिफ ने कहा कि, “कश्मीर से कन्याकुमारी तक, माता-पिता चाहते हैं उनके बच्चे डाक्टर या इंजीनियर बनें। उन्हें लगता है आईटी क्षेत्र बेकार है।

लेकिन उन्हें मार्क जुकरबर्ग, बिलगेट्स, जेफ़ बेजोज को देखने की जरूरत है। वे सभी आज आईटी दिग्गज अरबपति हैं। मैंने लोगों को काफी समझाया। इस क्षेत्र में अनंत अवसर हैं। एक बेहतर समाज के निर्माण में अन्य क्षेत्रों की भी जरूरत होती है। हमें हमेशा अपने बच्चों के सपनों का साथ देना चाहिए।”

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