विशेष

3 साल के बच्चे ने पिछले जन्म के मां-बाप को पहचाना, ट्रैक्टर ने कुचला था, आवाज सुन आज भी डरता है

आप सभी लोगों में “पुनर्जन्म” के बारे में तो सुना ही होगा। यह एक भारतीय सिद्धांत है, जिसमें जीवात्मा के जन्म और मृत्यु के बाद पुनर्जन्म की मान्यता को स्थापित किया गया है। विश्व के सभी प्राचीन ग्रंथों में पुनर्जन्म की मान्यता के बारे में उल्लेख मिलता है।

लेकिन आजकल के समय में पुनर्जन्म की बातों पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। आप लोगों ने पुनर्जन्म से जुड़े कई किस्से-कहानियां सुनी होंगी परंतु असल में इसको मानना आपके लिए भी इतना आसान नहीं है।

आपको बता दें कि विज्ञान भी पुनर्जन्म की बातों को नहीं मानता है परंतु जीवन शैली में कभी-कभी कुछ ऐसी अनसुलझी कहानियां देखने को मिल ही जाती हैं, जिनपर ना चाहते हुए भी मनुष्य को विश्वास करना पड़ जाता है।

कुछ ऐसे ही एक पुनर्जन्म की घटना झालावाड़ के खजूरी गांव से निकल कर उस समय सामने आई हैं, जब एक परिवार के 3 वर्ष के बेटे जिसका नाम मोहित है, उसने अपना नाम तोरण बताया। इतना ही नहीं बल्कि वह अपनी मृत्यु की वजह भी बता रहा था।

परिवार के सदस्यों को नहीं हुआ विश्वास

जब 3 साल मोहित ने अपनी मृत्यु का कारण और अपना नाम तोरण बताया तो यह सुनने के बाद पहले तो परिवार के सदस्यों को विश्वास बिल्कुल भी नहीं हुआ था लेकिन उसके बाद उन्होंने इसकी जांच पड़ताल की और मृतक तोरण के माता-पिता सहित रिश्तेदारों से उसे मिलवाया गया जिसके बाद परिवार के साथ ही क्षेत्र के लोगों में भी बच्चे के द्वारा किया गया यह दावा कौतुहल का विषय बना।

मोहित के पिता ने ये बात बताई

आपको बता दें कि औंकार लाल मेहर, मोहित के पिता जी हैं। उनके द्वारा यह बताया गया है कि जब मोहित का जन्म हुआ था तो वह उसी दौरान से जब भी ट्रैक्टर की आवाज सुनता था, तो वह डर जाया करता था। ट्रैक्टर की आवाज सुनने के बाद मोहित रोने लगता था। औंकार लाल मेहर ने यह बताया कि उस समय वह बोल नहीं पाता था। जब वह बोलने लगा तो उसने अपना नाम तोरण (पूर्वजन्म का नाम) बताने लगा।

जब मामले की जांच पड़ताल की गई तो यह बात निकलकर सामने आई कि, आज से लगभग 16 वर्ष पहले मनोहर थाना क्षेत्र के ही कोलूखेड़ी कला में रोड निर्माण काम में मजदूरी करने गए खजूरी के रहने वाले कल्याण सिंह धाकड़ के पुत्र तोरण धाकड़ (25) की ट्रैक्टर के नीचे दबने की वजह से जान चली गई थी।

मकान बेचकर चले गए थे मध्य प्रदेश

जब तोरण धाकड़ की मृत्यु हो गई तो इसके बाद उसके माता-पिता मकान बेचकर मध्य प्रदेश के गुना जिले शंकरपुरा गांव (जामनेर) में रहने चले गए। खजूरी में ही तोरण की एक बुआ रहती हैं, जिनका नाम नथिया बाई धाकड़ है। जब उनको इस बात की सूचना प्राप्त हुई तो वह उनसे मिलने के लिए गईं, तो मोहित में उनको पहचान लिया। इसके बाद तोरण के माता-पिता को सूचना दी गई और जब वह आए तो 3 साल के बच्चे ने उन्हें भी पहचान लिया। मोहित ने अपना नाम तोरण बताया। इसके साथ ही वह बोला कि पूर्वजन्म में वह अपनी मृत्यु की घटना के विषय में जानता है।

तर्पण किया गया था 3 साल पहले

तोरण के पिताजी कल्याण सिंह धाकड़ द्वारा यह बताया गया कि उनके बेटे की मृत्यु होने के पश्चात अभी 3 वर्ष पहले ही श्री गयाजी में उसका विधि विधान पूर्वक तर्पण किया गया था। जब उनको सूचना प्राप्त हुई, तो वह खजूरी में आकर मोहित से मिले, तो उसने उनको भी पहचान लिया। उससे मिलने के बाद ऐसा लगा जैसे हादसे में जान गंवा चुका उनका बेटा तोरण फिर से लौट आया है। जब मोहित से उसका नाम पूछा गया, तो उसने खुद को तोरण बताया।

वहीं बुआ नथिया बाई धाकड़ का ऐसा बताना है कि वह खजूरी में ही रहती हैं। पूर्वजन्म में भी तोरण बहुत लगाव रखता था और अब भी वह जब उससे मिलने जाती हैं तो वह उनकी गोदी में आकर बैठ जाता है। आपको बता दें कि झालावाड़ जिले में पुनर्जन्म की यह घटना खूब चर्चा में है।

जानिए विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

पुनर्जन्म के मामले को लेकर झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर कृष्ण मुरारी लोधा ने ऐसा कहा कि “इंसान की मृत्यु के पश्चात ब्रेन डेड हो जाता है। उसकी मेमोरी पूरी तरह से नष्ट हो जाती है।” उन्होंने बताया कि नया शरीर नए मस्तिष्क के साथ बनता है। मेमोरी कभी भी एक शरीर से दूसरे शरीर में ट्रांसफर नहीं हो सकती है।”

उनके द्वारा यह कहा गया कि बच्चे ने अपने परिजनों या कुछ लोगों को इस संबंध में बातें करते हुए सुना होगा और दिमाग में इस तरह की कहानी बना ली। विज्ञान पुनर्जन्म जैसी बातों पर भरोसा नहीं करता है।

Related Articles

Back to top button