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श्री अकाल तख्त ने किया बड़ा खुलासा, कहा किसान आंदोलन एक बड़ी साजिश रच रहा था,पीएम ने देश को बचाया

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 19 नवम्बर गुरुनानक जयंती के अवसर पर किसानों को खुशखबरी देते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया. अब पीएम के इस फैसले पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बड़ा बयान दिया है.

जत्थेदार ने अपने बयान में कहा है कि देश में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में सिखों-भारत सरकार और सिखों-हिंदुओं के बीच लड़ाई करवाने की साजिश रची जा रही थी. मगर हमारे प्रधानमंत्री के एक फैसले से उन सभी के मंसूबे नाकाम हो गए है.

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ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने एक वीडियो जारी कर इसके लिए भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनकी पूरी कैबिनेट टीम को धन्यवाद किया है. उनके मुताबिक इस कृषि कानून के वापस लेने के बाद एक बड़ी राष्ट्रीय विपदा टल गई है. उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में कुछ ऐसे गुट थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को अपने मुद्दे के लिए दरकिनार कर रहे थे.

आने वाले समय में हमें इसके नुकसान देखने पड़ते. अब ऐसे समय में इस जत्थेदार का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पंजाब, किसान आंदोलन शुरू होने के साथ ही आंदोलन का सिरमौर बना हुआ है. पंजाब से शुरू होकर ही देश भर में ये आंदोलन फैला है.

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कैप्टन ने कहा था, किसानों के कल्याण के लिए लाए गए थे कृषि कानून
आपको बता दें कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन विवादित कृषि कानून रद्द करने के फैसले का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया था. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रकाश पर्व के अवसर पर तीन कृषि कानूनों

को निरस्त किया जाना और किसानों से माफी मांगना, इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता. इस दौरान कैप्टन ने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री देश के कल्याण के लिए कृषि कानून लाए थे.

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सीएम चन्नी कर चुके हैं स्मारक बनाने का एलान
पंजाब से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद पंजाब की कांग्रेस सरकार ने एलान किया था कि किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 किसानों की याद में एक स्मारक भी बनाया जाएगा.

सीएम चन्नी ने कहा था कि, देश की आजादी के बाद अगर कोई सबसे बड़ा संघर्ष हुआ, तो वह कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन रहा है जिसने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया. इसलिए हम राज्य में किसान आंदोलन के नाम पर एक स्मारक बनाने जा रहे है.

आपको बता दें कि पंजाब में राजनीतिक उठा-पठक चालू है. कैप्टन के कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही न कैप्टन चैन से बैठे है न ही पंजाब कांग्रेस. वहीं पंजाब में जारी सत्ता संघर्ष के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वर्ष 2022 में पटियाला से चुनाव लड़ने का एलान किया है. उन्होंने कहा कि वह पटियाला के अलावा किसी और जगह से चुनाव नहीं लड़ेंगे. इस बारे में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने सोशल मीडिया ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए यह घोषणा की.

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