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घर में खाने के लाले पड़े थे, कोचिंग करना तो दूर की बात थी, अपने दम पर बिटिया बनी पुलिस अफसर

पूरे गांव को भरोसा था तेजू कमाल करेगी…. सपना पूरा कर जब वो लौटी तो नम आंखों से यूं मनाई खुशियां

दुनिया भर से अक्सर ऐसी कई कहानियां निकलकर सामने आ जाती हैं, जिसे पढ़कर और सुनकर हमारे मन में कुछ ना कुछ अलग करने का जुनून जाग जाता है। दुनिया भर में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अपने जीवन में कामयाबी पाने के लिए खूब कोशिश करते हैं परंतु ज्यादातर सभी लोगों के जीवन में एक सबसे बड़ी समस्या रहती है और वह है गरीबी। गरीबी के चलते लोग अपने सपने को साकार नहीं कर पाते लेकिन ऐसा नहीं है कि गरीब इंसान अपने जीवन में कामयाबी नहीं प्राप्त कर सकता।

ऐसा कहा जाता है कि जिस इंसान के हौसले मजबूत हैं, जिसमें हर मुश्किल का हिम्मत से सामना किया, उसको एक ना एक दिन कामयाबी जरूर हासिल होती है। इसी बीच महाराष्ट्र की एक बेटी की कहानी सामने आई है, जिसने अपने गरीब किसान माता-पिता के सपने को साकार कर दिखाया है।

दरअसल, हम आपको जिस लड़की के बारे में बताने वाले हैं, उसका नाम तेजल आहेर है, जो नासिक की रहने वाली है। तेजल के घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी, जिसकी वजह से उसके माता-पिता कोचिंग का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे परंतु जीवन में लाख परेशानियों के बाद भी तेजल ने हार नहीं मानी और उसने हिम्मत से हर मुश्किल को पार किया।

तेजल ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी खुद के दम पर की और महाराष्ट्र पुलिस उपनिरीक्षक पद की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। जब तेजल 15 महीने की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद निफाड प्रखंड में स्थित अपने गांव वापस आई तो सारे गांव ने मिलकर उसकी इस सफलता की खुशियां मनाई। वहीँ मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

तेजल आहेर ने जो कामयाबी हासिल की है वह पाना उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। तेजल एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जहां 2 जून की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। इतना ही नहीं बल्कि यह भी पता नहीं होता कि कल घर का चूल्हा कैसे जलेगा। इस प्रकार की मुश्किल हालात में जी रहे किसान परिवार के लिए तेजल की उपलब्धि जीने की एक उम्मीद और आसरा है।

तेजल ने खुद के दम पर महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की ओर से 2017 में आयोजित की गई परीक्षा में पुलिस उपनिरीक्षक (पीएसआई) पद में नियुक्ति पाने में सफलता हासिल की। माता-पिता बेटी की इस कामयाबी से बहुत ज्यादा खुश हैं। बिटिया ने अपने पिता हौशीराम का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। वहीं तेजल की मां अक्सर कहा करती थी कि एक दिन अपनी तेजू कमाल करेगी।

आपको बता दें कि तेजल आहेर के गांव का नाम वाहेगाव भरवस है और यहां पर ज्यादातर लोगों का काम खेती-किसानी ही है। जब तेजल को आयोग द्वारा चुना गया तो बाद में तेजल ने नासिक स्थित पुलिस अकादमी से प्रशिक्षण हासिल की। 15 महीनों की लंबी ट्रेनिंग के बाद जब तेजल अपने गांव आई तो तेजल के स्वागत में सारा गांव खड़ा हो गया था। हर एक परिवार में एक यही सपना जगा की इस रात की सुबह होगी और एक दिन उनकी बेटियां भी तेजू की तरह कुछ करके दिखाएगी।

तेजल प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी को लेकर ऐसा बताती हैं कि वह गांव और जिलों के स्कूल और कॉलेज में शिक्षा हासिल करने के बाद गांव के पास के सबसे करीबी शहर नासिक चली गई थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि कोचिंग का खर्च उठाने में उनके माता-पिता सक्षम नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद के दम पर उन्होंने पढ़ाई जारी रखी थी।

तेजल का ऐसा बताना है कि वह सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक नियमित रूप से पढ़ाई करती थीं। इसी बीच होली आई, दिवाली आई लेकिन तेजल अपने घर नहीं आई थीं। वह अपनी पढ़ाई में लगी रही और परीक्षा की तैयारी करती रहीं। तेजल का कहना है कि उसकी इस साधना में माता-पिता, दोस्तों और गांव वालों ने उसकी सहायता की। इसी वजह से वह इन्हीं सब लोगों को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं।

आपको बता दें कि 7 जनवरी 2020 को तेजल का प्रशिक्षण आरंभ हुआ और 7 अप्रैल 2021 को मुंबई में उनकी बहाली हुई। देश भर में कोरोना महामारी के कारण परीक्षण की समय अवधि थोड़ी लंबी हो गई थी। तेजल के पिता हौशीराम आहेर का ऐसा कहना है कि हमेशा से ही उनका यह सपना रहा था कि वह अपनी बेटी को वर्दी में देखें, जो अब पूरा हो चुका है। तेजल के पिता का ऐसा कहना है कि उसने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है और पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है।

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