मानवता की मिशाल : फुटपाथ पर पढाई कर रही लड़की की लगन देख लोगों ने पैसे इकट्ठा कर दिलवाया घर
दुनियाभर के लाखों-करोड़ों लोगों की जिंदगी पर कोरोना का बुरा असर पड़ा। कई लोग कोरोना की वजह से अपने पैसे कमाने के जरिए को खो चुके तो कई लोगों ने अपने परिवार को खोया। कोरोना की वजह से ही मुंबई की अस्मा शेख के पिता को भी आर्थिक मंदी जैसी समस्या से जूझना पड़ा। अस्मा शेख के पिता मुंबई में एक जूस की दुकान चलाते थे लेकिन कोरोना के कहर के चलते वो भी बंद हो गई और यह परिवार सड़क पर आ गया।
#sscresult2020
Its a proud moment for Salim Shaikh, a street dweller near CST. His daughter Asma Shaikh, 17 passed SSC with 40%. Her father has not paid her tution fees for last six months. He hopes that Asma can study further and have a better future #Maharastra pic.twitter.com/5rlEBxUKpd— Kumail Raza (@kumail_1988) July 29, 2020
ऐसे में 17 साल की अस्मा शेख अपने परिवार के साथ फुटपाथ के किनारे झोपड़ी बनाकर रहने लगी। अस्मा शेख को पढ़ाई का बहुत शौक था तो रात में लैंप पोस्ट के नीचे बैठकर पढ़ाई करती थी। कोरोना के चलते स्कूल कॉलेज सब कुछ बंद था लेकिन इस दौरान भी अस्मा ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। फुटपाथ पर पढ़ाई करने के दौरान ही अस्मा की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। अस्मा की इस लगन को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग आगे आए और उसकी मदद के लिए एक मुहिम शुरू की गई। इनमें से कई विदेशी नागरिक भी थे।
Maharashtra: Asma Sheikh, a 17-year-old girl living on the pavement outside Azad Maidan in Mumbai has scored 40% in 10th board exams. She says,”My family supported my education. In the absence of basic amenities, they tried giving me whatever they could to help me pass my exams.” pic.twitter.com/sC4oHmHiFT
— ANI (@ANI) July 30, 2020
मीडिया से बातचीत करने के दौरान अस्मा ने कहा कि, “मैं ग्रेजुएट होना चाहती हूं। मैं पढ़ाई करना चाहती हूं ताकि एक घर खरीद सकूं। मैं अपने परिवार को फुटपाथ की इस जिंदगी से बाहर निकालना चाहती हूँ।” आगे अस्मा ने कहा कि, “फुटपाथ पर रहकर ऑनलाइन क्लास करना काफी मुश्किल था, इसलिए मैं घर में रहना चाहती हूँ। लॉकडाउन में मुझे लैंप पोस्ट के नीचे पढ़ाई करनी पड़ी। कई बार तो पुलिस फुटपाथ पर हम बनी हमारी जुग्गी को भी हटा देती है। ऐसे में हमें रात भर चलना पड़ता था।”
अस्मा की इन बातों को सुनकर लोगों ने न सिर्फ उसके हौसले की तारीफ की बल्कि उसके परिवार के लिए एक घर का भी इंतजाम किया। खबरों की मानें तो अस्मा के परिवार को मुंबई के मोहम्मद अली रोड पर 3 साल के लिए 1BHK का घर दिया गया है। साथ ही उसकी पढ़ाई के लिए मुंबई के प्रतिष्ठित KC कॉलेज में एडमिशन करवाया।
बता दें, अस्मा की मदद के लिए मुहिम शुरू करवाने वाले स्पेन के जर्मन फर्नांडेज थे। उन्होंने ही अस्मा की मदद के लिए अभियान शुरू किया था जिसके तहत 1.2 लाख रुपए जमा हुए। जर्मन फर्नांडेज का कहना है कि, “शिक्षा किसी व्यक्ति को अपने सपने सच करने में मदद कर सकती हैं। और मैं महिला शिक्षक का बहुत बड़ा समर्थक हूं।” इसके अलावा मुंबई के ही एक एनजीओ ने अस्मा की पढ़ाई के लिए हर महीने 3 हजार रुपए देने का निर्णय लिया है।
आई केयर टेकर नाम के एनजीओ के मुताबिक, कतर में काम करने वाले एक पैट्रोलियम एग्जीक्यूटिव नसीर अहमद खान ने अस्मा की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि, अस्मा की पढ़ाई पूरी नहीं हो जाती तब तक वह हर महीने से 3 हजार रुपए धनराशि के रूप में देंगे। वहीं अस्मा का कहना है कि उसके परिवार को छत मिलने के कारण वह बेहद खुश है और अब वह पूरी लगन से पढ़ाई करेगी।