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मंदिर का पुजारी बनने के लिए इस शख्स ने छोड़ दी विदेश की आलीशान लाइफ, आज दुनिया कर रही है तारीफ

विदेश में जिसका अपना क्लीनिक हो, अच्छा खासा जीवन चल रहा हो.. अगर वो बीच में अपना बना बनाया करियर छोड़कर भारत लौट आए..  और केरल में मंदिर का पुजारी बन जाये तो इसे आप क्या कहेंगे। शायद बात हजम नहीं होगी, पर ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, किरन आनंद नंबूदिरी (Dr Kiran Anand Kakkad) ने।

जिनकी उम्र महज 34 साल है, पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं और रूस के मॉस्को में छह साल तक क्लीनिक चला चुके हैं। शनिवार को उन्हें केरल के गुरुवयूर मंदिर (kerala guruvayur temple) का मुख्य पुजारी यानी की मेलशांति नियुक्त किया गया।

पेशे से आयुर्वेद डॉक्टर किरन आनंद, म्यूजिशियन भी हैं

देखा जाए तो महज 34 साल की उम्र में टीशर्ट और ट्राउजर पहन कर दुबई के बुर्ज खलीफा के आगे सेल्फी लेने वाले.. विदेश की ठंड में पत्नी संग फोटो और पार्टी करने वाले शख्स को देखकर कोई यह नहीं कह सकेगा कि वह केरल के गुरुवयूर मंदिर के मुख्य पुजारी बन गए हैं।

बता दें कि पेशे से आयुर्वेद डॉक्टर किरन आनंद म्यूजिशियन भी हैं, जिन्हें कई वाद्ययंत्र बजाने आते हैं। इसके साथ ही मंदिर में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में भी माहिर हैं। वह 30 सितंबर की रात से पद ग्रहण करेंगे और 1 अक्टूबर से अगले 6 महीने तक मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कामकाज देखेंगे। इसके लिए औपचारिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उनका चयन हो चुका है।

लॉटरी के जरिए हुआ मुख्य पुजारी का चयन

गौरतलब है कि डॉक्टर किरन आनंद (Dr Kiran Anand Kakkad) का पुजारी के तौर पर सेलेक्शन ड्रॉ के जरिए हुआ है। दरअसल, 42 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था और मंदिर तंत्री यानी की मुख्यकर्ता धर्ता के साथ इंटरव्यू के बाद 39 लोग शॉर्टलिस्ट किए गए। इसके बाद लॉटरी के जरिए मुख्य पुजारी का चयन हुआ।

बताया जा रहा है कि मंदिर में के पूजा के दौरान नमस्कार मंडपम में भक्तों की मौजूदगी में लॉटरी निकाली गई। मौजूदा मेलशांति थियान्नूर कृष्णचंद्रन नंबूदिरी ने तंत्री चेन्नस दिनेशन नंबूदिरीपद के कहने पर एक चांदी के कलश से 37 नामों की पर्ची से एक पर्ची निकाली, जिसमें किरन आनंद का नाम लिखा था।

वहीं मंदिर (kerala guruvayur temple) के पुजारी बनने के बाद किरन आनंद कहते हैं, ‘मेरी समझ में हमारे सबसे आनंददायक क्षण वे होते हैं जब हम उन गतिविधियों और विचारों को आगे बढ़ाते में सक्षम होते हैं जो किसी और को नुकसान पहुंचाए बिना हमें खुशी देते हैं। जब मैं पूजा कर रहा होता हूं तो मैं मानसिक रूप से उस मन: स्थिति में आ जाता हूं और उसमें पूरी तरह से तल्लीन हो जाता हूं’।

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