45 वर्षीय मतिल्दा कुल्लू को फोर्ब्स ने ताकतवर महिलाओं की लिस्ट किया शामिल, जानिए उनके बारे में

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं इंसान के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं परंतु कई लोगों की जिंदगी इतनी संघर्षपूर्ण और परेशानियों से भरी रहती है कि लोग अपने हालातों के आगे हार मान जाते हैं। वहीं ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो अपने जीवन के सफर में संघर्ष और दिक्कतों को पार करते हुए कुछ ऐसा कर देते हैं जिनकी वजह से दुनिया उन्हें सलाम ठोकती है। इसी बीच ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की आशा वर्कर मतिल्दा कुल्लू के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है।
जी हां, Forbes ने दुनिया की ताकतवर महिलाओं की लिस्ट में मतिल्दा कुल्लू को शामिल किया है। फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पॉवर 2021 की लिस्ट में अमेज़न प्राइम की हेड अर्पणा पुरोहित और सेल्सफोर्स इंडिया की सीईओ अरुंधति भट्टाचार्य जैसी शख्सियत के साथ उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले की 45 साल की आदिवासी आशा वर्कर मतिल्दा कुल्लू का भी नाम शामिल है। इंडिया महिला सशक्तिकरण की लिस्ट में देश में तीसरे स्थान पर मतिल्दा कुल्लू ने अपनी जगह बनाई है।
मतिल्दा कुल्लू पिछले 15 वर्षों से सुंदरगढ़ के बड़गांव तहसील के गर्गडबहल गांव में कार्य कर रही हैं। इनका अब तक का सफर इतना संघर्षपूर्ण और परेशानियों से भरा रहा है कि कोई भी नहीं सोच सकता। एक समय ऐसा भी था, जब लोग मतिल्दा कुल्लू को सलाह दिया करते थे और उनकी बातों को लेकर लोग मजाक उड़ाया करते थे। पर अब वक्त ऐसा आ गया है कि जो लोग उनका मजाक उड़ाते थे, वही आज उन्हें सम्मान दे रहे हैं।
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की बारागाँव तहसील की रहने वाली मतिल्दा कुल्लू को 15 साल पहले बतौर आशा कार्यकर्ता के रूप में सुंदरगढ़ जिले गर्गडबहल गांव में नियुक्त किया गया था। तब से लेकर आज तक यह लगातार लोगों को जागरुक करने का कार्य करती आ रही हैं। यह इन्हीं का प्रयास है जिसके प्रभाव से बारागाँव तहसील के लोग अब अपनी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल जाने लगे हैं परंतु पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। लोग पहले बीमारी को काले जादू का प्रभाव माना करते थे और बीमारी के इलाज के लिए तांत्रिक-ओझा के पास जाया करते थे।
मतिल्दा कुल्लू ने इन सभी पर लोगों को जागरूक करने का काम आरंभ कर दिया। यह लगातार प्रयास करती रहीं और आखिर में धीरे-धीरे इनके द्वारा किए गए प्रयासों का फल प्राप्त हुआ। अब लोगों के अंदर जागरूकता आ गई है और लोग काले जादू के इस जाल से बाहर निकल चुके हैं। सुबह 5:00 बजे से ही मतिल्दा कुल्लू के दिन की शुरुआत हो जाती है। वह मवेशियों की देखभाल और घर का चूल्हा-चौका करने के बाद गांव के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए घर से निकल जाती हैं।
मतिल्दा कुल्लू गांव के घर घर में जाकर लोगों की सेहत का ख्याल रखती हैं। यह नवजात बच्चों और किशोर-किशोरियों को वैक्सीन लगाने का कार्य करती हैं। इतना ही नहीं बल्कि महिलाओं की प्रसव से पहले और बाद की जांच कराना इनके कार्य का हिस्सा बना हुआ है। जब कोई महिला बच्चे के जन्म की तैयारी करती है तो वह उसे क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए, इस तरह की जानकारी देती हैं। यह एचआईवी और दूसरे संक्रमण से गांव वालों को दूर रखने की भी सलाह देती हैं। यह अपनी जिम्मेदारी को बखूबी तरीके से निभा रही हैं।
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं देश भर में कोरोना महामारी का संकट मंडरा रहा है। इस दौरान भी मतिल्दा कुल्लू ने बेहतरीन काम किया। इलाके में टीकाकरण जैसे कामों के लिए उन्होंने खूब मेहनत की। कोरोना संकट में वह 50 से 60 घरों में जाकर लोगों का टेस्ट करती थीं। कुल मिलाकर ₹4500 कमाने वाली मतिल्दा कुल्लू ने अपना पूरा जीवन बारागाँव तहसील के 964 लोगों की देखभाल के लिए समर्पित कर दिया है। मतिल्दा कुल्लू का ऐसा बताना है कि अपने इस कार्य से वह लोगों की जान बचा पाती हैं, जिससे वह अपने इस काम पर गर्व महसूस करती हैं।
मतिल्दा कुल्लू को अपने इस काम में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। रोजाना कोरोना लक्षण वाले 50 से 60 मरीजों की जांच करना उनके लिए इतना आसान नहीं था लेकिन फिर भी घर-घर जाकर वह जांच करती थीं। इतना ही नहीं बल्कि वह लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए तैयार भी करती हैं। बहुत मुश्किल से गांव में जब वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई तो उन्होंने लोगों को इसके लिए तैयार किया। उन्होंने धीरे-धीरे लोगों को इसके लिए जागरूक कराया। मतिल्दा कुल्लू गांव वालों की सेवा से बढ़कर और कुछ नहीं मानती हैं।
मतिल्दा कुल्लू का ऐसा बताना है कि शुरुआती संघर्ष के दिनों में उन्हें बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में अगर लोग बीमार होते थे तो वह काले जादू का सहारा लेते थे। वह लोगो से इलाज के लिए अस्पताल जाने के लिए कहा करती थी लेकिन लोग उनका मजाक उड़ाने लगते थे लेकिन समय के साथ-साथ लोगों को उनकी बात समझ आने लगी। अब लोग हर बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल जाते हैं। लोगों की सोच बदलना मतिल्दा कुल्लू के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित रहा परंतु उन्होंने अपने प्रयासों से गांव में काले जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्म कर दिया।
मतिल्दा कुल्लू ने अपने प्रयासों से गांव में बहुत बड़ा बदलाव लाया है। लोगों को सेहतमंद रहने के लिए इनका योगदान बहुत बड़ा है। इन्होंने अपने दम पर सफलता की सीढ़ियां चढ़ी हैं। इनके इसी योगदान की वजह से फोर्ब्स ने मतिल्दा कुल्लू को दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में जगह दी है।