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लताओं में आलू उगा रहा है सूरत का ये परिवार, इस खास अंदाज में करते हैं गार्डिंग

सूरत के इस परिवार के गार्डन में है जादू, जमीन की बजाए लताओं में लगे हैं आलू

घर के आंगन में छत पर उगाई गई सब्जी की बात ही कुछ और होती है। जो लोग बागबानी के शौकीन होते हैं वह अक्सर स्वाद और गुणवत्ता से भरी इन सब्जियों को अपने घर में ही उगा लेते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैैं सूरत के एक ऐसे ही परिवार के बारे में जो अपने गार्डनिंग के लिए मशहूर है और इन्होंने लताओं में आलू उगाए हैं। जी हां.. इस परिवार ने जमीन नहीं बल्कि लताओं में आलू उगाए हैं और इसके लिए ये काफी मशहूर हो गए है।

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सूरत के सुभाष सुरती के घर में करीब 400 से ज्यादा पेड़ पौधे लगे हुए हैं और वह इन पेड़ पौधों का ख्याल विशेष तौर पर रखते हैं। वह हर मौसम के अनुसार घर में ही फल और सब्जियां उगाते हैं जिनमें आंवला, अनार, केला, शहतूत अमरूद, स्टार फूड और भिंडी, तुरई, लौकी, प्याज, बरबटी, जैसे कई चीजें है। इसके अलावा वह लताओं में आलू उगाने का भी काम करते हैं।

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दरअसल, सुभाष सुरती को पहाड़ों पर घूमने का बहुत शौक। ऐसे में जब वह पहाड़ों पर जाते हैं तो वहां से कुछ अजीबोगरीब दुर्लभ पौधे लेकर आते हैं। इसी बीच जंगल की यात्रा करने के दौरान वह एक एयर पोटैटो का पौधा लेकर आए थे।

उन्होंने बताया कि, जब वह जंगल की यात्रा करने पहुंचे तो उन्हें देखा की लताओं में आलू लगे हुए हैं। ऐसे में जब उन्होंने इसके बारे में जानकारी जुटाई तो पता चलता है कि ये एक ऐसी किस्म का आलू है जिसमें जमीन की बजाय लता में आलू लगते हैं।

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फिर उन्होंने भी इस पौधे को अपने घर में लगाया और 1 साल तक इसकी अच्छे से देखभाल की, लेकिन उनकी मेहनत रंग नहीं लाई और इस लता में एक भी आलू नहीं लगा। हालांकि सुभाष ने एक बार फिर कोशिश की और लगभग 2 साल तक इस लता की देखभाल की जिसके बाद इन लताओं में ढेर सारे आलू लगने लगे।

सुभाष ने बताया कि वह गिर से सिर्फ एक ही लता लाए थे लेकिन आज उनके पास कई लताएं हैं और यहां 25 फीट से बड़ी होकर छत तक पहुंच गई है जिसमें ढेर सारे आलू लगे हुए हैं।

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सुभाष ने कहा कि, “यह आलू की एक ऐसी किस्म है जो जैन समुदाय के लोग आलू के एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। मैंने अपने कुछ जैन दोस्तों को भी इसके छोटे पौधे बनाकर दिए हैं।”

इसके अलावा उन्होंने ऑर्गेनिक सब्जियों को लेकर कहा कि, “घर में उगी सब्जियों का स्वाद इतना मीठा होता है कि बच्चे इसे कच्चा ही खा लेते हैं। वहीं बाहर से आई सब्जियों की तुलना में यह सब्जियां जल्दी पक जाती हैं इसलिए जो भी सब्जी बच्चों को पसंद होती हैं वे हम घर में ही उगा लेते हैं।”

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सुभाष ने बताया कि, “हमारी सोसाइटी में 16 घर हैं। 15 साल पहले जब मैं यहां रहने आया तब मेरे अलावा कोई भी गार्डनिंग नहीं करता था। लेकिन आज तक़रीबन सभी घरों में एक छोटा गार्डन है। कोरोनाकाल ने तो सभी को घर में फल-सब्जियां उगाना सीखा दिया है।”

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सुभाष ने बताया कि वह अपने पूरे परिवार के साथ इस गार्डन की देखभाल करते हैं और कई प्रकार की सब्जियां उगाते हैं। वही उनके पिता हरिश्चंद्र 78 वर्ष की उम्र में भी उनका साथ देते हैं और हमेशा गार्डन की देखभाल करते हैं। सुभाष ने बताया कि, वह मौसम के अनुसार घर में सब्जियां उगाते है जिनमें हल्दी, लेमनग्रास, पांच प्रकार की तुलसी, गिलोय, अडूसा, ब्राह्मी, अजवाइन, कपूरी पान, पुदीना, फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकोली, मेथी, बैगन, सेम, धनिया, मिर्च,करेला गिलोय, जैसी कई चीजें शामिल है।

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