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बिपिन रावत की मौत के बाद हमेशा के लिए अधूरा रहा गया उनका ये सपना, जो अब कभी नहीं होगा पूरा

CDS जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई जिसके चलते देश शोक में डूबा हुआ है। वहीं बिपिन रावत के पैतृक राज्य उत्तराखंड और पौड़ी गढ़वाल के लोगों की भी आंखें नम है। बिपिन रावत का पैतृक गांव सैंणा, पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल ब्लॉक में पड़ता है, जो कोटद्वार- कांडाखाल मार्ग पर बिरमौली ग्राम पंचायत का हिस्सा है।

बता दें, इस गांव में सीडीएस रावत के चाचा भरत सिंह रावत का परिवार रहता है और बिपिन रावत भी अक्सर अपने परिवार से मुलाकात करने के लिए आते रहते थे। साल 2018 में जब वह अपने पैतृक गांव पहुंचे थे तो उन्होंने सड़क बनवाने का वादा किया था।

bipin rawat

बता दें, 9 नवंबर साल 2018-19 में बिपिन रावत राजभवन में आयोजित हुए कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। तब उन्होंने गांव में आने जाने के लिए अच्छी सड़क हो, उच्च शिक्षा के लिए सुविधाएं अच्छी हो और इंजीनियरिंग कॉलेज हो जैसी बातें कही थी। इसके साथ ही बिपिन रावत ने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद वह उत्तराखंड की राजधानी में ही अपना घर बनाएंगे।

वहीं देहरादून में उनका घर भी बन रहा था। रिपोर्ट की माने तो बिपिन रावत ने प्रेम नगर के पास जमीन ली थी, जहां उनके घर का निर्माण कार्य चल रहा था। लेकिन इस घर में रहने का सपना अब उनका अधूरा ही रह जाएगा।

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CDS रावत के चाचा भरत सिंह के बेटे देवेंद्र रावत ने बताया कि, कुछ ही दिन पहले उनकी बिपिन रावत से बात हुई थी और वे जनवरी में ही घर आने के लिए कह रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने देवेंद्र से गाँव में बन रही सड़क के बारे में भी पूछा था।

देवेंद्र ने कहा कि, जब गांव तक सड़क पहुंच जाएगी तो रावत अपना घर पैतृक भूमि पर बनाएंगे, लेकिन उनके सपने अधूरे ही रह गए।  उन्होंने बताया कि, सीडीएस रावत अप्रैल 2018 में अपनी पत्नी मधुलिका के साथ गांव आए थे।

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फ़िलहाल बिपिन रावत के पैतृक गाँव सैंणा में देंवेंद्र के पिता भरत सिंह ओर मां सुशीला देवी ही रहती हैं। इसी बीच बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह ने बताया कि सीडीएस जनरल रावत केवल 4 बार ही अपने गांव में आए हैं। उन्होंने बताया कि जब वह काफी छोटे थे तब अपने पिता के साथ गांव आए।

इसके बाद सेना में भर्ती होने के बाद तीन बार गांव आए। लेकिन साल 2018-19 के बाद उनका गांव आना दोबारा नहीं हो सका। वहीं बुधवार दोपहर जब गांव वालों को हेलिकॉप्टर हादसे की सूचना मिली तो लोग उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने लगे, लेकिन देर शाम उन्हें बिपिन रावत के निधन की सूचना मिली तो सारा गांव गमगीन हो गया।

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बता दें, साल 1958 को जन्मे जनरल बिपिन रावत सेना के अधिकारियों के परिवार से ताल्लुक रखते थे। बिपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए, जबकि उनकी मां उत्तरकाशी के पूर्व विधायक किशन सिंह परमार की बेटी थी। वहीं 16 दिसंबर 1978 को बिपिन रावत बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट सेना में शामिल हुए थे।

इसके बाद साल 1980 में उन्हें लेफ्टिनेंट का पद मिला, फिर 1984 में बिपिन रावत को सेना ने कप्तान की रैंक में खड़ा कर दिया। इसके बाद साल 1990 में वह मेजर बने और साल 1998 में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए। इसके बाद उन्होंने कई बुलंदियों को छुआ।

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