धार्मिक

11 शताब्दी में बना था अंबरनाथ शिव मंदिर, पांडवों ने एक ही रात में किया था मंदिर का निर्माण

अंबरनाथ शिव मंदिर महाराष्ट्र राज्य में है। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार इसका निर्माण अज्ञातवास के दौरान पांडवों द्वारा किया गया था। इस मंदिर को पांडवों द्वारा एक दिन के अंदर बनाया गया था। हालांकि इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका था। जिसके बाद इस मंदिर का पूर्ण निर्माण 1060 ईं में राजा मांबाणि ने करवाया था। इस मंदिर में बेहद ही सुंदर शिवलिंग रखा गया है और हर साल दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आया करते हैं।

इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर के नाम से भी जान जाता है। मंदिर को भव्य तरीके से बनाया गया है और मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है। अंबरनाथ शिव मंदिर के अंदर और बाहर कम से कम ब्रह्मदेव की 8 मूर्तियां हैं। ऐसी मान्यता है कि पुराने समय पर यहां पर ब्रह्मदेव की उपासना की जाती थी। इसके अलावा मंदिर में गणेश, कार्तिकेय, चंडिका आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां भी लगी हुई हैं। मंदिर की दीवारों पर कई सारी शिव जी की मूर्तियां भी बनाई गई हैं।

अंबरनाथ शिव मंदिर के गर्भगृह के पास गर्म पानी का कुंड भी है। इस मंदिर के कुंड के पानी से लोग स्नान करते हैं। मान्यता है कि कुंड के पानी से नहाने से सारे रोग दूर हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। मंदिर के पास ही एक गुफा भी बनीं हुई है। जो कि पंचवटी तक जाता है।

हर साल इस मंदिर में मेले का आयोजन भी किया जाता है। ये मेला शिवरात्रि के दौरान लगाता है और 3 से 4 दिनों तक चलता है। इस दौरान कई संख्या में लोग मंदिर आते हैं और शिव जी की पूजा करते हैं।

इस वजह से पूरा नहीं हो सका निर्माण कार्य

अज्ञातवास के दौरान पांडव इस जगह पर आया थे। उन्होंने इस मंदिर को बनाने का काम शुरू किया था। हालांकि सुबह होते ही पांडवों को ये जगह छोड़कर जानी पड़ी। क्योंकि कौरव उनका पीछा कर रहे थे। जिसके कारण ये मंदिर अधूरा ही रहे गया। पौराणिक कथा के अनुसार ये मंदिर पांडवों ने एकल पत्थर से बनाया था। लेकिन बाद में इसका पुनर्निर्माण किया गया।

यूनेस्को ने अंबरनाथ शिव मंदिर को सांस्कृतिक विरासत घोषित किया हुआ है। ये मंदिर महाराष्ट्र के मुंबई से लगभग 60.8 कि.मी की दूरी पर स्थित है। मुंबई से अंबरनाथ शिव मंदिर तक जाने के लिए आपको आसानी से बस या टैक्सी मिल जाएगी। इस मंदिर के पास ही कई सारी धर्मशालाएं भी हैं। जहां पर आप रुक सकते हैं। शिवरात्रि और सोमवार के दिन इस मंदिर में खूब भीड़ होती है और दर्शन करने में घंटों लग जाते हैं।

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