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15 जनवरी तक चुनावी रैलियों पर लगी रोक, अब सिर्फ डिजिटल प्रचार का है सहारा, जानें कौन है भारी

देशभर में कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते लोगों का जीवन काफी अस्त-व्यस्त हो चुका है। कोरोना महामारी ने दुनिया भर में चुनावी प्रक्रिया पर भी गहरा दबाव डाला है। कोविड-19 की तीसरी लहर मद्देनजर चुनाव आयोग के द्वारा चुनावी रैलियों पर रोक लगा दी गई है। कोरोना के मद्देनजर भारत केंद्रीय चुनाव आयोग के द्वारा कहा गया है कि चुनाव प्रचार करते समय समय कोरोना नियमों के उल्लंघन की छूट किसी को नहीं है।

चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है। कोरोना महामारी के मद्देनजर चुनाव आयोग ने कुछ सख्त हिदायतें भी दी हैं। पांच राज्यों में घोषित विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए पार्टियों के पास डिजिटल मीडियम के प्रचार का ही रास्ता बचा है।

ऐसा माना जा रहा है कि डिजिटल माध्यम से प्रचार के विकल्प से बीजेपी को फायदा होगा क्योंकि टेक्नोलॉजी के मामले में देश के किसी भी अन्य राजनीतिक दल के मुकाबले बीजेपी सबसे आगे है। यानी कि इससे बीजेपी को अपने प्रतिस्पर्धियों को बढ़त हासिल होगी।

चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक फिजिकल रैलियों पर लगाई रोक

चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए यह कहा गया है कि कोई भी राजनीतिक दल 15 जनवरी तक फिजिकल रैलियां नहीं कर पाएगी। चुनाव आयोग के द्वारा यह कहा गया है कि जिस प्रकार से कोरोना की रफतार बढ़ रही है, उसे देख कर नहीं लग रहा है कि 15 जनवरी के बाद भी फिजिकल रैलियों का माहौल बन पाएगा।

शनिवार को चुनावों की तारीखों का ऐलान करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि 15 जनवरी तक पदयात्रा, बाइक- साइकिल रैली, रोड शो पर पाबंदी रहेगी। राजनीतिक पार्टियां डिजिटल मीडियम का ही सहारा लेकर चुनाव प्रचार करें।

कोविड आते ही बीजेपी जुट गई तैयारी में

बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के द्वारा ऐसा कहा गया है कि उनकी पार्टी 2 साल पहले कोविड-19 की महामारी शुरू होने के पश्चात से ही डिजिटल और वर्चुअल कैंपेनिंग की तैयारी में जुटी हुई है। उन्होंने “द टाइम्स ऑफ इंडिया” (ToI) से बातचीत के दौरान यह कहा कि “जमीनी स्तर के हमारे पार्टी कैडर अत्याधुनिक तकनीक में प्रशिक्षित हैं।

उन्हें पता है कि कोविड में लोगों के पास पहुंचने के लिए डिजिटल प्लैटफॉर्म्स का उपयोग किस तरह किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि “बीजेपी चुनाव प्रचार में कोरोना गाइडलाइंस का पालन करेगी।’ उन्होंने यह भी बताया कि ‘सभी पार्टी दफ्तरों में वर्चुअल कैंपेन के लिए ट्रेनिंग सेशन हो चुके हैं।”

टीएमसी भी है काफी कॉन्फिडेंट

वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन का ऐसा कहना है कि डिजिटल रैलियों में भी बड़े-बड़े स्क्रीन नहीं लगाए जा सकते क्योंकि उनसे भी भीड़ जुटेगी और कोरोना का खतरा बढ़ेगा।

उनके द्वारा ऐसा कहा गया है कि “पहली प्राथमिकता तो कोविड प्रॉटोकॉल को पूरा तवज्जो देना है। “द टाइम्स ऑफ इंडिया” से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “हम चुनाव प्रचार में अपनी रणनीति पर आगे बढ़ेंगे और ध्यान रखेंगे कि बीजेपी हमारे आइडियाज को चुरा नहीं पाए।”

इसमें बीजेपी की मौज- कांग्रेस

उधर, राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के द्वारा कहा गया है कि चुनाव आयोग को तय करना चाहिए कि चुनाव प्रचार में सबको बराबर का अवसर प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि “पीएम मोदी कई राजनीतिक रैलियां कर चुके हैं। वह 1 महीने से सभाएं कर रहे हैं और 10 से 15 बार यूपी जा चुके हैं… फंड की कमी वाली पार्टियों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, सत्ताधारी दल तो मजे में है।”

मालूम हो कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, गृह मंत्री अमित शाह जी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, एक महीने से यूपी में चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं।

15 जनवरी के बाद जताई राहत की उम्मीद

वैसे देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बीजेपी से मुकाबले में सबसे ज्यादा मजबूत दिख रही है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से यह अपील की है कि वह डिजिटल प्लैटफॉर्म्स पर छोटे राजनीतिक दलों को पर्याप्त स्पेस देना सुनिश्चित करें।

अखिलेश यादव ने यह कहा है कि आयोग को सीमित साधनों वाली छोटी पार्टियों को सहयोग करना चाहिए। वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने यह उम्मीद जताई है कि चुनाव आयोग 15 जनवरी के बाद गाइडलाइंस की समीक्षा करेगी। यानी कि कोरोना के हालात की समीक्षा के बाद अब चुनाव प्रचार को लेकर कोई निर्णय होगा।

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