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मौत के बाद भी जिंदा है मशहूर अभिनेत्री मधुबाला, आज भी मुंबई के इस गुरूद्वारे में लगाती है अरदास

जिसकी खूबसूरती देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे, जिसकी एक झलक देखने के लिए फैंस बेकरार रहते थे। जिसकी फिल्म देखने के लिए फैंस में गजब उत्साह रहता था, जिसकी एक आवाज सुनने के लिए बड़े-बड़े डायरेक्टर-निर्देशक भी इंतजार किया करते थे। जी हां.. हम बात कर रहे हैं गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री मधुबाला के बारे में।

मधुबाला की खूबसूरती पर कई लोग फिदा थे और इससे भी ज्यादा पसंद करते थे उनकी लाजवाब एक्टिंग को। मधुबाला ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘बसंत’ से की थी और अपनी पहली फिल्म से वह इंडस्ट्री में पहचान बनाने में कामयाब रही। इतना ही नहीं बल्कि उनकी शानदार एक्टिंग और खूबसूरत अदाओं ने हर किसी का दिल जीत लिया।

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बता दें, मधुबाला का असली नाम ‘मुमताज जहां देहलवी’ था लेकिन इंडस्ट्री में उन्हें मधुबाला के नाम से पहचान मिली। 14 फरवरी 1933 को जन्मी मधुबाला जितनी खूबसूरत थी उससे कहीं ज्यादा वह निजी जिंदगी में सरल और सहज स्वभाव की थी। हर किसी से प्यार से बात करना और स्टारडम का घमंड ना दिखाना, उनकी यह बात हर किसी के दिल को छू जाती थी।

बता दें, मधुबाला के चाहने वालों की कोई कमी नहीं थी बल्कि बड़े बड़े निर्देशक और अभिनेता भी उन पर जान छिड़कते थे। मधुबाला जितनी फिल्मों के लिए चर्चा में रहती थी उतनी कई ज्यादा वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी सुर्खियों में रहती थी।

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मधुबाला का नाम कई अभिनेताओं के साथ जुड़ा लेकिन सबसे ज्यादा अभिनेता दिलीप कुमार के साथ उनका अफेयर सुर्खियों में रहा। हालाँकि हिंदी सिनेमा की सुपरहिट फिल्म mughal-e-azam की शूटिंग के दौरान इन दोनों के बीच अनबन हो गई थी, फिर इनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अधूरी रह गई।

मधुबाला को लेकर एक बात कही जाती है कि वे गुरु नानक देव की बहुत बड़ी दीवानी थी और उनसे जुड़ा एक खुलासा संगीत निर्देशक एस महेंद्र ने भी किया था।

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रिपोर्ट की माने तो मधुबाला अपने फिल्म निर्माताओं से एक शर्त रख दी थी कि वह देश दुनिया में किसी भी दिन शूटिंग करने को तैयार है लेकिन गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव पर मुंबई के अंधेरी गुरुद्वारे में उनके दर्शन करने के लिए जरूर जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि मधुबाला इसके लिए ख़ास एग्रीमेंट भी तैयार करवाती थी।

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एक इंटरव्यू के दौरान एस महेंद्र से पूछा गया तो उन्होंने बताया था कि, “जब एक दिन किसी फ़िल्म के सेट पर अगले शॉट की तैयारी चल रही थी। इस दौरान खाली वक़्त में मधुबाला ने अपने पर्स में से एक छोटी-सी किताब निकाली और अपना सिर दुपट्टे से ढककर उसे पढ़ने लगीं। जब कुछ देर बाद उन्हें सीन शूट के लिए बुलाया गया तब वो अपना पर्स और वह किताब मेरे जिम्मे छोड़ शॉट देने के लिए चली गईं। जब मैनें किताब खोलकर देखी तो वह फारसी भाषा में लिखा जपुजी साहिब था।”

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इस दौरान महेंद्र सिंह ने ये भी बताया कि जब उन्होंने मधुबाला से इसके बारे में पूछा तो अभिनेत्री ने कहा था कि, “सब कुछ होने के बावजूद मैं भीतर से पूरी तरह टूट चुकी थी। तब एक दिन मेरे एक जानकार अंधेरी के गुरुद्वारे में ले गए।

दर्शन के बाद वहां के ग्रंथी को जब मेरी परेशानी के बारे में बताया तो उन्होंने रोज जपुजी साहिब का पाठ करने का सुझाव दिया। चूंकि मुझे गुरमुखी नहीं आती, लिहाज़ा मैंने फारसी भाषा में छपी यह किताब मंगवाई। तब से मैं इसे हर रोज पढ़ती हूं। वही इसको पढ़ने के बाद एक अजीब-सा सुकून व शांति मिलती है।”

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कहा जाता है कि जब मधुबाला की मौत हुई थी तो इससे पहले उन्होंने इच्छा जताई थी कि वह गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव पर लंगर में सेवा प्रदान करना चाहती है।

उन्होंने करीब 7 साल तक ऐसा किया। इसके बाद उनका निधन हो गया तो फिर यह आगे का काम उनके पिता ने किया। लेकिन कुछ दिन बाद मधुबाला के पिता का भी देहांत हो गया। इसके बाद गुरुद्वारा कमेटी और वहां के श्रद्धालुओं ने यह फैसला किया कि भले ही मधुबाला और उनके पिता इस दुनिया में ना हो लेकिन हमेशा उनकी श्रद्धा इस गुरुद्वारे में रहेगी।

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अब आलम यह है कि जब भी गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव होता है तो वहां पर श्रद्धालु अरदास में मधुबाला को लेकर कहते हैं कि, ‘है पातशाह, आपकी बच्ची मधुबाला की तरफ से लंगर-प्रशाद की सेवा हाजिर है, उसे अपने चरणों से जोड़े रखना।’ यानी कि मधुबाला भले ही इस दुनिया को अलविदा कह गई है लेकिन गुरुद्वारे में आज भी जीवित है।

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बता दें, मधुबाला जब 36 साल की थी तब उन्हें पता चला कि उनके दिल में छेद है। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें बता दिया था कि वह चंद दिनों की ही मेहमान है। इसके बाद मधुबाला ने 23 फरवरी 1976 को मुंबई में दुनिया को अलविदा कह दिया।

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