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…तो इसलिए हिंदू से मुस्लिम बने ए आर रहमान, जानिए क्यों आत्महत्या करना चाहते थे सिंगर?

संगीत की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले मशहूर संगीतकार ए आर रहमान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम रखते हैं। उनके गाने और संगीत की पूरी दुनिया दीवानी है। 6 जनवरी 1967 को तमिलनाडु में जन्मे ए आर रहमान गोल्डन ग्लोब अवार्ड से लेकर नेशनल अवार्ड तक का खिताब अपने नाम कर चुके हैं।

बहुत कम लोग जानते हैं कि ए आर रहमान मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू है लेकिन उन्होंने मुस्लिम धर्म अपना लिया। आइए जानते हैं ए आर रहमान के हिंदू से मुस्लिम होने की कहानी और उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें?

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संगीत की दुनिया में सफलता हासिल करना ए आर रहमान के लिए इतना आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किए, इसके बाद वह संगीत के बादशाह बन पाए। बता दें, ए आर रहमान अपने करियर में अभी तक 2 बार ऑस्कर अवार्ड, ग्रैमी अवॉर्ड, 6 बार नेशनल फिल्म अवार्ड, 1 गोल्डन ग्लोब अवार्ड, 1 बाफ्टा अवार्ड, 15 फिल्म फेयर अवार्ड और साउथ इंडियन फिल्मों के लिए करीब 17 अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है।

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बता दें, ए आर रहमान का असल नाम दिलीप कुमार है। कहा जाता है, एक बार ए आर रहमान की बहन बहुत बीमार हो गई थी। डॉक्टर ने भी बचाने की उम्मीद छोड़ दी थी। इसके बाद ए आर रहमान ने कई मस्जिदों में अपनी बहन के लिए दुआ मांगी। इस दौरान उनकी बहन पूरी तरह ठीक हो गई।

इसके बाद ही ए आर रहमान ने अपना धर्म बदलने का फैसला लिया। फिर दिलीप कुमार से बदलकर उन्होंने अपना नाम अल्लाह रखा रहमान उर्फ ए आर रहमान रख लिया।

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ए आर रहमान को संगीत विरासत में मिला है। उनके पिता आरके शेखर मलयाली फिल्मों में संगीत दिया करते थे। बचपन से ही रहमान को संगीत का खुमार चढ़ गया था। इसके बाद उन्होंने अपने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से ली। लेकिन रहमान जब 9 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। ऐसे में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा जिसके चलते उन्होंने अपने म्यूजिक इन्सट्रूमेंट्स भी बेच दिए थे।

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इस दौरान रहमान ने अपने बचपन के दोस्त शिवमणि के साथ की-बोर्ड बजाने का काम किया। फिर धीरे-धीरे ए आर रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया और पहली बार उन्हें साल 1992 में रिलीज हुई मशहूर डायरेक्टर मणि रत्नम की फिल्म ‘रोजा’ में संगीत देने का मौका मिला।

पहली फिल्म से रहमान छा गए और उन्हें अपने संगीत के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। इस फिल्म के बाद रहमान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह अवार्ड पर अवार्ड हासिल करते चले गए। रिपोर्ट की मानें तो रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी ज्यादा रिकॉर्डिंग मार्केट में बिक चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि आज उनका नाम दुनिया के टॉप 10 कंपोजर्स में लिया जाता है।

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कहा जाता है कि रहमान जब 25 साल के थे तब उनके दिमाग में हमेशा खुदकुशी करने के ख्याल आते थे। उनका कहना था कि वह हमेशा खुद को असफल मानते थे, ऐसे में उन्हें यही लगता है कि अब उन्हें नहीं जीना चाहिए। लेकिन फिल्म रोजा में संगीत देने के बाद उन्होंने कामयाबी हासिल कर ली। बता दें, 12 मार्च 1995 को रहमान ने सायरा बानो से शादी रचाई। इनकी दो बेटियां हैं और एक बेटा है।

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