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राष्ट्रवादी अर्णव गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, विरोधियों ने जमानत रोकने को चली थी चाल

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी इन दिनों न्यायिक हिरासत में हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को सख्त सन्देश देते हुए अर्णव गोस्वामी को तुरंत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। इस बीच बीते मंगलवार सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने अर्नब की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने की मांग की थी। अब इस पर सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी का रिएक्शन आया है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि – एक बार फिर मेरे मित्र दुष्यंत दवे न्यायपालिका पर प्रशांत भूषण की तरह कीचड़ फेंक रहे हैं। उन्हें ये जरा भी समझ नहीं आया कि इस मामले को इस कारण सूचीबद्ध किया गया है क्योंकि ये देखने में गिरफ़्तारी का एक भ्रष्ट मामला लग रहा है। इसके ऊपर तुरंत ध्यान देने कि आवश्यकता है।


उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा – उनके संरक्षक द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले (जो जांच होने के बाद बंद हो गया था) से उसकी तुलना सार्वजनिक लूट और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे बड़े अपराधों से करना एक घिनौना काम है। अब समय आ गया है कि दुष्यंत अपना मुखौटा उतारें और बताएं कि वे किस के लिए काम करते हैं।


बताते चलें कि दुष्यंत दवे ने एससी के महासचिव को लिख अर्नब की जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का विरोध किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर आरोप लगाया कि वे र पिछले 8 महीनों से सिर्फ चुनिंदा मामलों को सूचीबद्ध कर रहे हैं।

इसके पहले सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें सेशन कोर्ट में अपील करने का विकल्प दिया था। हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि सेशन कोर्ट को चार दिन के अंदर इस मामले पर फैसला सुनाना होगा।

गौरतलब है कि अर्नब गोस्वामी को चार नवंबर को 2018 के एक बंद हुए केस में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। पहले वे अलीबाग कोर्ट में पेश हुए थे जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। चार दिन अलीबाग क्वारंटाइन सेंटर में रहने के बाद 8 नवंबर को उन्हें तलोजा जेल शिफ्ट किया गया।

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