जानिए कौन था ब्रह्मचारी हनुमान जी का बेटा, पसीने की बूंद से हुआ था जन्म, पढ़ें रोचक कथा
जैसा कि हम सभी लोग यह भली-भांति जानते हैं कि हनुमान जी भगवान श्री राम जी के परम भक्त हैं और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भगवान श्री राम जी की सेवा में व्यतीत किया। हर कदम पर हनुमान जी अपने प्रभु के रक्षक बने रहे। भगवान श्री राम जी की सेवा के लिए हनुमान जी ने पूरे जीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया और यह कभी भी पारिवारिक जीवन में नहीं पड़े परंतु शायद ही आप लोगों को इस बात का पता होगा कि आजीवन ब्रह्मचारी रहे हनुमान जी का एक बेटा भी था जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा।
महाबली हनुमान जी सबसे बलशाली देवता हैं और उन्होंने समुंद्र को एक छलांग में ही लांघ दिया थ,। सोने की लंका को भी बजरंगबली ने जलाया था। इसी प्रकार से हनुमान जी से जुड़ी हुई बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं परंतु हनुमान जी के पुत्र के जन्म की कथा के बारे में शायद बहुत कम लोगों को ही पता होगा। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से हनुमान जी का पुत्र कौन है और उसका जन्म कैसे हुआ था? इसके बारे में बताएंगे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण भगवान श्री राम जी से युद्ध में हार गया तो उसने पाताल लोक के स्वामी अहिरावण को श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण करने के लिए मजबूर कर दिया था। आपको बता दें कि अहिरावण अत्यंत मायावी राक्षस राजा था और उसने महाबली हनुमान जी का रूप धारण किया, जिसके बाद उसने श्री राम और लक्ष्मण जी का अपहरण कर लिया और उनको पाताल लोक ले गया था।
अहिरावण में जब अपनी मायावी शक्तियों से हनुमान जी का रूप धारण करके श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया तो उसके बाद भगवान श्री राम जी के शिविर में इस बात की जानकारी सबको लगी और वहां पर हाहाकार मच गया। सभी लोग भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी की खोज में लग गए। बजरंगबली भी अपने प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी की तलाश करते रहे और उनको ढूंढते ढूंढते वह पाताल लोक में जाने लगे।
जब महाबली हनुमान जी पाताल लोक की तरफ बढ़े तो वहां पर सात द्वार थे और पाताल लोक के हर द्वार पर एक पहरेदार पहरा दे रहा था। महाबली हनुमान जी ने सभी पहरेदारों को युद्ध में परास्त कर दिया था परंतु जब हनुमान जी पाताल लोक के अंतिम द्वार पर गए तो उनका सामना उन्हीं के समान बलशाली एक वानर पहरेदार से हुआ। जब महाबली हनुमान जी ने वानर को देखा तो वह आश्चर्य में पड़ गए क्योंकि वह वानर दिखने में एकदम उन्हीं के जैसा था। तब महाबली हनुमान जी ने उस वानर से परिचय पूछा तो उसने अपना नाम मकरध्वज बताया और उस वानर ने अपने पिता का नाम हनुमान बताया था।
जब मकरध्वज के मुंह से हनुमान जी ने पिता के रूप में अपना नाम सुना तो वह बहुत ज्यादा क्रोधित हो गए थे। महाबली हनुमान जी ने मकरध्वज से बोला यह असंभव है क्योंकि मैं आजीवन ब्रह्मचारी रहा हूं। उसके बाद मकरध्वज ने बताया कि जब हनुमान जी लंका जलाकर समुंदर में आग बुझाने के लिए कूदे थे तब उनके शरीर का तापमान अत्यधिक था। जब वह सागर के ऊपर थे, तब उनके शरीर के पसीने की एक बूंद सागर में गिर गई जिसे एक मकर ने पी लिया था और उसी पसीने की बूंद से वह गर्भावस्था को प्राप्त हो गई जिसके बाद मकरध्वज का जन्म हुआ।
मकरध्वज ने अपनी पूरी कथा हनुमान जी को सुनाई थी, जिसके बाद हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर श्री राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया। बाद में भगवान श्रीराम ने मकरध्वज को ही पाताल का नया अधिपति नियुक्त कर दिया।