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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे तेजी से हो रहे शिकार, ज़्यादातर बच्चों में पाए गए यह लक्षण

कोरोना वायरस ने एक बार फिर देशभर में तांडव मचाना शुरू कर दिया है। तीसरी लहर बेकाबू हो चुकी है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में बच्चे तेजी से आ रहे हैं। उन्हें सर्दी-जुकाम, कफ वाली खांसी और तेज बुखार के लक्षण भी हैं, इसके बावजूद बच्चे घर पर रहकर ही दो से तीन दिन में कोरोना हराकर स्वस्थ हो रहे हैं।

24 घंटों में इतने मामले

बता दें देश में पिछले 24 घंटों में देशभर में कोविड-19 के 3,47,254 नए केस दर्ज किए गए। वहीं, साथ ही 703 मरीजों की मौतें दर्ज की गई हैं। देश में अब तक कुल 4,88,396 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। नए मामलों में तेजी से एक्टिव मामले में भी उछाल देखा जा रहा है और यह आंकड़ा बढ़कर 20 लाख के पार पहुंच गया है। भारत में कोरोना के एक्टिव केस बढ़कर 20,18,825 हो गए। एक्टिव केस कुल मामलों के 5।23 प्रतिशत पर पहुंच गए हैं। वर्तमान में रिकवरी रेट 93।50 प्रतिशत है।

डॉक्टरों ने दी यह सलाह

जानकारी के मुताबिक, अस्पतालों की ओपीडी में 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी पहुंच रहे हैं। इनमें 25 फीसद बच्चों में सर्दी-जुकाम, खांसी व बुखार के लक्षण हैं। इन्हें ओपीडी में घर में ही होमआइसोलेट रहने की सलाह दी जा रही है। डाक्टरों के अनुसार राहत की बात यह है कि वायरस इस बार गले से नीचे नहीं उतर रहा, इसलिए फेफड़ों पर कोई प्रभाव भी नहीं डाल रहा है।

शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि, बच्चे बीमार तो पड़ रहे हैं, उन्हें तेज बुखार व कफ के साथ खांसी की शिकायत भी आ रही है। वह अस्पताल में भर्ती हुए बिना घर पर ही दो-तीन दिन उपचार लेकर ठीक हो रहे हैं। अब तक किसी भी बच्चे का सीटी स्कैन व एक्सरे तक कराने की जरूरत महसूस नहीं हुई। मरीज को भर्ती नहीं करना पड़ा तो आक्सीजन की जरूरत भी नहीं पड़ी। तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक बताई जा रही थी। बच्चे संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन इनमें से किसी भी बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ी।

क्या है बच्चों में कोविड के लक्षण

  • बच्चों में कोविड के लक्षण के तौर पर तेज बुखार, उल्टी और दस्त होना शामिल है।
  • बच्चों के बुखार, गले में खराश, बहती नाक और खांसी पर परिजन नजर रखें।
  • कुछ बच्चों में निमोनिया, तेजी से सांस लेने और ऑक्सीजन सैचुरेशन का लेवल कम होना भी लक्षण हो सकता है।
  • बिना परामर्श के बच्चों को दवाओं का सेवन न कराएं।
  • चेहरे पर मास्क जरूरी लगाएं, सैनिटाइजर का उपयोग करें।

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