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अमरनाथ गुफा में कबूतर का एक जोड़ा सदियों से है मौजूद, जानिए क्या है इसका रहस्य

हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है परंतु कुछ देवी-देवता ऐसे हैं जो सबसे अधिक पूजनीय हैं। इन्हीं में से हिंदुओं के प्रमुख देवता भगवान शिव जी हैं। भगवान शिव जी के मंदिर भारत के लगभग हर क्षेत्र की गली-गली में देखने को मिलते हैं। वहीं कुछ बहुत से प्राचीन तीर्थ स्थल भी मौजूद हैं। भगवान शिव जी के इन तीर्थ स्थलों में कई रहस्य छुपे हुए हैं, जिसके बारे में आज तक लोगों को पता नहीं है।

हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक अमरनाथ गुफा भी है, जहां पर आस्था में विश्वास रखने वाला हर व्यक्ति जाना चाहता है। इसे भगवान शिव जी की सबसे खास जगह में से एक माना गया है। अमरनाथ धाम एक ऐसा शिव धाम है, जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी साक्षात अमरनाथ गुफा में विराजमान हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

अमरनाथ गुफा में सदियों से मौजूद है कबूतर का एक जोड़ा

अमरनाथ गुफा में बहुत से रहस्य रहस्य छुपे हुए हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी है। अमरनाथ के इस पावन गुफा में बर्फीली बूंदों से बनने वाले इस हिम शिवलिंग को दैवीय चमत्कार के रूप में भी माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि इस गुफा में कबूतर का एक जोड़ा सदियों से मौजूद है। क्या आप लोगों को यह बात मालूम है कि आखिर इस गुफा में भगवान शिव जी कैसे पधारे थे? इसके साथ ही इस गुफा में मौजूद कबूतर के जोड़े का क्या रहस्य है? अगर आप नहीं जानते हैं, तो आज हम आपको यह रहस्य बताने जा रहे हैं।

अमरनाथ गुफा में ही शिव ने सुनाई थी मां पार्वती को अमर रहने की कथा

आपको बता दें कि अमरनाथ गुफा में ही भगवान शिव जी ने माता पार्वती को अमर रहने की कथा सुनाई थी। दरअसल, एक बार माता पार्वती जी ने महादेव से यह सवाल पूछा था कि ऐसा क्यों है कि आप अजर-अमर हैं और आपके गर्दन में पड़ी नरमुंड की माला का क्या रहस्य है? इस पर भगवान शिव जी ने माता पार्वती के सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा। इसलिए उन्होंने उस बात को टालने का प्रयास किया परंतु माता पार्वती जी भी जिद पर अड़ी रहीं, जिसकी वजह से महादेव ने इस रहस्य को बताना स्वीकार कर लिया।

महादेव को थी एक एकांत जगह की जरुरत

माता पार्वती जी के द्वारा पूछे गए सवाल का रहस्य बताने के लिए भगवान शिव जी को एक एकांत जगह की जरूरत थी, जिसे तलाश करते हुए वह माता पार्वती को लेकर आगे बढ़ते चले गए। गुप्त स्थान की तलाश में भगवान शिव जी ने अपने वाहन नंदी को सबसे पहले छोड़ा। नंदी जिस जगह पर छोटा उसे ही पहलगाम कहते हैं, जहां से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है। यहां से कुछ आगे जाने पर भगवान शिव जी ने अपने माथे से चंद्रमा को अलग कर दिया, वह जगह चंदनवाड़ी कहलाती है।

महादेव ने इसके बाद गंगा जी को पंचतरणी में और गले के सांपों को शेषनाग पर छोड़ दिया, जिस वजह से इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। अमरनाथ यात्रा का अगला पड़ाव गणेश टॉप है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव जी ने अपने पुत्र गणेश को छोड़ा था। इस प्रकार इन पांचो चीजों को पीछे छोड़ने के बाद भगवान शिव जी ने माता पार्वती जी के साथ उस गुफा में प्रवेश किया। इसमें कोई भी तीसरा प्राणी इसमें प्रवेश ना कर पाए इसलिए भगवान शिव जी ने गुफा के चारों और अग्नि प्रज्वलित कर दी, जिसके बाद महादेव ने जीवन के उस गूढ़ रहस्य की कथा माता पार्वती जी को सुनानी शुरू की।

कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को आ गई नींद

जब भगवान शिव जी माता पार्वती जी को कथा सुना रहे थे तो ऐसा माना जाता है कि उस दौरान कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई। उस समय वह कथा दो सफेद कबूतर सुन रहे थे। जब कथा समाप्त हुई और भगवान शिव जी का ध्यान माता पार्वती जी पर गया, तो उन्होंने पार्वती जी को सोया हुआ पाया। तब महादेव की नजर उन दोनों कबूतरों पर पड़ी, जिसे देखते ही महादेव को उन पर बहुत ज्यादा क्रोध आ गया था।

ऐसा बताया जाता है कि दोनों कबूतर महादेव के पास गए और उन्होंने बोला कि हमने आपकी अमर कथा सुनी है। यदि आप हमें मार देंगे तो आपकी कथा झूठी हो जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि इस पर महादेव ने उन कबूतरों को वर दिया कि वह सदैव उस स्थान पर शिव और पार्वती के प्रतीक के रूप में रहेंगे।

बता दें हर वर्ष अमरनाथ यात्रा के दौरान यह कबूतर अमरनाथ की गुफा में देखने को मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि अमरनाथ गुफा में अगर इन कबूतरों का जोड़ा दिख जाए तो श्रद्धालुओं की अमरनाथ यात्रा सफल हो जाती है और उनकी हर इच्छा पूरी होती है।

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