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बेसहारा आदमी को रोजाना खाना खिलाने लगी लड़की, जब उसकी सच्चाई पता चली तो पैरों में गिर पड़ी

20 साल की स्वाति कई सालों से इस रेस्टोरेंट में काम कर रही थी। स्वाति मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की है। वह रेस्टोरेंट में नौकरी कर अपनी कॉलेज की फीस भरती थी। स्वाति दिल की बहुत अच्छी साफ हैं। वह जब भी किसी गरीब जरूरतमंद व्यक्ति को देखती तो उसकी मदद जरूर करती।

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स्वाति रोजाना की तरह रेस्टोरेंट जा रही थी, और तभी उसे बाहर एक बेसहारा आदमी दिखा जो एक तरफ अकेले बैठा हुआ था। स्वाति ने उसे देखा और अंदर चली गई। अगले दिन फिर वो आदमी वहीं नजर आया। ये सिलसिला दो-तीन दिन तक चलता रहा।

फिर एक दिन साराह को उस व्यक्ति पर दया आ गई और उसने रेस्टोरेंट से घर जाते समय उस व्यक्ति को खाना दे दिया। अगले दो-तीन दिन तक साराह घर जाते समय रसोई का बचा हुआ खाना उस व्यक्ति को देते हुई जाती थी।

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जब से उस व्यक्ति को पता चला कि यह युवती उसके प्रति कितनी दयालु है तो वह रोजाना रेस्टोरेंट के पास ही आकर बैठ जाता था। वो दोनों एक-दूसरे को इतनी बार मिले कि समय के साथ उन दोनों के बीच एक बहुत ही गहरा बंधन बन गया। स्वाति रोज उस व्यक्ति से बातचीत करती थी और ऐसे ही उस बेघर आदमी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी।

वह व्यक्ति वहां किसी से भी भीख नहीं मांगता था लेकिन बस उसे वहीं रहना पसंद था। अब हर शाम वो स्वाति का इंतजार करने लगा था। दोनों मिलकर कंपनी, बॉस और काम को लेकर ही बात किया करते थे। एक दिन जब अपने लेक्चर के बाद स्वाति रेस्टोरेंट में जा रही थी, तो उसे वह पस्त आदमी फिर से दिखाई दिया।

हर बार की तरह इस बार भी स्वाति उस आदमी को कहते हुए गई, ‘शाम को मिलते हैं रोशन…’

रात के 10 बज गई। शिफ्ट खत्म होते ही स्वाति ने थककर अपना एप्रन उतारा और उसे काउंटर पर फेंक दिया। फिर उसने फटाफट खाना पैक किया। दरवाजे से बाहर कदम रखते ही उसने अपनी सहकर्मी से कहा, “कल मिलते हैं!” लेकिन बाहर आकर स्वाति की आंखें तब फटी की फटी रह गई जब उसने देखा कि रोशन रोजाना जिस स्थान पर बैठा मिलता है आज, वहां था ही नहीं।

स्वाति ने घबराकर इधर-उधर देखा तो उसकी नजर एक गली पर पड़ी। जब स्वाति ने ध्यान से देखा तो वहां गली में दीवार के सहारे रोशन खड़ा नजर आया। उसने स्वाति को इशारा कर अपनी ओर आने का कहा…

स्वाति रोशन को बुलाते हुए देख अचानक से झिझकी। क्योंकि रोजाना तो रोशन स्वाति को देखते ही मुस्कुराता था और खुश हो जाया करता था लेकिन उस दिन रोशन के हाव-भाव बदले हुए नजर आ रहे थे। इस बार रोशन पूरी तरह से बदला हुआ था और बस वो स्वाति को अपनी तरफ बुला रहा था। स्वाति रोशन के इस रूप को देखकर सहम-सी गई थी।

रोशन लगातार स्वाति को बुला रहा था। स्वाति के मन में यही सवाल घूम रहा था कि वो जाए या नहीं। इसी उलझन में रहते हुए स्वाति अचानक रोशन की ओर चल पड़ी। लेकिन उसे मन ही मन यह लग रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है। फिर भी घबराते हुए स्वाति गली की तरफ चली जा रही थी।

जैसे ही स्वाति रोशन के थोड़ा करीब पहुंची तो वह फुसफुसाया, “जल्दी यहाँ आओ, मुझे तुमसे कुछ कहना है…” लेकिन स्वाति रोशन से दूरी बनाकर रखने की कोशिश में लगी थी। हालांकि, फिर भी वो रोशन की तरफ बढ़ने लगी। स्वाति का दिल जोर से धड़क रहा था। वह बस यही सोच रही थी कि, वह रोशन के करीब जाकर सही कर रही है या गलत? यदि रोशन ने अँधेरे का फायदा उठाकर उसके साथ कुछ गलत कर दिया तो….

फिर भी स्वाति ने अपनी किस्मत आज़माने का फैसला किया, क्योंकि उसे लगा कि रोशन हमेशा बहुत अच्छा व्यव्हार करता था और उसे देखकर ऐसा नहीं लगता था कि वह किसी को नुकसान पहुंचाएगा। धीरे-धीरे स्वाति के कदम रोशन की ओर बढ़ रहे थे। रोशन भी स्वाति को जल्दी अपने पास बुला रहा था और बस यही कह रहा था कि, ‘जल्दी करो, इससे पहले कि कोई तुम्हें देख ले!’

जैसे ही स्वाति रोशन के पास पहुंची तो वह फुसफुसाया, “तुम्हें मेरे लिए कुछ करना होगा!”

रोशन के इस रवैये को देख स्वाति हैरान रह गई और वह तुरंत वहां से भागने की कोशिश करने लगी। लेकिन तभी रोशन ने उसे रोक लिया। फिर उसने बताया कि आखिर वो हैं कौन और क्या करता है?

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स्वाति रोशन की सभी बात सुन अपने आप को कोसने लगी और बस यही सोचने लगी कि वह उसके जाल में कैसे फंस सकती है? लेकिन उसके पास चिंता करने का समय नहीं था। अब कार्रवाई करने का समय आ गया था। स्वाति रोशन के साथ रेस्टोरेंट की और चली गई। फिर जैसे ही उन दोनों ने रेस्टोरेंट का दरवाजा खोला तो रोशन तेजी से अंदर घुसा और अपनी जेब से उसने एक बैज निकाला और कहा, अपने हाथ ऊपर करलो!

रेस्टोरेंट के अंदर सिर्फ स्वाति का बॉस था और वह बहुत डरा हुआ लग रहा था। लेकिन किसी निर्दोष की तरह अपने हाथों को हवा में उठाने के बजाय, उसने वहां से दौड़ने का सोचा। यह सीन बिलकुल फ़िल्मी लग रहा था। इधर स्वाति पर यही सोच में पड़ी थी कि, उसका बॉस एक साधारण रेस्टोरेंट का मालिक था। वह अपराधियों की सूची में नहीं हो सकता, या क्या फिर ऐसा हो सकता है? उसने क्या गलत किया होगा?

इधर रोशन अचानक से सही तरह से चलने लगा था, और वह सही समय पर उसे काबू करने में कामयाब हो पाया और फिर हेरोल्ड ने रेस्टोरेंट के मालिक को हथकड़ी लगा दी। फिर बाद में उसने स्वाति को बताया कि वह महीनों से इस रेस्टोरेंट पर गुप्त तौर से नज़र रखे हुआ था क्योंकि उसे इस बात का शक था कि यहां बड़ी मात्रा में धन का शोधन (Money laundering) किया जा रहा था।

फिर रोशन ने स्वाति द्वारा मिली मदद के लिए उसे धन्यवाद किया। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती और गहरी हो गई और स्वाति रोशन की पर्सनल असिस्टेंट बन गई और उसने उसके कई अन्य मामलों को सुलझाने में भी उसकी मदद की। इस दौरान स्वाति ने जो भी पैसे कमाए वो उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगा दिए। फिर स्वाति ने क्राइम साइंस की पढ़ाई की और बाद में उसने FBI की पूर्ण सदस्य के रूप में पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त की।

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