क्यों जूतों और चपल्लों से पीटा जाता है किन्नर का शव? ये हैं किन्नरों की जिंदगी से जुड़ काले सच
किन्नर… एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर लोग थोड़ा असहज महसूस करते हैं। कई लोग तो इनके बारे में बहुत कुछ गलत भी सोचते हैं। लेकिन किन्नर की दुआओं में बहुत असर होता है। कहा जाता है कि जब किन्नर की दुआ किसी को लग जाए तो उसकी काया पलट जाती है। किन्नर के द्वारा दी गई दुआ कभी खाली नहीं जाती, यही वजह है कि किसी शुभ काम में किन्नरों से मिला आशीर्वाद बहुत ही मायने रखता है। जबकि इनकी बद्दुआ कभी नहीं लेना चाहिए। किन्नर की बद्दुआ इंसान को बुरे समय में भी धकेल देती है। वहीं पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार किन्नरों के पीछे भगवान राम का वरदान है।
कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के लिए गए थे तब उनके साथ किन्नरों ने भी जाने की जिद की थी। हालांकि भगवान राम ने उन्हें साथ ले जाने से इनकार कर दिया और वही इंतजार करने के लिए कहा। किन्नर भी प्रभु श्रीराम की बात मानकर वहीं रुक गए। लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह थी कि जब भगवान राम 14 साल के बाद वनवास काटकर आए तो किन्नर उसी जगह पर खड़े हुए थे जहां पर प्रभु राम ने उन्हें रोका था।
ऐसे में श्रीराम किन्नरों की भक्ति से इतने खुश हुए थे कि उन्होंने किन्नरों को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि उनका आशीष कभी भी खाली नहीं जाएगा। बस यही वजह है कि किन्नरों से मिला आशीर्वाद सुखद फल देता है। आइए जानते हैं किन्नरों की जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने राज जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
सबसे पहले तो हम आपको यह बताना चाहेंगे कि आखिर किन्नर संतान की उत्पत्ति कैसे होती है? ज्योतिष के अनुसार कहा जाता है कि वीर्य की अधिकता से पुत्र पैदा होता है बल्कि (रज) रक्त की अधिकता से बेटी पैदा होती है। लेकिन जब वीर्य और रज बराबर हो तो किन्नर संतान पैदा होती है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध, शनि, शुक्र और केतु के अशुभ योग बन रहे हो तो वह व्यक्ति भी किन्नर या नपुंसक हो सकता है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि शिखंडी ही किन्नर का रूप है। शिखंडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में हरा दिया था। किन्नरों को लेकर एक मान्यता यह भी है कि ब्रह्मा जी की छाया से ही इनकी उत्पत्ति हुई है, जबकि अरिष्ठा और कश्यप ऋषि से भी किन्नरों की उत्पत्ति मानी जाती है।
कहा जाता है कि किन्नर जिंदगी भर आविवाहित रहते हैं, हालांकि ये विवाह जरूर करते हैं लेकिन सिर्फ उनका विवाह एक दिन का ही होता है। वे अपने आराध्य देव अरावन से शादी रचाते हैं। किन्नरों की शादी ना होने का कारण बताया जाता है कि यदि वे किसी से शादी करते हैं तो अगले ही दिन उनके पति की मौत हो जाती है। यही वजह है कि किन्नर सारा जीवन अविवाहित रहते हैं।
किन्नरों से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि, यदि इनके समुदाय में किसी की मौत हो जाती है तो यह उसका अंतिम संस्कार रात के अंधेरे में ही पूरा कर देते हैं। इतना ही नहीं बल्कि ये शव को जूतों और चप्पलों से भी पीटते हैं। इसके पीछे कहा जाता है कि ऐसा करने से मृतक को मुक्ति मिलती है और वह दूसरे जन्म में किन्नर पैदा नहीं होता है।
पुराने जमाने में राजा महाराजाओं के यहां किन्नर नाच गाना करते थे और इसी से अपना जीवन यापन करते थे। आज भी यही परंपरा है किन्नर हर खुशी के मौके पर शामिल होते हैं। किन्नर जब अपने समुदाय में किसी नए व्यक्ति को शामिल करते हैं तो उसके लिए बहुत सारे रीति रिवाज का पालन किया जाता है, तभी उनके समुदाय में नया व्यक्ति शामिल हो सकता है।
पुरानी मान्यता के अनुसार यदि किन्नरों को कोई स्टील के बर्तन, पुराने कपड़े, प्लास्टिक की चीजें और तेल देते हैं तो उनके घर में अशुभ फल हो सकता है। ऐसे में ध्यान रखें कि इन चीजों को कभी भी किन्नरों को भेंट ना करें। जबकि किन्नरों को खुश करने के लिए लाल साड़ी या फिर अन्न का दान कर सकते हैं। कहा जाता है कि, इसके दान से घर में प्रेम बढ़ता है और परिवार भी खुशहाल रहता है।