विशेष

पति की मौत के बाद कुली बनकर पाल रही हैं बच्चों का पेट, संध्या की कहानी जानकर आंखें हो जाएंगी नम

आजकल के समय में महिला हो या पुरुष दोनों एक समान माने जाते हैं। आजकल महिलाएं भी हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। बहुत से क्षेत्रों में महिलाएं देश के साथ-साथ परिवार वालों का भी नाम रोशन कर रही हैं। अक्सर कई लोगों का ऐसा सोचना है कि महिलाएं कमजोर होती हैं परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। असल मायने में देखा जाए तो महिलाएं बहुत ज्यादा मजबूत होती हैं। अगर महिला कुछ करने की ठान ले तो वह उस काम को किए बिना पीछे नहीं हटती हैं।

हमको आए दिन ऐसी बहुत सी खबरें सुनने को मिल जाती हैं, जिसमें महिलाएं कुछ ऐसा कर देती हैं, जिसकी तारीफ पूरा देश करता है। आज हम आपको संध्या मारावी की कहानी बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। दरअसल, बुंदेलखंड की बेटी संध्या मारावी ने कुली बनकर महिला सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण पेश किया है।

मिली जानकारी के अनुसार, संध्या मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर 65 पुरुष कुलियों के बीच अकेली महिला कुली के रूप में कार्य करती हैं। संध्या को देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। आप सभी लोगों ने सभी रेलवे स्टेशनों पर ज्यादातर पुरुष कुली ही समान ढोने के लिए देखा होगा। वहीं कुछ बड़े बड़े रेलवे स्टेशनों पर महिला कुली भी देखने को मिल जाती हैं परंतु संध्या को कुली का काम मजबूरी में करना पड़ रहा है। संध्या कुली बनकर अपने बच्चों और परिवार का पेट पाल रही हैं।

खबरों के अनुसार, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के कुंडम गांव की रहने वाली संध्या मारावी के पति का नाम भोलाराम था। साल 2015 तक संध्या के जीवन में सब कुछ ठीक प्रकार से चल रहा था। वह अपने पति और बच्चों के साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रही थीं। आपको बता दें कि संध्या के पति पेशे से मजदूर थे और वही घर में अकेले कमाने वाले थे। घर की दाल-रोटी संध्या के पति की कमाई से ही चल रही थी परंतु अचानक ही साल 2016 में उनके पति का निधन हो गया।

ऐसा बताया जा रहा है कि संध्या के पति भोलाराम काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई थी। जब संध्या के पति का निधन हुआ तो उसके बाद मानो उनके जीवन पर दुखों का पहाड़ टूट गया हो। एकदम से संध्या के कंधों पर घर की पूरी जिम्मेदारी आ गई। उनके सामने घर का खर्च चलाने की सबसे बड़ी चुनौती थी।

संध्या के तीन बच्चे हैं। बच्चों के सिर से भी पिता का साया उठ गया। पति के निधन के बाद संध्या अपना होश खो बैठी थीं परंतु उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और उन्होंने ठान लिया कि वह खुद काम करके अपने बच्चों का पेट पलेंगी। इस मुश्किल समय का संध्या ने मजबूती के साथ सामना किया और उन्होंने तय किया कि वह कुली बनेंगी।

संध्या ने समाज की परवाह ना करते हुए अपना कदम आगे बढ़ाया और 2017 में अपना काम शुरू कर दिया। आज संध्या इलाके भर के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वह काम करने के लिए रोज घर से 45 किलोमीटर का सफर तय कर कटनी रेलवे स्टेशन पहुंचती हैं। ताकि अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उनका भविष्य सुधार पाएं। संध्या के जीवन में बहुत सी कठिनाइयां उत्पन्न हुईं परंतु उन्होंने मजबूती के साथ हर कठिनाई का सामना किया।

Related Articles

Back to top button