धार्मिक

आखिर क्यों प्रिय है भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख का श्रृंगार, जानें…

हिन्दू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। इस बार भी हर बार की तरह बड़े ही धूम-धाम से जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह पर्व केवल भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में रहने वाले हिन्दू धर्म के अनुयायी मनाते हैं। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। स्मार्ट सम्प्रदाय के अनुसार जन्माष्टमी 14 अगस्त को और वैष्णव संप्रदाय के अनुसार15 अगस्त को मनाई जाएगी।

मथुरा का नजारा नहीं होता किसी स्वर्ग से कम:

इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है और झांकियां निकाली जाती है साथ ही मंदिरों में रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन मथुरा और गोकुल में बड़े धूम-धाम से यह पर्व मनाया जाता है। आज के दिन वहाँ का नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं होता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा पर्व है जो देश के कुछ जेलों में भी मनाई जाती है।

क्यों करते हैं मोर पंख से श्रृंगार:

अक्सर आपने भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख से श्रृंगार करते हुए देखा होगा। कुछ लोग तो इसके बारे में जानते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है। दरअसल भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख बहुत ही ज्यादा पसंद था। आप उनकी किसी भी फोटो में देख सकते हैं कि उनके माथे पर मोर पंख जरुर लगा रहता है। कहा जाता है कि वह प्रेम में ब्रह्मचर्य की भावना को समाहित करने के लिए प्रेम के प्रतिक के रूप में मोर पंख धारण करते थे। इसी वजह से उनका मोर पंख से श्रृंगार किया जाता है।

जन्माष्टमी व्रत:

बहुत लोग इस दिन जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार जो व्यक्ति श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखता है उसे पुरे जीवनभर कभी भी धन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। उसके पास हमेशा लक्ष्मी स्थिर बनी रहती हैं। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। केवल यानि नहीं व्यक्ति के बिगड़ते हुए काम भी बनाने लगते हैं।

व्रत विधि:

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण भक्त पुरुष और महिलाएँ पुरे दिन उपवास रखते हैं। इस दौरान वह अन्न का एक दाना भी नहीं खाते हैं। कुछ लोग तो जल भी नहीं पीते हैं। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का दूध, जल, फूल और घी से अभिषेक किया जाता है। मध्यरात्रि में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है तो उसके बाद ही लोग अपना व्रत तोड़ते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में धनिये से बनी हुई पंजीरी का बहुत ज्यादा महत्व होता है।

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