इस शख्स ने कबाड़ से ढूँढा अनोखा आइडिया, अब 40 देशों में फैला 35 करोड़ का व्यापार

मनुष्य सफलता प्राप्त करने के लिए क्या कुछ नहीं करता. लेकिन कईं बार लाख आजमाने के बावजूद भी हमारी किस्मत में असफलता ही हाथ आती हैं. कुछ ऐसा ही हाल पश्चिमी राजस्थान के रहने वाले हृतेष लोहिया के साथ भी हुआ. जिन्हें साल 2005 से लेकर साल 2009 तक केवल मंदी और असफलता ही मिली. लेकिन फिर उन्हें एक दिन कबाड़ देख कर ऐसा आइडिया आया, जिसने उनकी किमस्त की काय रातों-रात पलट कर रख दी और आज लगभग 40 देशों में उनका करोड़ों का व्यापर चल रहा है.
घर में पड़े कबाड़ को बनाया आपनी किस्मत
देशों विदेशों में नाम कमाने वाले और करोड़ों रूपये कमा चुके हृतेष लोहिया घर में पड़े महत्वहीन सामान जोकि अक्सर हम लोग सफाई के दौरान कचरे में फेंक देते हैं, उसका इस्तेमाल करके और अपनी कलात्मक रुचि के चलते कारोबार शुरू किया. साल 2005 में वह हैंडीक्राफ्ट का काम करते थे लेकिन यह काम उनके लिए घाटे का सौदा बन गया था इसलिए उन्होंने जल्द ही इसे छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने केमिकल फैक्ट्री में काम शुरू किया, वाशिंग पाउडर और स्टोन कटिंग जैसे व्यवसाय को भी अपनाया लेकिन उन्हें कहीं भी सफलता प्राप्त नहीं हुई. आर्थिक तंगी के चलते आखिर में यह सब कारोबार उन्हें बंद करने पड़े.
प्रेजेंट में 35 करोड़ है टर्नओवर
गौरतलब है कि 39 वर्षीय हृतेष लोहिया अपनी पत्नी प्रीती के साथ रहते हैं. उन्होंने राजस्थान से ही अपने एक छोटे से प्रोडक्शन यूनिट की शुरुआत की. इस दौरान वह कबाड़ की मदद से सोफ़े, कुर्सियां, मेज, अलमारी आदि बनाने लगे. 2009 में उनकी मेहनत रंग लायी और उनका टर्नओवर 16 करोड़ तक पहुँच गया. वहीँ अब वर्तमान समय की बात करें तो हृतेष की कंपनी का टर्नओवर 35 करोड़ से भी अधिक हो चुका है. उनकी कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा चीन, अमेरिका, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे देशों में निर्यात करके बनता है.
पत्नी के नाम से शुरू की थी कंपनी
हृतेष का अपनी पत्नी प्रीती के साथ ख़ास जुड़ाव है इसलिए उन्होंने पत्नी के नाम से कंपनी का नाम ‘प्रीती इंटरनेशनल’ रखा. आज इस कंपनी के कुल 3 प्रोडक्शन यूनिट हैं. जहाँ बोरानाडा में जुट का सामान तैयार किया जाता है, वहीँ बसानी में टेक्सटाइल का काम सम्भाला जाता है. वर्तमान में हृतेष अपनी कंपनी के ज़रिए 400 से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान कर रहे हैं. उनके हर साल कम से कम 35 कंटेनर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में जाता है. करीब 40 देशों के ग्राहक हृतेष से जुड़ चुके हैं. ख़ास तौर पर विदेशों के रेस्तरां, कैफ़ेटेरिया आदि में हृतेष द्वारा बनाए गए सामान का इस्तेमाल किया जा रहा है.
कैसे हुई कारोबार की शुरुआत?
हृतेष उन दिनों डेनमार्क से लौटा था. लेकिन मंदी के उस दौर में उसका कोई कारोबार फिट नहीं बैठ रहा था. तभी एक दिन उसके एक ग्राहक ने कोने में पड़े डब्बे पर रखे गद्दे को देखा. उस व्यक्ति को यह बेहद कलात्मक और आकर्षक प्रतीत हुआ. उसने हृतेष को ऐसे ही कबाड़ के साथ सामान तैयार करने की सलाह दी. हृतेष को यह आइडिया काफी पसंद आया और उसने इसी को आजमाने का विचार बना लिया. ख़ास बात यह है कि हृतेष द्वारा जो भी प्रोडक्ट्स निर्यात किये जाते हैं, वह सभी हाथों से तैयार किए जाते हैं. हृतेष ने साबित कर दिखाया कि यदि आपके पास टैलेंट है, तो दुनिया की कोई ताकत आपको पीछे नहीं कर सकती.
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