15 लाख खर्चने के बावजूद बेटा नहीं हुआ ठीक, थक-हारकर पिता ने संकट मोचन के दरबार में डाला डेरा
भगवान ने हमें बहुत से अनमोल उपहार दिए हैं। उन्ही अनमोल उपहारों में से एक माता-पिता हैं। माता-पिता का स्थान हर व्यक्ति के जीवन में भगवान से भी पहले आता है। माता-पिता पूजनीय होते हैं। माता-पिता हमेशा अपने बच्चों को प्रेम निस्वार्थ भाव से करते हैं। इतना ही नहीं बल्कि अपने बच्चों के लिए माता-पिता अपनी सारी खुशियों का त्याग कर देते हैं और हर संभव प्रयास करके वह हमारी खुशियों का ख्याल रखते हैं।
भले ही बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं, पर मां-बाप के लिए हमेशा वह छोटे ही रहते हैं। दुनिया में कोई भी रिश्ता झूठा हो सकता है लेकिन मां-बाप का रिश्ता हमेशा सच्चा होता है। मां-बाप अपनी औलाद के खातिर ना जाने क्या-क्या करते हैं। बच्चे खुश रहे और सलामत रहें इसका मां-बाप हमेशा ही ध्यान देते हैं।
अपना सब कुछ दांव पर लगाकर भी मां-बाप अपने बच्चों की जिंदगी खुशियों से भर देते हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश से एक मामला सामने आया है, जहां पर एक पिता अपने बेटे की सेहत को लेकर दर-दर भटका। जब उसे कहीं से भी कोई राहत प्राप्त नहीं हुई, तो उसने आखिर में थक-हारकर संकट मोचन हनुमान जी के दरबार पर डेरा डाल दिया और सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया। अपने बेटे के साथ पिछले एक महीने से मंदिर में रह रहा परिवार दिन-रात उसके स्वस्थ होने की कामना कर रहा है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यह मामला मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले से सामने आया है। दरअसल, यहां के खेड़ी गांव निवासी बलवंत सोंधिया का 15 साल का बेटा करीब 2 साल पहले एक पेड़ से गिर गया था, जिसकी वजह से उसके हाथ में फैक्चर हो गया था। इलाज कराने पर फैक्चर ठीक तो हो गया परंतु कुछ दिनों के बाद वह नई बीमारी का शिकार हो गया।
बेटे के इलाज में कर दिए 15 लाख रुपए खर्च
अपने बीमार बेटे के इलाज के लिए पिता ने इंदौर, कोटा, झालावाड़, ग्वालियर आदि कई बड़े शहरों के प्रतिष्ठित चिकित्सकों को भी दिखा लिया और उनका इलाज भी चला परंतु कोई भी फायदा नहीं मिला। अपने बीमार बेटे को लेकर पिता दर-दर भटकता रहा परंतु इलाज कराने के बावजूद भी किसी भी प्रकार का फायदा नहीं मिल रहा था।
उन्होंने अपने बेटे के इलाज के लिए 15 लाख रुपए खर्च कर दिए और इंदौर से लेकर कोटा, ग्वालियर, झालावाड़ सभी कई बड़े-बड़े शहरों के नामी अस्पतालों में इलाज कराया। लेकिन दर-दर भटकने के बाद भी बेटे को कोई भी इलाज नहीं लगा।
डॉक्टरों ने कर दिए हाथ खड़े, बीमारी को बताया लाइलाज
बलवंत अपने बेटे को किसी भी हाल में स्वस्थ देखना चाहते हैं और उन्होंने अपनी तरफ से बेटे के इलाज में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ी। अपने बेटे के इलाज के लिए बलवंत ने 3 बीघा जमीन भी बेच दी। लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी कोई फायदा नहीं मिला।
बलवंत वैसे तो अपने बेटे का मरते दम तक इलाज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं परंतु डॉक्टरों ने ही उसकी बीमारी को लाइलाज बता दिया है। जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो पिता अपने बेटे को लेकर मांडाखेड़ा हनुमान मंदिर में पहुंच गया।
थक-हारकर पिता ने ली है बजरंग बली की शरण
जब कहीं भी इलाज कराने के बावजूद फायदा नहीं मिला तो ऐसे में थक-हारकर पिता ने बजरंगबली की शरण ली है। वह अपने बेटे और परिवार के साथ 1 महीने से घर छोड़कर मंदिर में रह रहा है। पिता अपने बेटे को लेकर मांडाखेड़ा हनुमान मंदिर में पहुंच गया और एक महीने से रहते हुए हर दिन अपने बेटे के स्वास्थ्य की कामना कर रहा है। उसे पूरी उम्मीद है कि बजरंगबली उसके संकट को जरूर दूर कर देंगे।