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इंदौर के सिख मोहल्ले में हुआ था लता जी का जन्म, जन्मस्थली पर पहले शो का टिकट था डेढ़ रुपये

ऐसा कहते हैं कि इंसान का जन्म जिस जगह पर होता है, वहां के गुण उसमें जीवन पर्यंत रहते हैं और इसी का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण स्वर कोकिला लता मंगेशकर हैं। लता जी के निधन से देश-दुनिया के साथ ही उनके जन्मस्थान इंदौर में शोक की लहर दौड़ गई है। भारत रत्न लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। इसीलिए उनका यहां से गहरा लगाव भी था। वे समय-समय पर इंदौरवासियों से यहां का हाल-चाल लेती रहती थीं।

इंदौर की गलियों में बीता बचपन

जन्म के बाद जब उन्होंने संगीत की दुनिया में कदम रखा तो शायद किसी को पता भी नहीं था कि इंदौर की गलियों में जन्मी बच्ची संगीत की दुनिया की सरताज बन जाएगी। उस वक्त इंदौर वासियों को सबसे ज्यादा खुशी हुई और आज उन्होंने मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली है, तब इंदौर के लोग उनसे जुड़ी यादों को याद कर रो रहे हैं।

वाघ साहब के बाड़े के रूप में जाना जाता है उनका घर

लता जी का जन्म इंदौर के सिख गली में 28 दिसंबर 1929 को उनका जन्म हुआ था। सिख मोहल्ला इंदौर के एमजी रोड स्थित जिला अदालत के बगल में बसा हुआ है और इंदौर सहित पूरे देश में इसकी एक अलग पहचान भी है। जिसे खाऊगली चाट चौपाटी गली के नाम से भी पहचाना जाता है। जिस घर में उनका जन्म हुआ था, उस समय वाघ साहब के बाड़े के रूप में जाना जाता था।

खाऊ गली में खूब लिए चटकारे

सात साल की उम्र तक लता का परिवार इसी घर में रहा। खाऊ गली लता मंगेशकर के जन्म स्थली से भी मशहूर है। जिस दुकान में लता बचपन के दिनों में चाट, गुलाब जामुन, रबड़ी का लुफ्त उठाती थीं उसी चौपाटी में लोग दुकानदार से पूछते हैं कि, “लता जी को क्या क्या पसंद था।” दुकानदार ने लता जी के बारे में जिन बातों को अपने बड़े बुजुर्गों से सुनी थी, उसे बताते हैं और लोग ठीक वैसे ही खाने पीने की फरमाइश भी करते हैं।

इंदौरियों से पूछतीं हैं शहर का हाल

जन्म के बाद से लताजी का ज्यादातर जीवन मुंबई में बीता लेकिन उन्होंने इंदौर को याद करना कभी नहीं छोड़ा। जब भी इंदौर से लता जी के जानने वाले मुंबई उनसे मिलने जाते थे तो उनके लिए इंदौरी सेव नमकीन जरूर लेकर जाते थे, क्योंकि लता जी को इंदोरी सेव नमकीन बहुत पसंद है। अपने जन्म स्थान के लोगों से मिलकर उन्हें बेहद खुशी होती थीं। इंदौर के लोगों से मिलकर वे अब भी अक्सर पूछती हैं- सराफा तसाच आहे का? यानी क्या सराफा अभी भी वैसा ही है।

आज उसी घर में है कपड़े का शोरूम

सात साल की उम्र तक वे इंदौर में इसी घर में रहीं। इसके बाद उनका परिवार महाराष्ट्र चला गया। जब लता जी का परिवार इंदौर से चला गया तो उनके घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीद लिया। कुछ समय तक मुस्लिम परिवार यहां रहा और फिर इसे बलवंत सिंह नाम के शख्स को बेच दिया। यह परिवार भी यहां काफी समय तक रहा और उसने भी इस घर को मेहता परिवार को सौंप दिया। जिसके बाद घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोला गया है।

पहला शो का डेढ़ रुपये था टिकट

लता मंगेशकर की इंदौर में पहली प्रस्तुति अखिल भारतीय कृषि एवं उद्योग प्रदर्शनी में हुई थी। इसमें टिकट की दर डेढ़ रुपये से 25 रुपये तक रखी गई थी। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर की पुण्यतिथि पर लता के भाई ह्दयनाथ मंगेशकर और बहन उषा मंगेशकर ने भी इसी मंच से प्रस्तुति दी थी।

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