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जवान बेटे की मौत के बाद 8 महीने तक खामोश हो गए थे जगजीत सिंह, पत्नी ने भी छोड़ दिया था साथ

भारत के ग़ज़ल ‘किंग’ कहे जाने वाले मशहूर गायक जगजीत सिंह आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के बीकानेर में जन्मे जगजीत सिंह का असली नाम जगजीवन सिंह था। जगजीत सिंह के पिता चाहते थे कि वह एक इंजीनियर बने लेकिन जगजीत सिंह का रुझान म्यूजिक की तरफ था। ऐसे में पढ़ाई के बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो जालंधर में एक सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में काम किया। इसके साथ ही उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी हरियाणा से पोस्ट ग्रेजुएट किया।

jagjit singh

इसके तुरंत बाद जगजीत सिंह अपने परिवार को बिना बताए मुंबई की तरफ बढ़ गए। यहां पर आकर उनकी मुलाकात बंगाली महिला चित्रा दत्त से हुई और दोनों प्यार में पड़ गए। इसके बाद साल 1969 में इन दोनों ने शादी रचाई और इनके घर बेटे विवेक का जन्म हुआ। बेटे के जन्म के बाद जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा की एल्बम ‘अनफॉरगेटेबल’ रिलीज हुई जिसके जरिए यह दोनों रातों-रात सुपरस्टार बन गए।

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इसके बाद दोनों ही एक साथ कॉन्सर्ट करने लगे थे और देश की अलग-अलग जगह पर जाकर अपनी गायकी का प्रदर्शन करते थे। इतना ही नहीं बल्कि बहुत कम समय में जगजीत सिंह गजल के किंग बन गए थे, लेकिन जगजीत सिंह के जीवन में एक ऐसा भी दौर आया जब 18 साल की उम्र में ही उनके बेटे विवेक की एक्सीडेंट में मौत हो गई।

जिसके बाद उनकी पत्नी बुरी तरह टूट गई और उन्होंने गाना गाना बंद कर दिया। कहा जाता है कि, बेटे की मौत से पहले जगजीत सिंह लाइव में शो रोने लगे थे, इसके थोड़े देर बाद ही उन्हें अपने बेटे की मौत की खबर मिली थी।

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वहीं जगजीत सिंह करीब 8 महीने तक खामोश हो गए और लोग उनकी आवाज सुनने के लिए बेकरार हो गए थे। फिर काफी लंबे समय बाद उन्होंने सीने में बेटे की मौत का सदमा लिए गजल की दुनिया में वापसी की। इस दौरान उनकी आवाज ने एक बार फिर ऐसा जादू बिखेरा के दर्शकों को रोने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि उनकी गजलों में पहले से ज्यादा दर्द सुनने को मिला। इतना ही नहीं बल्कि जगजीत सिंह अपनी गजलों को गाते गाते रो भी दिया करते थे।

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बता दें, साल 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार की तरफ से पद्मा भूषण अवार्ड से नवाजा गया। बता दें, साल 2011 में जगजीत सिंह ने 70 साल पूरे किए थे। सिंगापुर और मॉरिशस जैसी जगहों में कंसर्ट करने के बाद जगजीत सिंह को साल 2011 में यूके में गुलाम अली के साथ परफॉर्म करना था लेकिन ब्रेन हेमरेज के चलते वो कोमा में चले गए और 10 अक्टूबर साल 2011 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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उनके निधन के बाद साल 2014 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था। 150 से ज्यादा एलबम में अपनी मखमली आवाज का जादू बिखेरने वाले जगजीत सिंह भले ही अब दुनिया में नहीं हैं। लेकिन आज भी लोग उनकी गजले सुनना पसंद करते हैं।

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