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गंगूबाई काठियावाड़ी ने नेहरू को सरेआम किया था प्रपोज, बोलीं- क्या आप मुझे Mrs नेहरू बनाएंगे?

आलिया भट्ट अपनी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को लेकर लगातार चर्चा में बनी हुई हैं। संजय लीला भंसाली की यह फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के जीवन पर आधारित है। गंगूबाई काठियावाड़ी एक ऐसी महिला थी जिसने अपने जीवन में बहुत कुछ सहा है। एक संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद उनके जीवन में ऐसी कठिन परिस्थितियां आई जिसने उसे अपराधी, डॉन, एक वेश्या और बिजनेस वूमेन बना दिया।

क्या आप मुझे मिसेज नेहरू बना सकते हैं?

गंगूबाई काठियावाड़ी के पूरे जीवन को हुसैन जैदी ने अपनी किताब ‘माफिया क्वीन ऑफ मुंबई’ में तब्दील किया है। गंगूबाई का प्रभाव सिर्फ अंडवर्ल्ड और गैंगस्टर्स तक ही नहीं था बल्कि बड़े राजनेता भी उनसे प्रभावित थे। गंगूबाई ने वुमन इम्पावरमेंट यानी महिला सशक्तीकरण समिट में वैश्यावृत्ति के पक्ष में ऐसा स्पीच दिया था जो सुर्खियों में आ गया।

गंगूबाई की स्पीच की चर्चा उस वक्त प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू तक पहुंच गई थी। किताब में एक घटना का जिक्र है जब गंगूबाई ने नेहरू से कहा था कि क्या आप मुझे मिसेज नेहरू बना सकते हैं?

जवाहरलाल नेहरू से मिलने के लिए मांगा था समय

हुसैन जैदी किताब ‘माफ़िया क्वीन्स ऑफ मुंबई’ के मुताबिक, एक बार गंगूबाई ने अपने राजनीतिक परिचितों की मदद से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने के लिए वक़्त मांगा। इस मुलाकात में गंगूबाई के विचारों से नेहरू भी खासे प्रभावित हुए। इस दौरान नेहरु ने गंगूबाई से पूछा कि वह इस धंधे में क्यों हैं? उन्हें अच्छी नौकरी और अच्छा पति मिल सकता है।

नेहरू का पास नहीं था गंगूबाई के सवाल का जवाब

इस पर गंगूबाई ने तुरंत नेहरु से कहा कि अगर आप मुझे पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं तो मैं तुरंत यह काम छोड़ दूंगी। गंगूबाई की बात सुनकर नेहरु चौंक गए और अपनी असहमति जताई। इसके बाद गंगूबाई ने उनसे कहा कि, ‘प्रधानमंत्री जी, नाराज़ मत होइए। मैं सिर्फ़ अपनी बात साबित करना चाहती थी। सलाह देना आसान है लेकिन उसे ख़ुद अपनाना मुश्किल है।’

हीरोइन बनना चाहती थीं गंगूबाई

गंगूबाई गुजरात के काठियावाड़ की रहने वाली थीं। उनका असली नाम हरजीवनदास काठियावाड़ी था। हरजीवन गुजरात के काठियावाड़ के एक समृद्ध परिवार की बेटी थीं। गंगूबाई की जिंदगी की फिल्म की कहानी से कम नहीं रही। कहा जाता है कि वो हीरोइन बनने के सपने देखा करती थीं। हालांकि 16 साल की बाली उमर में ही उन्हें अपने पिता के अकाउंटेंट से प्यार हो गया था जिसके कारण वो मुंबई चली आईं।

पति ने 500 रुपये में कोठे पर बेच दिया

उस वक्त उनकी उम्र महज 16 साल थी। अकाउंटटेंट के प्यार में गंगूबाई इस कद्र पागल हो गईं थीं कि उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर उससे शादी कर ली थी और भागकर मुंबई आ गईं। लेकिन यहां उनके साथ जो होने वाला था उसके बारे में गंगूबाई ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। गंगूबाई ने जिस शख्स के प्यार के लिए अपना घर परिवार छोड़ा उसी ने उन्होंने धोखा दिया। गंगूबाई के पति ने उन्हें धोखा देकर महज 500 रुपये में कोठे पर बेच दिया।

माफिया डॉन से हुई मुलाकात

यहीं से हरजीवनदास के गंगूबाई काठियावाड़ी बनने की दर्दनाक कहानी शुरू हुई। माफिया डॉन करीम लाला की गैंग के एक आदमी ने गंगूबाई का बालात्कार किया था। इसके बाद गंगूबाई ने करीम लाला से मुलाकात कर न्याय मांगा था। यहां तक कि उन्होंने करीम को राखी बांध कर अपना भाई बना लिया था। इसके बाद पति की धोखेबाजी और समाज की दरिंदगी का शिकार हुई गंगूबाई आगे चलकर मुंबई की सबसे बड़ी फीमेड डॉन में से एक बनी।

सेक्स वर्कस और अनाथ बच्चों की खूब की मदद

जानकारी के मुताबिक, गंगूबाई मुंबई के कमाठीपुरा रेड लाइट इलाके में कई कोठे भी चलाती थीं। कहा जाता है कि किसी भी लड़की की मर्जी के बिना गंगूबाई उसे अपने कोठे पर नहीं रखती थीं। गंगूबाई ने सेक्स वर्कस और अनाथ बच्चों की मदद के लिए बहुत काम किए थे।

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