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इलाज के लिए गिरवी रखी MBBS डिग्री, 1.25 Cr खर्च कर पत्नी को मौत के मुंह से खींच लाया डॉक्टर पति

पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता होता है। ऐसा कहा जाता है कि जब लड़का-लड़की विवाह के बंधन में बंध जाते हैं तो उसके बाद दोनों ही एक दूसरे की खुशी का ध्यान रखते हैं। शादी के बाद अपने लिए ना जी कर दोनों एक दूसरे के लिए जीते है। लेकिन शादीशुदा जिंदगी में कई बार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं, जो बेहद दुखद होती हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप बेहद भावुक हो जाएंगे। दरअसल, यह मामला राजस्थान से सामने आया है, जहां पर एक डॉक्टर ने 1.25 करोड़ रुपए खर्च कर अपनी पत्नी को मौत के मुंह से बाहर निकाल लाया। डॉक्टर ने अपनी पत्नी के इलाज में अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। इतना ही नहीं बल्कि उसने 70 लाख रुपए के लोन के लिए अपनी एमबीबीएस की डिग्री गिरवी रख सारा पैसा लगा दिया।

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बिगड़ती चली गई तबीयत

दरअसल, आज हम आपको जिस डॉक्टर के बारे में बता रहे हैं, उनका नाम डॉक्टर सुरेश चौधरी है, जो राजस्थान के पाली जिले के गांव खैरवा के पीएचसी में पोस्टेड हैं। डॉक्टर सुरेश चौधरी की शादी 25 अप्रैल 2012 को बाली की अनीता (अंजू) चौधरी से हुई थी। साल 2013 में जोधपुर से उन्होंने एमबीबीएस पूरा किया। शादी के बाद 4 जुलाई 2016 को यह दोनों एक बेटे के माता-पिता बने, जिसका नाम कुंज चौधरी है। अंजू हाउसवाइफ हैं और उन्होंने M.A किया हुआ है।

डॉक्टर सुरेश चौधरी की पत्नी अनिता चौधरी 13 मई 2021 को कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं। कोरोना के चलते उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रहा था। दिन पर दिन उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी, जिसको लेकर डॉक्टर पति बहुत ज्यादा चिंतित हो गए।

बांगड़ अस्पताल लेकर गए लेकिन नहीं मिला बेड

जब डॉक्टर सुरेश चौधरी की पत्नी अनिता चौधरी की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई तो सबसे पहले वह अपनी पत्नी को पहले पाली के बांगड़ अस्पताल लेकर गए परंतु वहां पर उन्हें बेड नहीं मिला, जिसके बाद 14 मई को जोधपुर एम्स में उन्होंने अपनी पत्नी अनीता को एडमिट करवाया था।

तबीयत में नहीं हुआ सुधार, ले गए जोधपुर से अहमदाबाद

जब अनीता को जोधपुर एम्स में एडमिट करवाया गया तो वहां पर उनका इलाज हुआ परंतु उपचार के करवाने के बावजूद भी उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। उसे वेंटिलेटर पर लेना पड़ा क्योंकि फेफड़े 95 फ़ीसदी तक खराब हो चुके थे। ऐसी स्थिति में डॉक्टर सुरेश चौधरी ने अपनी पत्नी अनीता को 1 जून 2021 को अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में एडमिट करवाया था।

वजन 50 से गिरकर 30 किलो रह गया, शरीर में महज डेढ़ यूनिट खून बचा

जब उन्होंने अपनी पत्नी अनीता को अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में एडमिट करवाया, तो वहां के डॉक्टरों ने अनीता को ईसीएमओ मशीन पर लिया, क्योंकि उनका वजन 50 किलो से गिरकर 30 किलो ही रह गया था और उनके शरीर में महज डेढ़ यूनिट खून ही बचा था। ईसीएमओ में मशीन के माध्यम से हार्ट और लंग्स बाहर से ऑपरेट होते हैं। यहां का रोजाना का खर्चा 1 लाख रुपए से अधिक का आता था। सुरेश चौधरी कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे थे परंतु उनका एक ही मकसद था, बस किसी भी तरीके से उन्हें अपनी पत्नी की जान बचानी है।

एक लाख रुपए रोजाना का खर्च

आखिरकार ईश्वर ने इनकी सुन ली। अनीता को 87 दिन तक ईसीएमओ मशीन पर रखा गया, जिसके बाद उनके लंग्स में सुधार देखा गया और वह फिर से बोलने लगी थीं। कुछ दिनों के बाद उनका स्वास्थ्य बेहतर हुआ तो अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गई। अब उनकी तबीयत ठीक है। अनीता का ऐसा कहना है कि उनको दूसरा जन्म पति की वजह से ही मिला है।

पत्नी के इलाज के लिए ऐसे जुटाए 1.25 करोड़ रुपए

डॉक्टर सुरेश चौधरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने 70 लाख रुपए एमबीबीएस की डिग्री गिरवी रख बैंक से लोन लिया। 10 लाख रुपए उन्होंने खुद की बचत से खर्च किए। पैसे कम पड़े तो 20 लाख साथी डॉक्टर्स व स्टाफ ने अभियान चलाकर उन्हें दिए। 15 लाख में खारड़ा गांव में प्लॉट बेचा। बाकी की शेष राशि उन्होंने रिश्तेदारों से ली।

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