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कभी जेआरडी टाटा को अपमानित कर एयर इंडिया से कर दिया था बाहर, 68 साल बाद फिर मिला कमान

15 सितंबर को लगाई गई अंतिम बोली से फिर उम्मीद जगी है कि एक बार फिर ‘एयर इंडिया’ की कमान टाटा ग्रुप को मिल सकती है। गौरतलब है कि, इससे पहले देश के जाने माने उद्योगपति और एयर इंडिया के संस्थापक जेआरडी टाटा को बिना बताए ही इसे बाहर कर दिया गया था। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से ऐसी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

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बता दें, टाटा ग्रुप ने ही कभी एयर इंडिया की स्थापना की थी। कहा जाता है कि, जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा को हवाई जहाज उड़ाने का बहुत शौक था। अपने शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने पायलट का लाइसेंस भी बनवाया था। इस दौरान उनकी उम्र महज 25 साल थी। इतना ही नहीं बल्कि जेआरडी पायलट का लाइसेंस पाने वाले पहले भारतीय थे। जेआरडी को ‘जेह’ के नाम से भी पहचाना जाता था। कहा जाता है कि, एयर इंडिया में जेआरडी की आत्मा बस्ती थी और उन्होंने अपनी प्रतिभा के साथ खूब मेहनत और लगन से इसे खड़ा किया था।

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बता दें, साल 1932 में जेआरडी टाटा एयरलाइंस की स्थापना की गई थी। खास बात यह है कि, जीआरडी खुद एयरलाइंस की फ्लाइट हो कराची से मुंबई लेकर जाते थे। कहा जाता है कि, उनके जहाज में इस दौरान कोई खास कागजात नहीं होते थे बल्कि 25 किलो चिट्ठियां होती थी जिन्हें वह हर रोज कराची से मुंबई पहुंचाते थे। सरकार उन्हें इन चिट्ठियों को पहुंचाने में सिर्फ एक चिट्ठी पर चार आने चुकाती थी।

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रिपोर्ट की मानें तो 1946 में इस कंपनी का नाम टाटा एयरलाइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से ‘एयर इंडिया लिमिटेड’ रख दिया गया। इसके साथ ही कंपनी ने करीब 49% शेयर खरीद लिए और साल 1953 तक करीब 9 प्राइवेट हवाई कंपनियों को इंडियन एयरलाइंस को सौंप दिया गया। ऐसे में एयर इंडिया भी सरकार के नियंत्रण में काम करने वाली कंपनी बन गई। लेकिन जीआरडी को इस बात का बुरा लगा, हालांकि उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष चुना गया था लेकिन वह इससे भी खुश नहीं थे।

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कहा जाता है कि, अध्यक्ष के रूप में भी जीआरडी ने एयर इंडिया कंपनी के लिए बहुत काम किया था और इसमें उन्होंने कई सुधार भी किए थे। उस वक्त देश की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी से भी जेआरडी की अनबन थी हालांकि इसके बाद भी वह एयर इंडिया के अध्यक्ष रहे। इसके बाद साल 1977 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और फिर मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त हुए। जैसे ही मोरारजी को प्रधानमंत्री का पद मिला उन्होंने जेआरडी को एयर इंडिया से बाहर निकाल दिया।

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कई रिपोर्ट्स का दावा है कि, जेआरडी को बाहर निकालने से पहले उनको मोरारजी देसाई ने किसी प्रकार की सूचना तक नहीं दी थी। जेआरडी को निकालने के बाद पीसी लाल को एयर इंडिया का अध्यक्ष चुना गया था। इतना ही नहीं बल्कि पीसी लाल को अध्यक्ष चुनने की बात भी जेआरडी टाटा को पीसी लाल के जरिए ही पता चली थी।

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कहा जाता है कि, मोरारजी देसाई के इस फैसला से कोई भी खुश नहीं था। यहां तक कि, मजदूर यूनियन भी मोरारजी देसाई के फैसले से खुश नहीं थे। मजदूर यूनियन का कहना था कि, उन्होंने जेआरडी को विदाई नहीं बल्कि उन्हें अपमानित किया था। इसके बाद से ही टाटा ग्रुप के पास से एयर इंडिया का हक़ चला गया था। ऐसे में एक बार फिर इसी कंपनी को एयर इंडिया की कमान सौंपी गई है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि, अभी फैसला होना बाकी है।

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