समाचार

10 किसान संगठनों ने कृषि मंत्री को सौंपा सर्मथन पत्र, कहा-नया कानून बदल देगा किसानों का भाग्य

जहां एक तरफ कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के लिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इस कानून को विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों ने समर्थन दिया है। देश के 10 किसान संगठनों की ओर से सोमवार को देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की गई थी और इस मुलाकात के दौरान इन्होंने मंत्री जो को समर्थन पत्र सौंपा है। इस पत्र को सौंपने का मतलब है कि इन किसान संगठनों को सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून से कोई आपत्ति नहीं है और ये सब इस कानून के साथ हैं।

कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि आल इंडिया किसान कोआर्डिनेशन कमेटी से संबद्ध उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और हरियाणा समेत कई और राज्यों के किसान संगठन के नेता उनसे मिले थे और कृषि सुधार कानूनों पर विस्तार से अपनी बात उन्होंने रखी। मुलाकात के दौरान किसानों ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम सरकार की ओर से उठाया गया हैं। इस कानून से किसानों का भाग्य पलट जाएगा। इसके अलावा सोमवार को हरियाणा के 40 विधायकों और सांसदों ने भी तोमर से मुलाकात की और इस कानून को समर्थन दिया। साथ में ये स्पष्ट कहा कि इन कानूनों को किसी भी हाल में वापस नहीं किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि दिल्ली बार्डर पर पिछले 19 दिनों से पंजाब और हरियाणा राज्य के किसान आंदोलन पर बैठे हुए हैं। इन किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानून को वापस लें और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी दे। किसान के इस आंदोलन को लेकर कृषि मंत्री कई दौर की बैठकें किसान नेताओं के साथ कर चुके हैं। लेकिन ये किसान संगठन कानून वापस लेने की जिद पर आड़े हुए हैं। इसी बीच सोमवार को देश के अन्य हिस्सों के किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से मिलकर उन्हें अपना समर्थन दिया है और कानून को सही करार दिया है।

आपको जानकर हैरानी होगी की जिन किसान संगठनों द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है। वो सभी मोदी विरोधी हैं। जिसके कारण वो सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहें हैं और किसान भाइयों को बहका रहे हैं। कृषि मंत्री कहा चुके हैं कि सरकार की नीति और नीयत दोनों में सिर्फ और सिर्फ किसानों का हित है। अगर किसान किसी मुद्दे पर भ्रम के शिकार हो गए हैं। तो ये हमारा दायित्व है कि उनके भम्र को दूर करें। लंबे समय से इस तरह के सुधारों की मांग हो रही थी, जिसे हमारी सरकार ने पूरा किया है। सरकार हर समय किसानों से वार्ता करने को तैयार। लेकिन फिर भी ये किसान नेता अपनी जिद पर आड़े हुए हैं।

Related Articles

Back to top button