धार्मिक

ये है दुनिया का अद्भुत दरबार जहां महादेव 3 रूपों में हैं विराजमान, भक्त चिकन का लगाते हैं भोग

मंदिर में प्रसाद के तौर पर लोग मिठाई, बत्ताशे व इत्यादि तरह की चीजें भगवान को अर्पित करते हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर प्रसाद के तौर पर मांस-मदिरा भगवान को अर्पित की जाती है। ये मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है। मान्यता है कि जो लोग भी वाराणसी में स्थित बाबा बटुक भैरव के मंदिर जाकर उन्हें मांस-मदिरा अर्पित करते हैं, उनकी हर कामान पूर्ण हो जाती है।  बाबा बटुक भैरव भगवान शिव का ही रुप हैं और इन्हें प्रसन्न करने के लिए भोग में मांस-मदिरा अर्पित करने का रिवाज है।

बाबा बटुक भैरव का मंदिर धर्म की नगरी काशी में है। इस मंदिर में बड़ों के अलावा बच्चे भी खूब आते हैं और बाबा बटुक की पूजा करते हुए उन्हें टॉफी-बिस्किट का भोग लगाते हैं। पंडितों के अनुसार बाबा बटुक को टॉफी-बिस्किट का भोग लगाने से वो खुश हो जाते हैं और उनकी हर कामना को पूर्ण कर देते हैं।

बाबा बटुक भैरव मंदिर में महादेव एक साथ सात्विक, राजसी और तामसी तीनों रूपों में विराजमान है। शरद ऋतु के विशेष दिनों में बाबा का त्रिगुणात्मक श्रृंगार किया जाता है। वहीं दिन में तीन बार इनको भोग लगाया जाता है। पहला भोग सुबह लगाया जाता है। दूसरा भोग दोपहर को लगता है और आखिर भोग शाम के समय लगता है।

सुबह शिव की बाल बटुक के रूप में पूजा की जाती है और इन्हें टॉफ़ी-बिस्किट, फल, मांस और मदिरा का भोग लगाया जाता है। दोपहर को राजसी रूप में महादेव को चावल, दाल, रोटी और सब्जी भोग में चढ़ाए जाते हैं। शाम को महाआरती के बाद महादेव के भैरव रूप को मटन करी, चिकन करी, मछली करी, आमलेट, मदिरा का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा शराब से खप्पड़ भी भरा जाता है। ताकि बाबा प्रसन्न हो जाएं।

मंदिर के महंत भाष्कर पूरी से जब बाबा को चढ़ाए जाने वाले भोग के बारे में पता किया गया। तो उन्होंने कहा कि ये दुनिया का अद्भुत दरबार है जहा बाबा तीनों रूप में विराजमान हैं। बाल रूप बटुक को टॉफ़ी, बिस्किट के साथ फल पसंद है। इसलिए उनको इन चीजों का भोग लगाया जाता है। दोपहर को रज रूप में बाबा की पूजा की जाती है और उनके वस्त्र को बदला जाता है। भोग में बाबा को चावल, दाल, सब्जी अर्पित की जाती है। शाम में बाबा के भैरव रूप की पूजा होती है और बाबा को मदिरा के साथ मीट, मछली, अंडे का भोग लगाया जाता है।  मंदिर के महंत भाष्कर पूरी के अनुसार शाम के समय बाबा तामसी रूप में होते हैं। इसलिए तामसी चीजों का भोग लगाया जाता है। विशेष अनुष्ठान के लिए शराब से खप्पड़ भरा जाता है और उन्हें मदिरा से स्नान कराया जाता है।

दर्शन करना है अनिवार्य

काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन करना अनिवार्य है। जो भी लोग इस नगरी रहने के लिए आते हैं वो भैरव बाबा के दर्शन जरूर किया करते हैं। हालांकि लोग पूजा करते समय अपनी इच्छा अनुसार बाबा को प्रसाद चढ़ा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि बाबा के दर्शन करने से वो रक्षा करते हैं और किसी भी मुसीबत को आप तक नहीं आने देते हैं। इसलिए आप जब भी काशी जाएं तो बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए जरूर जाएं।

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