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कोरोना काल में ये मां-बेटा जरूरतमंद लोगों को बांट रहें हैं खाना, लोगों की मिल रही हैं दुआएं

कोरोना वायरस की वजह से देश भर की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी है। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए देश भर में लॉक डाउन चल रहा है, जिसकी वजह से लोगों का काफी बुरा हाल हो गया है। लोगों की रोजी-रोटी छीन गई है। विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूरों को लॉक डाउन की मार को झेलना पड़ रहा है। कोई भी रोजगार ना मिलने की वजह से यह भूखे-प्यासे रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। यहां तक की जो दिहाड़ी मजदूर शहरों में काम करते हैं, वह सड़कों पर भी सो रहे हैं। रहने की कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में बहुत से नेक लोग सामने आए हैं, जिन्होंने जरूरतमंद लोगों को खाना उपलब्ध करवाया है। आज हम आपको मुंबई के एक ऐसे मां-बेटा के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जो सभी लोगों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। दरअसल, यह अपने घर में ही खाना बनाकर जरूरतमंद लोगों में वितरित करतें हैं।

लॉकडाउन में मां-बेटा ने जरूरतमंदों को खाना खिलाना शुरू किया

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि हर्ष और उनकी माता हिना मंडावीया दोनों कांदिवली में डिलीवरी किचन चलाते थे। हर्ष की माता खाना बनाने का कार्य करती है और हर्ष खाना डिलीवर करने का इंतजाम करता है। जब कोरोना वायरस की वजह से देश भर में लॉकडाउन का ऐलान किया गया तब, इन्होंने भूखे और जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने का कार्य आरंभ कर दिया। शुरुआत में तो यह 200 से 250 लोगों को ही खाना खिलाते थे।

मां-बेटा की लोगों ने भी की सहायता

हर्ष और उनकी माता रोजाना कई लोगों को भोजन कराते हैं। जब इस बात की जानकारी उनके रेगुलर कस्टमर्स को पता लगी तब वह भी इन दोनों की मदद के लिए सामने आए। हर्ष ने यह बताया है कि मलाड़ गुरुद्वारे के बाहर सबसे पहले उन्होंने भूखे और जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना शुरू किया था।

किचन में खाना बनाते समय पूरी सावधानियां बरती जाती है। हर्ष की माता रोजाना खाना बनाती हैं और यह खाना बनाने से पहले रसोईघर को अच्छी तरह से सैनिटाइज करतीं हैं। हर्ष ने इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने फूड डोनेशन की एक्टिविटी को सोशल मीडिया पर भी शेयर करना आरंभ किया था, जिससे देश के लोगों ने उनको पैसे डोनेट किए थे। पहले उनको ₹11000 रुपये का दान मिला था। वह सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियोस साझा करते रहते थे। धीरे-धीरे डोनेशन बढ़ता गया और 49 दिनों में उनको 3.2 लाख का दान मिला।

खाना खाकर लोग देतें हैं दुआएं

लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोग स्लम एरिया से खाना खाने आते हैं। हर्ष ने यह बताया था कि लोग भरपेट खाना खाने के बाद दुआएं भी देते हैं और यही दुआएं उनके साहस को और बढ़ातीं हैं।

हर्ष ने बताया कि उनके रिश्तेदार उनको कोरोना वायरस के दौर में बाहर जाने से मना करते थे, परंतु उनकी माता उनको हमेशा ही हिम्मत दिया करतीं थीं। अगर देखा जाए तो मुसीबत के इस दौर में यह मां-बेटा बहुत ही नेक काम कर रहें हैं। संकट की घड़ी में इनके द्वारा उठाए गए इस कदम की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है।

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