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IAS न बन पाने के गम लड़की का हो गया बुरा हाल, लगी लगाई नौकरी छोड़ कर बीनने लगी कूड़ा

आजकल तनाव एक बहुत बड़ी बीमारी बन गई है। तनाव के कारण लोगों की जिंदगी बर्बाद हो रही हैं और कई लोग आत्महत्या भी कर ले रहे हैं। हम आपको एक ऐसी ही लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसकी जिंदगी डिप्रेशन के कारण तबाह हो गई और आज ये पढ़ी लिखी लड़की कूड़ा बीनने का काम कर रही है। रजनी वारंगल (तेलंगाना) की रहने वाली है और पढ़ाई में काफी तेज हुआ करती थी। रजनी का सपना था कि वो आईएएस बनें। आईएएस बनने के लिए रजनी ने काफी मेहनत भी की लेकिन नाकाम रही। जिसके कारण रजनी तनाव में चले गई।

रजनी ने पढ़ाई पूरी करने के बाद आईएएस की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन वो असफल रही। इस गम से निकलने के लिए रजनी ने मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना शुरू किया। इस कंपनी में रजनी ने एचआर मैनेजर पद पर काम किया। लेकिन रजनी अपने काम से खुश नहीं थी और डिप्रेशन में चली गई।

ये डिफ्रेशन इतना खतरनाक था कि उसके दिमाग पर काफी बुरा असर पड़ने लगा। करीब एक साल पहले उसने बिना किसी को बताए घर छोड़ दिया और डेढ़ हजार किलोमीटर दूर गोरखपुर पहुंच गई है। गोरखपुर आने के बाद रजनी कूड़ा बीनने लगी।

रजनी की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और इनकी कहानी पढ़ हर कोई हैरान हो गया। खबर के मुताबिक 23 जुलाई को रजनी विक्षिप्त हालत में गोरखपुर के तिवारीपुर थाने के पास मिली। जुलाई की गर्मी में भी उसने काफी सारे कपड़े पहन रखे थे। जिस वक्त वो मिली वो कूड़ेदान के पास फेंके हुए सूखे चावल बीन कर खा रही थी। लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद पुलिस रजनी की मदद करने के लिए गई।

पुलिस को लगा रजनी ऐसे ही कोई अनपढ़ लड़की होगी। लेकिन रजनी ने एकदम से फरार्टेदार अंग्रेजी बोला शुरू कर दिया। जिसे सुन पुलिस भी हैरान रहे गई। पुलिस ने रजनी को हिंदी बोलने को कहा, लेकिन रजनी को अच्छे से हिंदी नहीं आती है और उसने टूटी-फूटी हिंदी बोली।

सिपाहियों ने अधिकारी को पूरी बात बताई और पुलिस वालों ने उसे मातृछाया चैरिटेबल फाउंडेशन को सौंप दिया। इस जगह वो तीन महीने रही और उसकी हालत में सुधार आया। जिसके बाद उसने अपने परिवार के बारे में बताया। मातृछाया के अधिकारियों ने रजनी के परिवार वालों से संपर्क किया। तब युवती के पिता ने बताया कि उसने वर्ष 2000 में एमबीए की पढ़ाई फर्स्ट डिवीजन से पास की थी। आईएएस बनने का सपना था। उसने दो बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी। लेकिन सफल ना हो सकी और धीरे-धीरे डिप्रेशन में जाने लगी।

डिप्रेशन से बचने के लिए रजनी ने हैदराबाद में एक मल्टीनेशल कंपनी में काम करना शुरु किया। लेकिन डिप्रेशन से निकल नहीं पाई। रजनी पिछले साल नवंबर में बिना कुछ बताए घर से कहीं चली गई। परिवार वालों ने उसकी खूब खोज की लेकिन वो मिल ना सकी। परिवार वालों ने सारी उम्मीद छोड़ दी थी। हालांकि अब रजनी का पता लगने के बाद उसके पिता उसे अपने साथ घर ले जाने के लिए उत्तरप्रदेश आ रहे हैं।

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