जब 50 साल बाद पाकिस्तान के अपने गांव पहुंचे थे सुनील दत्त, तो ऐसा था वहाँ के लोगों का रवैया
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सुनील दत्त ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग के जरिए हिंदी सिनेमा में एक खास पहचान बनाई है। सुनील दत्त ने फिल्म ‘रेलवे प्लेटफार्म’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। हालांकि उनकी यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। इसके बाद उन्हें फिल्म ‘मदर इंडिया’ से सफलता हासिल हुई। 1957 में रिलीज हुई फिल्म मदर इंडिया में सुनील दत्त अपनी पत्नी नरगिस दत्त के साथ नजर आए थे। इसी फिल्म में काम करने के दौरान इनका प्यार परवान चढ़ा था और फिर साल 1958 में इन्होंने शादी रचा ली थी।
बता दें, नरगिस दत्त और सुनील दत्त को 2 बेटी नम्रता दत्त और प्रिया दत्त और एक बेटा संजय दत्त है। 6 जून 1929 को पाकिस्तान स्थित पंजाब के झेलम जिले के खुर्द गांव में जन्मे सुनील दत्त ने महज 5 साल की उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। इसके बाद जब सुनील दत्त 18 साल के हुए तब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा होने लगा।
इसी दौरान सुनील दत्त अपने परिवार के साथ पाकिस्तान छोड़ भारत आ बसे। सुनील दत्त पहली बार लखनऊ आए थे। यहीं पर उन्होंने कुछ दिनों तक अपना जीवन बसर किया। इसके बाद उन्होंने मुंबई से कॉलेज की पढ़ाई पूरी की।
काफी वक्त बीत जाने के बाद सुनील दत्त बॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करने लगे और उन्होंने एक बड़ा स्टारडम हासिल कर लिया। इसके करीब 50 साल बाद सुनील दत्त जब पाकिस्तान के अपने गाँव खुर्द गए तो वहां के रहने वाले लोगों ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जिसे देखकर सुनील दत्त दंग रह गए थे।
एक इंटरव्यू के दौरान सुनील दत्त ने खुलासा किया कि, “मुझे हमेशा से लगता था कि पाकिस्तान के लोग बहुत ही नर्मदिल के और देखभाल करने वाले हैं। आप हैरान रह जाएंगे यह जानकर कि जब मैं पाकिस्तान में स्थित अपने गांव पहुंचा था तो पूरे गांववासियों ने मिलकर मेरा स्वागत किया था। पहले तो मुझे लगा कि वो लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो मुझे जानते हैं और मैं एक एक्टर हूं। लेकिन उन्हें वाकई में एहसास था कि मैं वहीं का रहने वाला हूं। वहां के युवाओं ने मुझे बड़े-बड़े बैनर दिए थे, जिस पर लिखा था ‘खुर्द में आपका स्वागत है सुनील दत्त।”
आगे सुनील दत्त ने अपने साथ हुए रवैया के बारे में बताया कि, “जिन्होंने भी मेरे साथ पढ़ाई की थी, वे सभी मुझसे मिलने आए थे। मेरे भाई का नाम सोमा था, लोगों ने उसके बारे में पूछा, मेरी बहन रानी और मां कुलवंति के बारे में भी पूछा। हैरान करने वाली बात तो यह है कि 50 सालों बाद भी उन्हें मेरे परिवार के सदस्यों का नाम अच्छे से मालूम था। अगर वे मेरे लिए ऐसा करते तो समझ में आता, क्योंकि मैं एक एक्टर हूं। लेकिन मेरा परिवार कभी भी मीडिया के सामने नहीं आया था। मेरे लिए वो पल सच में बहुत ही भावनात्मक थे। वो मुझे अपने साथ खेतों में भी ले गए और बोले, ‘ये तेरी जमीने हैं बल्ला।’ मैंने उनसे कहा कि नहीं ये केवल आपकी हैं। तो उनका जवाब था, ‘नहीं तुम यहां आ जाओ, तुम्हें दे देंगे।”
बता दें, सुनील दत्त का करियर बतौर अभिनेता ही नहीं बल्कि राजनेता के तौर पर भी सफल रहा। वे पांच बार लोकसभा सांसद रहे। हालाँकि, शुरुआत से ही सुनील दत्त का कैरियर संघर्ष से भरा रहा है। शादी के बाद पत्नी नरगिस को कैंसर रहा तो वहीं बेटा संजय दत्त बड़ा होकर ड्रग्स का नशा करने लगा।
बेटे के साथ सुनील दत्त को भी कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी इनसे हार नहीं मानी और डटकर मुश्किलों का सामना किया। बता दें 3 मई 1981 को मात्र 52 साल की उम्र में पैन्क्रियाटिक कैंसर डिटेक्ट के कारण नरगिस का देहांत हो गया था। वहीं 5 मई 2005 में सुनील दत्त इस दुनिया से चले गए।