34 कंपनियां फिर भी कैसे दिवालिया हुई सुपरटेक? जानिए ट्विन टावर के मालिक की पूरी कहानी
नोएडा का सुपरटेक ट्विन टावर बीते रविवार को ब्लास्ट कर दिया गया। सुपरटेक नाम की गैर सरकारी कंपनी में ट्विन टावर का निर्माण करवाया था। ट्विन टावर में दो इमारतें थीं। 32 और 29 मंजिला दोनों इमारतें अब पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गई हैं। कई किलोमीटर दूर तक इसके धुएं का गुब्बारा नजर आया। आपको बता दें कि ट्विन टावरों के निर्माण में करीब 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्चा आया। वहीं इसे गिराने की लागत 20 करोड़ रुपए है।
एक जानकारी के अनुसार, मलबे से कंपनी को करोड़ों रुपए का मुनाफा होने वाला है परंतु क्या आपको इस बात की जानकारी है कि सुपरटेक ट्विन टावर को बनाने वाले मालिक की कंपनी सुपरटेक दिवालिया भी घोषित हो चुकी है। जी हां, आज हम आपको इस लेख के माध्यम से कंपनी के दिवालिया होने की कहानी और इसके मालिक के बारे में बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि नोएडा के ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी ने बनाया था। सुपरटेक कंपनी के मालिक का नाम आरके अरोड़ा है। आरके अरोड़ा ने 34 अन्य कंपनियां भी खड़ी की हैं। कंपनी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के करीब 12 शहरों में रियल स्टेट के प्रोजेक्ट लॉन्च किए। इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया जाता है कि आरके अरोड़ा ने कब्रगाह बनाने-बेचने तक की कंपनी खोली है। 7 दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत आरके अरोड़ा ने अपने साथियों के साथ मिलकर की।
1999 में खोली कंपनी
मिली जानकारी के अनुसार सुपरटेक लिमिटेड शुरू करने के 4 साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली थी। वहीं आरके अरोड़ा ने बेटे के साथ मिलकर अलग-अलग सेक्टरों में काम शुरू किया। सुपरटेक कंपनी को ही साल 2004 में नोएडा अथॉरिटी ने एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटित किया।
2022 में सुपरटेक कंपनी हुई दिवालिया
बता दें कि सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। बता दें कि सुपरटेक नाम से कई कंपनी हैं जो आरके अरोड़ा की ही हैं लेकिन यहां जो कंपनी दिवालिया हुई है वह रियल एस्टेट में काम करने वाली सुपरटेक है जिसने ट्विन टावरों का निर्माण किया है।
432 करोड़ रुपये का है कर्ज
एक जानकारी के अनुसार यह बात सामने आई है कि करीब 432 करोड़ रुपए का कर्जा सुपरटेक कंपनी पर है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बने बैंक के कंसोशिर्यम से यह कर्ज लिया गया था। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी क्योंकि कर्ज नहीं चुकाया गया था। जिसके बाद एनसीएलटी ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था।
बता दें कि ट्विन टावर गिराए जाने के मामले में सुपरटेक का बयान आया है। बयान में कहा गया है कि “प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद हमने टावर का निर्माण किया था। हालांकि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तकनीकी आधार पर निर्माण को संतोषजनक नहीं पाया और दोनों टावरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हैं और उसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”