धार्मिक

यहां 24 साल से मंदिर में बंद है लड़की, दर्शन के लिए जुटती है भारी भीड़

भारत में देवी-देवताओं को विशेष रूप से पूजा जाता है। कई मंदिर में मूर्तियों को खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है और उनकी पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। लेकिन भिंड जिले के फूप इलाके में एक ऐसा भी मंदिर है जहां जीवित देवी की पूजा की जाती है। जी हां..इस मंदिर में किसी मूर्ति की नहीं बल्कि जीवंत देवी माता विराजमान है और इस मंदिर को ‘ललिता देवी जी’ के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर की पूरी कहानी?

lalita devi mandir

दरअसल, भिंड जिले के फूप इलाके में चंबल के बीहड़ी रानी पुरा गांव में ‘बिटिया देवी जी’ का मंदिर बहुत मशहूर है। इस गांव में करीब 24 साल पहले किशोरी ने वैराग्य धारण कर लिया था जिसके बाद से ही गांव और आसपास इलाके के लोग उसे देवी की तरह पूछते हैं और बकायदा भोग लगाते हैं। खबरों की माने तो ललिता नाम की लड़की ने महज 8 साल की उम्र में ही खुद को भगवान को समर्पित कर दिया था।

कहा जा रहा है कि ललिता ने रानीपुर गांव में एक मंदिर में रहना शुरू कर दिया था, इसके बाद ही उसने खुद को इस मंदिर में बंद कर लिया और कई घंटों तक स्मरण करने लगी। जिसके बाद गांव के रहने वाले लोगों ने मिलकर इसके लिए एक मंदिर बनवा दिया और  पूजा अर्चना करने लगे। 24 साल के बाद भी लोग ललिता देवी की पूजा अर्चना करते हैं और हजारों की संख्या में लोग भेंट चढ़ाने आते हैं।

lalita devi mandir

रिपोर्ट की मानें तो साल 1997 से ललिता देवी का मंदिर बना हुआ है। नवरात्रि के समय में इस गांव में अधिक धूम देखने को मिलती है और कई लोग देवी के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। वहीं ललिता देवी के माता पिता इस बारे में कुछ नहीं बोलते हैं। कहते हैं कि जब ललिता छोटी थी तब परिवार ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। उसके मन में भगवान को लेकर अधिक आस्था थी जिसके बाद परिवार ने भी उसे रोकना टोकना बंद कर दिया। कहा जाता है कि, ललिता छोटी सी उम्र में निर्जला व्रत करने लगी और मंदिर में ही अपना पूरा दिन बिताने लगी थी, फिर गांव वालों ने तय कर लिया कि उसके लिए धार्मिक स्थल बनाएंगे। इसके बाद परिवार के लोगों ने अपनी निजी जमीन पर ललिता देवी का मंदिर बनवाया और पिछले 24 साल से यहां देवी विराजमान है।

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ग्रामीणों का कहना है कि जब से ललिता मंदिर में गई है वह मंदिर से बाहर नहीं निकली, सुबह से शाम हो जाती है लेकिन वह मंदिर में ही बैठी रहती है। ना किसी से बोलती है ना किसी से बात करती है। इतना ही नहीं बल्कि घरवालों के अलावा ललिता देवी की आवाज किसी ने नहीं सुनी। जो लोग प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं ललिता देवी वही खाती है।

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रिपोर्ट की माने तो ललिता देवी के पिता लाल सिंह इटावा पुलिस में थानेदार थे। ललिता देवी समेत उनके 4 बच्चे हैं जिनकी शादी हो चुकी है। वहीं ललिता देवी को भी शादी के लिए बहुत बोला गया लेकिन वह नहीं मानी। कहा जाता है कि त्योहारों के समय पर ललिता देवी के मंदिर में हजारों लोगों की भीड़ होती है और पूरी विधि-विधान से ललिता देवी की पूजा भी की जाती है। कई लोगों की इस मंदिर से मन्नत भी पूरी हुई है जिसके बाद ललिता देवी के लिए उनके मन में और भी आस्था बढ़ गई है।

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