जब लता मंगेशकर को की गई थी जान से मारने की कोशिश, खाने में दे दिया गया था जहर
जब लता मंगेशकर की सफलता से हो रही थी जलन, दे दिया गया था जहर, जाने किसने रची थी साजिश
सुरों की मल्लिका कही जाने वाली मशहूर गायिका लता मंगेशकर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उन्होंने अपनी खूबसूरत आवाज का दुनिया भर में जादू बिखेरा है। जब भी संगीत की दुनिया का जिक्र होता है तो उसमें लता मंगेशकर का नाम जरूर लिया जाता है। लेकिन लता मंगेशकर अब इस दुनिया को अलविदा कह गई है.
6 फरवरी साल 2022 की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। संगीत की दुनिया से लता मंगेशकर का चला जाना कभी न भरने वाली क्षति है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जब लता मंगेशकर 33 साल की थी तब भी उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई थी। इतना ही नहीं बल्कि लता मंगेशकर को जहर दे दिया गया था जिसके चलते वह तीन से चार दिन तक अस्पताल में भर्ती थी। इसके बारे में खुद लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था।
28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर ने खुद के बलबूते पर संगीत की दुनिया में एक पहचान बनाई थी। बचपन से ही लता मंगेशकर का कैरियर संघर्षों से भरा रहा था। घर की सबसे बड़ी बहन होने के नाते उन्होंने अपने पूरे परिवार को संभाला और साथ ही खुद का करियर भी बनाया।
जब लता मंगेशकर को संगीत की दुनिया में काम मिला तो धीरे-धीरे वह इसकी मल्लिका बनने लगी। जब लता मंगेशकर 33 बरस की थी तो उनका कैरियर बुलंदियों पर पहुंच गया था। इसी दौरान उनके साथ एक ऐसी घटना घटी जिसके चलते वह 3 महीने तक बिस्तर से नहीं उठ पाई थी।
कहा जाता है कि लता मंगेशकर को अचानक ही पेट में दर्द होने लगा था और फिर उल्टियां होने की वजह से उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जहां खुलासा हुआ कि उन्हें कई दिनों से स्लो पाइजन (धीमा जहर) दिया जा रहा था जिसका असर उनके शरीर पर होने लगा और 3 महीने तक वह लगातार बिस्तर पर ही रही थी। लेकिन लता जी को यह जहर कौन दे रहा था?
इस बात का खुलासा कभी नहीं हो पाया और ना ही इसके सबूत मिल पाए। इतना जरूर कहा जाता है कि जिस दिन लता मंगेशकर को जहर दिया जाने का खुलासा हुआ था, उसी दिन उनके घर का कुक अचानक घर से भाग गया था जिसके बाद उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने घर की रसोई की जिम्मेदारी उठाई थी।
एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने इस किस्से को शेयर करते हुए कहा था कि, “हम मंगेशकर्स इस बारे में बात नहीं करते, क्योंकि यह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था। साल 1963 में मुझे इतनी कमजोरी महसूस होने लगी कि मैं तीन महीने तक बेड से भी बहुत मुश्किल से उठ पाती थी। हालात यह हो गए कि मैं अपने पैरों से चल फिर भी नहीं सकती थी। इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि मुझे धीमा जहर दिया गया था। डॉ. कपूर का इलाज और मेरा दृढ़ संकल्प मुझे वापस ले आया। तीन महीने तक बेड पर रहने के बाद मैं फिर से रिकॉर्ड करने लायक तैयार हो गई थी।”
इसके अलावा लता मंगेशकर ने कहा था कि, डॉक्टरों ने उन्हें कहा था कि, वह कभी नहीं गा पाएंगी? इसके जवाब में लता मंगेशकर ने कहा था कि, “यह सही नहीं है, यह मेरे धीमे जहर के इर्द-गिर्द बुनी गई एक काल्पनिक कहानी है। डॉक्टर ने मुझे नहीं कहा था कि मैं कभी नहीं गा पाऊंगी। मुझे ठीक करने वाले हमारे पारिवारिक डॉक्टर आर पी कपूर ने तो मुझसे यह तक कहा था कि वह ठीक करके रहेंगे, लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूं कि पिछले कुछ सालों में यह गलतफहमी हुई है। मैंने अपनी आवाज नहीं खोई थी।”