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कैसे बने दुनिया के बेस्ट पापा !

बच्चे को गिरने पर उठाने वाला, कपड़ों पर लगे मिटटी को साफ़ करने वाला और फिर आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाला, कहलाता है- पिता. एक पिता का रिश्ता अपने बच्चों के साथ प्यार और विश्वास का होता है, जो कि पूरे जीवनभर बरक़रार रहता है. पर आजकल आये दिन पिता और बच्चों के संबंधों में दरार देखने को मिल ही जाती है. दोनों के बीच आये दरार के कारण अलग-अलग हो सकते हैं. अधिकतर पिता का व्यवहार ही उन्हें अपने बच्चों से दूर करता है, जिससे कि आगे चलकर दोनों को दुःख पहुँचता है. अगर आप दुनिया के बेस्ट पापा कहलाना चाहते हैं तो याद रखिये ये बातें…

भावनाओं की करें क़द्र :

बच्चों की ज़िद्द पर उन्हें मारे-पीटे नहीं. मारने पर बच्चे अक्सर आपसे दूर हो जाते हैं और बातें शेयर नहीं करते. जिसकी वजह से आप उनके अच्छे दोस्त नहीं बन पाते. बच्चों का मन साफ़ और कोमल होता है. उनके भावनाओं की क़द्र करना सीखें. मन को ठेस पहुँचाने वाला काम ना करें और ना ही बोलें.

साथ बिताएं वक़्त :

काम की वजह से अगर आप बाहर रहते है और बच्चे आपका घर पर इंतज़ार करते हैं तो ये समय आपके बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी होता है. बच्चे आपके साथ सिर्फ थोडा सा क्वालिटी टाइम बिताना चाहते हैं. ऐसे में आपकी ज़िम्मेदारी बनती है की आप अपने बच्चे की भावनाओं को समझे और उन्हें अपना समय दें. टाइम देने से आप भी खुश रहेंगे और आपके बच्चे भी. एक दुसरे से बात करें, बच्चों की बात सुने और हर पल को एन्जॉय करें.

ध्यान रखें परफॉरमेंस का :

पिता होने के नाते आपकी ज़िम्मेदारी बनती है की आप अपने बच्चों का हर छेत्र में ध्यान रखें. उनकी जॉब, पढाई, खेल, बिज़नेस आदि में उनके मार्ग दर्शक बनें. उनके काम में रूचि दिखाएं और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. आपका प्रोत्साहन बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत तो बनाएगा ही साथ ही उनके आत्मबल को भी बढ़ायेगा. बच्चों के साथ अपने अनुभव को भी बाटें. हर बात पर रोक-टोक ना करें. उन्हें खुद से भी कुछ निर्णय लेने दें.

उन्हें प्रोत्साहित करें :

अगर आपके बच्चे किसी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाते तो उन्हें खरी-खोटी ना सुनाएं. इससे बच्चों का मनोबल गिरता है और उनमें हीन भावना आने लगती है. ऐसे परिस्थिति में चाहिए की आप अपने बच्चे को पूरी तरह से सपोर्ट करें और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. उन्हें आगे के जीवन में आ सकने आने वाली बाधाओं के बारें में बताएं और उनसे सामना करने के लिए मजबूत बनाएं. ऐसा करने पर बच्चे आपसे कभी डरेंगे नहीं और ना ही कभी झूठ बोलेंगे. बच्चों का विश्वास आप में बना रहेगा और वो अपनी कोई भी बात आपसे शेयर करने में हिचकिचाएंगे नहीं.

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