‘सम्राट पृथ्वीराज’ फ्लॉप होने छलका फिल्म के डायरेक्टर का दर्द, जनता को ठहराया जिम्मेदार
बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की इस साल एक के बाद एक कई फिल्में रिलीज़ हुई है. लेकिन खिलाड़ी कुमार किसी भी फिल्म में अपना जादू दिखाने में नाकामयाब हुए है. उनकी किसी भी फिल्म ने सफलता का परचम नहीं लहराया. इस साल उनकी ऐतिहासिक फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ मोस्ट अवेटेड मानी जा रही थी. उनके फैंस से लेकर सिनेमा के प्रेमियों को इस फिल्म का काफी इंतज़ार था. जैसे ही इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ अनुमानों के विपरीत चारों और अक्षय कुमार की एक्टिंग पर सवाल और मीम बनने लगे.
दर्शकों को इस ऐतिहासिक फिल्म में अक्षय की एक्टिंग का लहज़ा बिल्कुल भी नहीं भाया. सोशल मीडिया पर तरह-तरह के मीम सामने आए. लोगों ने अक्षय कुमार की एक्टिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि, अक्षय एक ऐतिहासिक फिल्म में भी कॉमेडी सीन जैसी एक्टिंग कर रहे है. वहीं दूसरी और फिल्म की कास्टिंग पर भी प्रश्न उठे, नेटिजन्स ने पूछा कि सम्राट पृथीराज ने युवा अवस्था में सभी युद्ध लड़े थे और वह युवा ही वीरगति को प्राप्त हुए थे. वहीं फिल्म में अक्षय कहीं से कहीं तक युवा नज़र नहीं आ रहे, आखिर ऐसी कास्टिंग क्यों?
इन सब रयूमर्स के बाद जब फिल्म रिलीज़ हुई तो फिल्म रिकॉर्ड फेल्युअर साबित हुई. फिल्म के डायरेक्टर और अक्षय कुमार ने कभी सोचा भी नहीं होगा की फिल्म का ये हाल होगा. अब जाकर इस फिल्म के डायरेक्टर डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी का दर्द सामने आया है. इतिहास से गहरा प्रेम करने वाले डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी एक निर्माता हैं, निर्देशक हैं, लेखक हैं और एक अभिनेता भी हैं. वह अपनी फिल्म पृथ्वीराज के बारे में बात करते हुए कहते है कि ‘सम्राट पृथ्वीराज’ अथक मेहनत से बनाई हुई फिल्म है, जिसकी महत्ता आज नहीं तो कल ज़रूर होगी.
फिल्मकार पद्मश्री डॉ चन्द्रप्रकाश द्विवेदी से इस फिल्म के बारे में एक इंटरव्यू के दौरान खुलकर बात हुई. उन्होंने कहा, इस बात का काफी दुःख होता है कि लोग पढ़ते नहीं हैं. उदाहरण के लिए देखें तो कितने लोगों ने वाल्मीकि की रामायण पढ़ी है. पर लोग इसे बिना पढ़े इस पर वाद-विवाद शुरू कर देते हैं. रामचरित मानस और रामायण में अंतर है, पर लोग ये नहीं जानते.
अब बात करें ‘पृथ्वीराज रासो’ की. इसके भी अलग-अलग संस्करण हैं. देखा जाय तो राजस्थान से प्रकाशित संस्करण में तराई के तृतीय युद्ध के दौरान सम्राट पृथ्वीराज की मृत्यु हो जाती है तो पृथ्वीराज को भारत से अफगानिस्तान ले जाने की बात क्या सिर्फ कल्पना मात्र है.
फिल्म डायरेक्टर डॉ चन्द्रप्रकाश द्विवेदी ने आगे कहा, वाराणसी से प्रकाशित संस्मरण ये लिखता है कि पृथ्वीराज को गोरी अपने साथ ग़जनी ले जाता है, उन्हें अंधा बनाता है आदि-आदि. वहीं दूसरी तरफ रासो के अलग-अलग संस्करण अलग बात कहते हैं और यही सबसे मुश्किल है कि सत्य है क्या? उन्होंने कहा, जहां तक “चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान” की बात है तो ये रासो के किसी भी संस्करण में नहीं लिखा गया है. मगर ये बात जनमानस में बहुत प्रचलित है. सम्राट पृथ्वीराज के अंत को लेकर कई तरह की कहानी है लेकिन ये सभी एक ही फिल्म का हिस्सा नहीं हो सकती है.