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बनारस के अरमान, रिजवान को अपना बेटा मानती थीं लता मंगेशकर, पहनती थीं उनके हाथ की बनी साड़ियां

भारत रत्न, स्वर साम्राज्ञी, क्वीन ऑफ़ मेलोडी लता मंगेशकर पंचतत्व में विलीन हो गई हैं। लता मंगेशकर का रविवार 6 फरवरी 2022 को निधन हो गया। लता मंगेशकर जी को उनकी भाषा और उनके व्यवहार में उनकी सादगी, सरलता और सौम्यता की वजह से भी दुनिया उनको पहचानती है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी का बनारस से कला और संस्कृति का नाता था। वह अपने जीवन काल में एक ही बार बनारस आ सकी थीं लेकिन फिर यहां आने का उनका बहुत सपना था, जो पूरा ना हो सका।

आपको बता दें कि लता मंगेशकर जी को बनारसी साड़ियां पहली पसंद हुआ करती थीं। वह यहां के साड़ी निर्माता व व्यवसायी सगे भाइयों अरमान और रिजवान के यहां की बनी हुई साड़ियां ही पहनती थीं। इस बीच उनके परिवार में ऐसा खास रिश्ता बन गया कि दोनों भाई लता जी को मां कहते थे और वह भी उन्हें अपना बेटा मानती थीं।

अक्सर पूरे परिवार से उनकी बातचीत होती रहती थी। तीज-त्योहारों पर वह उन्हें और उनके परिवार के लोगों को कपड़े उपहार भेजती रहती थीं। अभी उनके स्वास्थ्य के लिए अरमान ने बीती 20 जनवरी को श्री काशी विश्वनाथ धाम में उनके नाम से बाबा का अभिषेक करवाया था। उनके निधन की खबर सुनने के बाद पूरा परिवार शोकाकुल है। साल 2015 मई के महीने में लता दीदी से उनका संपर्क हुआ था।

आपको बता दें कि उनके व्यक्तिगत सहायक महेश राठोर उनके परिवार के अन्य सदस्यों और भाई हृदय मंगेशकर के साथ काशी यात्रा पर आए थे। तब लता दीदी के लिए साड़ियां खरीदने के लिए वह गौरीगंज स्थित उनकी दुकान पर पहुंचे। उसी समय उनकी पसंद जानने के लिए अरमान से मोबाइल फोन से लता जी से बात कराई थी। बातचीत के क्रम में लता मंगेशकर जी ने उन्हें साड़ियां लेकर मुंबई आने के लिए कहा था।

एक महीने के बाद वह साड़ियां लेकर मुंबई स्थित उनके घर प्रभुकुंज अपार्टमेंट पहुंच गए। ऐसा बताया जाता है कि बातचीत के दौरान उन्हें लता दीदी के स्नेह में मां की छवि और सरलता नजर आई और भावावेश में उन्हें मां बोल दिया। फिर तो मां-बेटे का यह रिश्ता स्थायी बन गया। इसके बाद हर महीने और कभी-कभी हफ्ते में उनसे बात हो जाती थी। साल में तीन-चार बार मुंबई जाने पर उनसे मुलाकात कर आशीर्वाद लेना अरमान और रिजवान की दिनचर्या बन चुकी थी।

अरमान और रिजवान ने आज तक लता दी के दिए चेकों को नहीं कराया कैश

साल में तीन से चार बार साड़ियों को लेकर अरमान और रिजवान लता मां के पास मुंबई जाते थे। वहां से उन्हें लता मां चेक में पेमेंट करती थीं। लेकिन दोनों भाइयों ने लता जी के दिए गए चेकों को कैश नहीं कराया। वह लता मां से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सभी चेक को लेमिनेशन कराकर सुरक्षित रखा हुआ है और अब वह उसे एक यादगार के तौर पर संजोकर रख लिया। इन सालों में लगभग 100 से ज्यादा साड़ियां दोनों भाइयों ने लता जी को भेज चुके हैं। कुछ साड़ियां वह खुद के लिए, तो कुछ दूसरों को उपहार स्वरूप देने के लिए मंगवाती थीं।

काशी चलने का कई बार किया आग्रह, लेकिन पूरा ना हो पाया सपना

अरमान का ऐसा बताना है कि लता मां से कई बार काशी चलने का आग्रह किया था और वह काशी आना चाहती भी थीं। परंतु उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था, जिसके चलते वह काशी नहीं आ पाईं। वह बोलीं कि व्हील चेयर पर बैठकर जाना उन्हें पसंद नहीं है।

इस दिन हुई थी आखिरी बातचीत

लता जी से अरमान की आखिरी बातचीत नववर्ष के दिन हुई थी। उस समय के दौरान लता जी की तबीयत ठीक नहीं थी। लता जी को नववर्ष की शुभकामना देने के लिए अरमान ने उनको फोन किया था। उन्होंने भी पूरे परिवार को शुभकामना दी। जब उनसे उनकी सेहत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि ठीक नहीं है लेकिन अब पहले से सुधार है।

लता दी के स्वास्थ्य की कामना के लिए 20 जनवरी को करवाया बाबा का अभिषेक

अरमान ने बीते 20 जनवरी को लता मंगेशकर के स्वास्थ्य में सुधार के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में रुद्राभिषेक भी करवाया था। दरअसल, उन्होंने उनके असली नाम हृदया मंगेशकर के नाम से बाबा का अभिषेक करवाया था। उनके व्यक्तिगत सहायक महेश राठौर ने अभिषेक के लिए स्वर कोकिला का वास्तविक नाम हृदया मंगेशकर और गोत्र कश्यप लिख कर भेजा था। बता दें कि जब अरमान ने मां के स्वास्थ्य की खबर सुनी तो उन्होंने महेश भाई को फोन लगाया था। तब उन्होंने बताया था कि हां, वेंटिलेटर पर हैं लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है, सब ठीक है।

लता मां के अंतिम दर्शन को जाना चाहते थे अरमान

जब अरमान को लता मां के निधन की सूचना मिली तो उन्होंने तुरंत ही मुंबई जाकर अंतिम दर्शन करने की योजना बना ली। लेकिन उनके निजी सहायक महेश राठौर से जब उनकी बात हुई थी तो उन्होंने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बहुत कम लोगों को बुलाया गया है इसीलिए उनका आना उचित नहीं है। उन्होंने अरमान से कहा कि शाम को 4:30 बजे अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा इसलिए आपके आने का कोई फायदा नहीं है। अरमान ने अपनी लता मां के लिए शाम को परिवार के साथ फातिहा पढ़ते हुए दुआ ख्वानी भी की।

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