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अटूट बंधन: पति का शव देखते ही पत्नी ने भी त्याग दिए प्राण, एक ही चिता पर बेटियों ने दी मुखाग्नि

पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह रिश्ता सात जन्मों का रिश्ता होता है। शादी के सात फेरों के साथ ही पति-पत्नी एक दूसरे का जीवन भर साथ निभाने का वचन देते हैं। हर अच्छे बुरे दौर में एक-दूसरे का साथ देते हैं। जब दो लोग साथ जुड़ते हैं तब दो अलग-अलग जीवन धीरे-धीरे एक होने लगते हैं। दो लोगों को अब केवल स्वयं के बारे में ना सोचते हुए एक दूसरे के लिए जीना होता है।

पति-पत्नी में से कोई भी किसी प्रकार का काम करता है तो उसे अपने साथी की खुशी को भी ध्यान में रखकर करना होता है। अक्सर देखा गया है कि पति-पत्नी का रिश्ता ठीक प्रकार से चलता है परंतु किसी कारण से दोनों में से एक इस दुनिया को छोड़ कर चला जाता है। ऐसी स्थिति में उनके ऊपर क्या बीतती है, सिर्फ वही समझ सकते हैं।

इसी बीच राजस्थान के नागौर से एक बेहद भावुक कर देने वाली घटना सामने आई है। दरअसल, यहां पर एक पत्नी ने पति का शव देखते ही प्राण त्याग दिए। ऐसा बताया जा रहा है कि दोनों की शादी 58 साल पहले हुई थी और इतने लंबे समय से यह दोनों साथ में ही रह रहे थे परंतु इतने लंबे समय के बाद साथ छूटने का सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और पति का शव देखते ही पत्नी ने भी अपना दम तोड़ दिया।

ऐसा बताया जा रहा है कि 78 साल के बुजुर्ग को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उन्हें सबसे पहले नागौर और फिर जोधपुर इलाज के लिए ले जाया गया था परंतु रविवार की सुबह 4:00 बजे जोधपुर में वह इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। बुजुर्ग के शव को सुबह 8:00 बजे घर पर ले जाया गया। जब शव को पत्नी ने देखा तो उसने भी अपने प्राण त्याग दिए।

रूण गांव के लोगों का ऐसा बताना है कि शनि देव मंदिर में पूजा पाठ करने वाले 78 वर्षीय राणाराम सेन को सांस लेने में दिक्कत थी। राणाराम सेन की पत्नी का नाम भंवरी देवी (75) है। जैसे ही उन्होंने अपने पति का मुंह देखा, उनकी भी सांसे थम गईं।

बुजुर्ग दंपति के परिजनों रतनलाल और खेमचंद का ऐसा बताना है कि बुजुर्ग दंपति का कोई बेटा नहीं है। केवल दो बेटियां हैं। दोनों शादीशुदा हैं। इसकी वजह से दोनों बेटियों ने ही अर्थी को कंधा दिया। एक ही चिता पर माता-पिता को मुखाग्नि दी गई। बैंड बाजे के साथ दोनों की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें पूरा गांव शामिल हुआ था।

गांव वालों का ऐसा बताना है कि राणाराम सेन और भंवरी देवी की शादी 58 साल पहले हुई थी। गांव वालों ने बताया कि दोनों का प्रेम अटूट था। दोनों ही एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और अंतिम समय में भी दोनों ने ही एक साथ इस दुनिया को छोड़ दिया।

दंपत्ति का मलमास में अमावस्या के दिन एक साथ यूं दुनिया को अलविदा कहना, हर किसी के लिए चर्चा का विषय बन चुका है। हिंदू धर्म में इसे बड़ा ही सौभाग्यशाली माना जाता है। ये बुजुर्ग दंपत्ति हमेशा एक साथ रहते थे और अब एक साथ ही दुनिया को छोड़ दिया। इसकी चर्चा पूरे गांव भर में हो रही है।

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