अजब ग़जब

पैसों की कमी के कारण कार में रहने लगा था टीचर, छात्र की पड़ी नजर और बदल डाली किस्मत

कोरोना वायरस का असर दुनिया भर में देखने को मिला। कोई आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है तो कोई बेरोजगार हो गया है। जैसे तैसे एक बार फिर जीवन पटरी पर लाया गया और दोबारा काम शुरू कर जीवन यापन किया जा रहा है। इसी बीच कैलिफोर्निया के जोस नाम के टीचर को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं बल्कि उनके हाथ से कमाई का जरिया निकल गया और उनकी सेविंग भी खत्म हो गई। ऐसे में उन्होंने अपनी कार में ही दिन गुजारने शुरू कर दिए।

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दरअसल, कैलिफोर्निया के रहने वाले जोस पेशे से टीचर है, वह कैलिफोर्निया के फोंटाना शहर के स्कूल में पढ़ाते हैं। लेकिन कोरोना वायरस के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई जिसके चलते वह अपनी पुरानी कार में ही गुजारा कर रहे थे। उन्हें जो भी पैसा मिलता था वह अपने परिवार को भेजते थे और खुद कार में ही गुजारा करने लगे।

इसी बीच उनके पूर्व छात्र की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने जन्मदिन के मौके पर टीचर को करीब 20 लाख रुपए का चेक तोहफे में दिया। छात्र की इस पहल को देख टीचर भावुक हो गए। छात्र को लेकर टीचर ने कहा कि, ‘इस तोहफे से मेरी जिंदगी बदल गई, अब मैं भी अपना घर ले सकूंगा।’

जोस ने बताया कि साल 1997 में उन्होंने कार खरीदी थी। इसी कार में वह अपनी जिंदगी गुजारने लगे थे। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने लिए एक घर ले पाएंगे लेकिन जब उनकी मुलाकात अपने पूर्व छात्र से हुई, तो छात्र ने उनके सपने को पूरा कर दिया। जोस को अपने 77 वें जन्मदिन के मौके पर 20 लाख का चेक उपहार में मिला।

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वहीं छात्र स्टीवन का कहना है कि जब हम हर रोज काम करने जाते थे तो बूढ़े टीचर को देखते थे और हर रोज वह अपनी जरूरत का सामान डिग्गी से निकालते थे। ऐसे में हमने फैसला किया कि हम उनके लिए फंड इकट्ठा करेंगे। स्टीवन ने कहा कि, “हमारा लक्ष्य 5 हजार डॉलर (3.60 लाख रुपये) जुटाना था। लेकिन हमने उससे 6 गुना ज्यादा पैसे इकट्टठा कर लिए। उन्होंने मुझ जैसे बहुत से बच्चों की जिंदगी को बेहतर बनाया है। उनके पास 1977 की फोर्ड थंडरबर्ड एलएक्स कार है, जिसे उन्होंने घर बना लिया है। मैं कई दिनों से मैं उन्हें कार में ही रहते देख रहा था। एक दिन मैंने उनकी मदद का फैसला किया।”

जोस ने बताया कि, कोरोना के कारण उनकी हालत पहले से ज्यादा खराब हो गई थी। पढ़ाने के दौरान जो रुपए मिलते थे वह भी उन्हें परिवार को भेजना रहता था ऐसे में वह कार में ही रहने लगे। उनके पास इतने पैसे भी नहीं बचे थे कि वह किराए का कमरा ले सके क्योंकि उन्हें अपनी कमाई के ज्यादा पैसे मैक्सिमो में परिवार को देना रहता था।

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जोस ने कहा कि मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा, मेरे लिए यह चौंकाने वाला था। कभी मैंने सरप्राइज की उम्मीद नहीं की थी। वहीं स्टीवन का कहना है कि, उस व्यक्ति की मदद करना किसी सम्मान से कम नहीं है, जो बहुत से बच्चों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करता हो।

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