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25 कमरों वाले बंगले में रहने वाले भगवान दादा की इस गलती ने की जिंदगी बर्बाद, चॉल में हुई थी मौत

हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता और निर्देशक भगवान दादा को भला कौन नहीं जानता। इनका असली नाम भगवान आबाजी पलव था। भगवान दादा अपने समय के सबसे बड़े सितारों में से एक हुआ करते थे। यह अपनी बेहतरीन एक्टिंग के साथ-साथ अपनी निजी जिंदगी के लिए भी जाने जाते हैं। भगवान दादा का जन्म अमरावती के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था।

भगवान दादा ने भी खुद फिल्मों में आने से पहले मजदूरी तक की थी। लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि वह कॉमेडी के बेताज बादशाह बन गए। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भगवान दादा की जिंदगी से जुड़ी हुई कुछ रोचक बातों के बारे में बताने वाले हैं, जो शायद इससे पहले आपने कभी नहीं सुनी होगी।

फिल्मों में आने से पहले की थी मजदूरी

भगवान दादा अपने समय के बेहद अमीर स्टार हुआ करते थे। लेकिन फिल्मों में आने से पहले उन्हें बहुत सी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। इनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। घर का गुजारा जैसे तैसे चलता था। घर चलाने के लिए उन्हें मजदूरी भी करनी पड़ी थी। उन्होंने मूक सिनेमा के दौर में फिल्म “क्रिमिनल” से डेब्यू किया। भगवान दादा कॉमेडी के बेताज बादशाह थे। केवल फिल्मों में ही नहीं बल्कि वह असल जिंदगी में भी एकदम मस्त मौला किस्म के व्यक्ति थे।

भगवान दादा एक अच्छे एक्टर थे। उन्होंने अभिनय के बाद फिल्म निर्देशन में भी अपनी किस्मत आजमाई। साल 1951 में उन्होंने फिल्म “अलबेला’ का निर्माण किया था। इस फिल्म के गीत “शोला जो भड़के” और “भोली सूरत दिल के खोटे” आज भी लोगों द्वारा याद किए जाते हैं। भगवान दादा की पहली बोलती फिल्म “हिम्मत-ए-मर्दा” जो 1934 में रिलीज हुई थी।

25 कमरों के बंगले में रहा करते थे भगवान दादा

वैसे देखा जाए तो भगवान दादा से जुड़े हुए कई किस्से मशहूर हैं उन्हीं में से एक उनके शौक को लेकर यह किस्सा बताया जाता है कि वह उनका जुहू में बंगला था। स्टार बनने के बाद वह 25 कमरों के घर में रहा करते थे। इतना ही नहीं बल्कि ऐसा भी कहा जाता है कि वह कारों के भी बहुत शौकीन थे। उनके पास सात कारें थीं और हर दिन वह सेट पर एक नई कार से जाया करते थे।

कभी भगवान दादा आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे परंतु उन्होंने एक समय पहले कमाई के खूब झंडे गाड़े थे। उनके पास धन-दौलत, गाड़ी, बंगला किसी भी चीज की कमी नहीं थी। उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था परंतु शायद उनकी किस्मत को और कुछ ही मंजूर था। जब उनका करियर ऊंचाइयों पर था तो उन्होंने एक ऐसी गलती कर दी थी जिसकी वजह से उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई।

एक गलती ने कर दी जिंदगी बर्बाद

दरअसल, भगवान दादा से एक ऐसी गलती हो गई जिसके चलते वह अर्श से फर्श तक पहुंच गए। हुआ ऐसा कि उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी लगाकर एक फिल्म का निर्माण शुरू कर दिया था। इस फिल्म का नाम “हंसते रहना” था। इस फिल्म के लिए उन्होंने बतौर लीड एक्टर किशोर कुमार को चुना था। ऐसा बताया जाता है कि किशोर कुमार को इस फिल्म के लिए साइन करना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल रही थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि किशोर कुमार के नखरों की वजह से यह फिल्म पूरी ना हो पाई जिसका खामियाजा भगवान दादा को उठाना पड़ा था। भगवान दादा ने इस फिल्म को बनाने के लिए अपनी पूरी जमा पूंजी लगा दी थी और वह बेहद तंगहाली में आ गए।

बाकी जिंदगी गुजरी चॉल में, यहीं पर हो गई मौत

भगवान दादा की फिल्म पूरी ना होने की वजह से उनकी जिंदगी भर की कमाई ठिकाने लग गई और वह बेहद तंगहाली में आ गए। भगवान दादा अपना बंगला छोड़कर चॉल में रहने लगे। उनका अंतिम समय मुंबई की एक चॉल में बेहद तंगहाली में गुजरा था और उनकी मौत भी इसी चॉल में हो गई थी।

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