अजब ग़जब

इस खूबसूरत गांव में है 5 स्टार होटल जैसी सभी सुविधाएं, लेकिन नहीं रहता एक भी इंसान

दुनियाभर में कई देश अपनी अनोखी खूबियों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। कोई अपनी प्राकृतिक सैंदर्य के कारण तो कोई अजीबो-ग़रीब और अनोखी चीजों के कारण चर्चित है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बता रहे हैं जहां तमाम सुख-सुविधाएं होने के बावजूद कोई नहीं रहता है।

इस गांव में मौजूद हैं सभी सुविधाऐं

दरअसल, आज के समय में हर इंसान यही सोचता है कि वह जिस क्षेत्र में वह रहे वो बेहद उन्नत हो और वहां तमाम तरह की सुविधाएं हो। लेकिन हम आपको जिस गांव के बारे में बता रहे हैं वहां फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन फिर भी यहां एक भी इंसान नहीं रहता। हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया का किजोंग-डोंग गांव की। लेकिन हैरान करने वाली बात हैं कि इस अनोखे गांव में कोई नहीं रहता हैं। हालांकि, इस गांव में आलीशान इमारतें, साफ-सुथरी सड़कें, पानी की टंकी, बिजली, स्ट्रीट लाइट समते तमाम तरह की सुविधाएं हैं।

प्रोपगैंडा विलेज के नाम से मशहूर

बता दें कि किजोंग-डोंग गांव साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया के मिलिट्रीरहित जोन में स्थित है। साल 1953 में कोरियन वॉर के बाद हुए युद्ध विराम के दौरान इस गांव को बनाया गया था। जानकर हैरानी होगी कि यह शहर एक भ्रम है। जी हां।।।। कई लोग इस गांव को प्रोपगैंडा विलेज कहते हैं। लोगों का ये मानना है कि इस गांव का निर्माण इसलिए कराया गया ताकि नार्थ कोरिया में रह रहे लोगों को ऐसा लगे कि यहां के लोगों की लाइफ काफी लग्जरी है।

नकली शहर बनाकर भ्रम फैला रहा नॉर्थ कोरिया

सही बात तो ये है कि यह गांव सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए बनाया गया एक ख़ुशहाल शहर का मॉडल है। दरअसल, ग़रीबी और तानाशाही में जी रहा यह देश इस ख़ूबसूरत मगर नक़ली शहर के ज़रिए यह बताना चाहता है कि नॉर्थ कोरिया कितना अमीर और ख़ुशहाल देश है।

किजॉन्ग-डोंग का इतिहास

किजोंग-डोंग गांव के निर्माण का किस्सा भी काफी रोचक है। दरअसल, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच जब कोरियाई युद्ध की अनौपचारिक समाप्ति हुई, उसी समय इस गांव का निर्माण हुआ। इस दोनों देशों को अलग करने वाले क्षेत्र को डिमिलिट्राइज एरिया के रुप में जाना जाता है। युद्ध के दौरान दोनों देशों ने यहां से अपने नागरिकों को हटा दिया था।

फ्रीडम विलेज के नाम से मशहूर

युद्ध विराम की घोषणा के समय यह तय किया गया कि दोनों देश सीमा पर सिर्फ एक ही गांव को बरकरार रख सकते थे या फिर नया गांव बसा सकते थे। ऐसे में साउथ कोरिया ने अपनी सीमा में मौजूद फ्रीडम विलेज के रुप में जाना जाने वाला डाइसॉन्ग-डोंग को बरकरार रखा। यहां पर करीब 226 लोग रहते हैं।

इंसान नहीं सिर्फ है खाली घर

वहीं नार्थ कोरिया ने पीस विलेज के रुप में एक नया गांव किजोंग-डोंग का निर्माण करवाया। इस गांव को लेकर नार्थ कोरिया का ये दावा है कि यहां पर 200 निवासी हैं। बच्चों के लिए किंडरगार्टन, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के अलावा यहां रह रहे लोगों के लिए अस्पताल भी है। जब सैटेलाइट के जरिए इस शहर को देखा गया, तो पता चला कि यहां कोई नहीं रहता। लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए रोजाना घरों में लाइट जलाई जाती है। सड़कों पर झाड़ू तक लगाईं जाती है लेकिन यहां एक भी इंसान नहीं दिखता है।

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