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बेटी की मौत के बाद उसकी याद में पिता ने खड़ी कर दी अरबों की ‘निरमा’ कंपनी, रुला देगी पूरी कहानी

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं हर घर के अंदर वाशिंग पाउडर की जरूरत होती है। वैसे तो आजकल बाजार में कपड़े धोने के बहुत से वाशिंग पाउड आ चुके हैं इसके अलावा आप सभी लोगों ने कपड़े धोने के लिए निरमा वॉशिंग पाउडर का नाम तो सुना ही होगा। भले ही आप में से कई लोगों ने निरमा वॉशिंग पाउडर का इस्तेमाल ना किया परंतु इसका नाम तो जरूर सुना होगा।

जी हां, हम उसी निरमा वॉशिंग पाउडर की बात कर रहे हैं, जिसके पैकेट के ऊपर सफेद रंग की फ्रॉक पहने हुए एक लड़की गोल गोल घूमते हुए नजर आती है। इस निरमा कंपनी की स्थापना करने वाले व्यक्ति का नाम करसन भाई पटेल है। कभी उन्होंने अपने घर के पीछे डिटर्जन पाउडर बनाना शुरू किया था और वह सर्फ बनाने के बाद इसे घर-घर में बेचने के लिए जाया करते थे।

जिस समय के दौरान देश में हिंदुस्तान युनिलीवर का डिटर्जेंट पाउडर बाजार में ₹13 किलो में बिका करता था, उस समय में करसन भाई पटेल वाशिंग पाउडर सिर्फ ₹3 किलो की कीमत पर बेचा करते थे। उन्होंने इस वॉशिंग पाउडर का दाम बहुत कम रखा था, जिससे मध्यम वर्गीय, निम्न वर्गीय परिवार इसे आसानी से खरीद सकते थे।

इतना ही नहीं बल्कि वह डिटर्जेंट पाउडर के हर पैकेट के साथ गारंटी भी दिया करते थे। अगर इस्तेमाल करने के बाद वह पाउडर सही नहीं हुआ तो ऐसी स्थिति में ग्राहकों पैसे भी वापस कर दिए जाएंगे। निरमा वॉशिंग पाउडर काफी लोकप्रिय बना हुआ था, शायद इसकी मुख्य वजह इसका सस्ता होना है।

करसन भाई पटेल के पिता थे एक किसान

भले ही करसन भाई पटेल ने करोड़ों-अरबों की निरमा कंपनी खड़ी कर दी परंतु इसके पीछे की कहानी क्या है? इसके बारे में जानकर आपकी आंखों से भी आंसू छलक पड़ेंगे। 13 अप्रैल 1944 को गुजरात के मेहसाणा शहर में जन्मे करसन भाई पटेल के पिताजी एक किसान थे और उन्होंने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने में किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी थी। मेहसाणा से ही करसन भाई पटेल ने अपनी पढ़ाई की।

जब करसन भाई पटेल की उम्र 21 साल की हुई तो उन्होंने इस उम्र में रसायनिक शास्त्र में बीएससी की पढ़ाई पूरी कर ली। आप सभी लोगों में से ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि गुजरात में ज्यादातर लोग नौकरी करना पसंद नहीं करते हैं, वह अपना खुद का व्यापार करते हैं लेकिन करसन भाई पटेल के घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अपना कोई व्यापार शुरू कर पाएं।

करसन भाई पटेल की घर की स्थिति ठीक ना होने के कारण उन्होंने जब अपनी पढ़ाई पुणे से पूरी की तो उसके बाद उन्होंने एक प्रयोगशाला में सहायक असिस्टेंट की जॉब की। उन्होंने यह नौकरी कई सालों तक की थी और बाद में उनको गुजरात सरकार के खनन और भू विभाग में सरकारी जॉब प्राप्त हो गई।

इस हादसे ने बदल दी जिंदगी

जब करसन भाई पटेल को गुजरात सरकार के खनन और भू विभाग में सरकारी नौकरी प्राप्त हो गई तो उसके बाद उनका जीवन ठीक प्रकार से चलने लगा परंतु इसके बावजूद भी करसन भाई पटेल कहीं ना कहीं से अंदर से बिल्कुल भी खुश नहीं थे। अपनी बेटी से करसन भाई पटेल बहुत प्रेम करते थे और वह चाहते थे कि उनकी बेटी खूब पढ़े लिखे और अपने जीवन में कुछ ऐसा काम करें जिससे देश में उनका नाम रोशन हो जाए।

परंतु शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक हादसे में उनकी प्यारी बेटी की मृत्यु हो गई। बेटी की मृत्यु के पश्चात करसन भाई पटेल अंदर ही अंदर पूरी तरह से टूट चुके थे, परंतु बेटी की मृत्यु ने ही उन्हें एक नई राह दिखाई। करसन भाई जब एक दिन जागे तो उनके दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने यह विचार किया कि वह अपनी बेटी को वापस ला सकते हैं और उन्होंने अपनी बेटी को लेकर जो भी सपना देखा था वह उसे भी पूरा कर पाएंगे।

करसन भाई ने वाशिंग पाउडर बनाकर बेचने का निर्णय ले लिया। अब यहां पर सोचने वाली बात यह है कि आखिर वॉशिंग पाउडर बेचकर वह अपनी बेटी को किस प्रकार से वापस ला सकते थे? तो आपको बता दें कि करसन भाई पटेल की बेटी का नाम “निरुपमा” था और लोग उनकी बेटी को प्यार से “निरमा” कहते थे। करसन भाई पटेल के दिमाग में जिस आइडिया ने जन्म लिया था, उससे पूरे देश में उनकी बेटी का नाम प्रसिद्ध हो सकता था। इसी वजह से करसन भाई पटेल ने अपने इस प्रोडक्ट का नाम “निरमा” रखा, इससे उनकी बेटी इस नाम से हमेशा जिंदा रहेगी।

जानिए निरमा कंपनी की शुरुआत कैसे हुई

आपको बता दें कि निरमा वॉशिंग पाउडर की शुरुआत 1969 में हुई थी, जिसकी शुरुआत गुजरात के रहने वाले करसन भाई पटेल ने की थी। करसन भाई पटेल केमिस्ट्री से साइंस ग्रेजुएट थे इसी वजह से उनके लिए पाउडर बनाना बिल्कुल आसान रहा। उन्होंने सोडा ऐश के साथ कुछ अन्य सामग्रियों को मिलाया और वॉशिंग पाउडर बनाने का प्रयास आरंभ कर दिया।

ऐसे ही प्रयास करते करते एक दिन उन्हें पीले रंग के पाउडर के रूप में अपना फार्मूला मिला। उस समय के दौरान दूसरे डिटर्जेंट पाउडर की कीमत 13 से 15 रूपए प्रति किलो रहा करती थी परंतु उन्होंने निरमा को सिर्फ साडे साढ़े तीन रुपए प्रति किलो की कीमत पर बेचना आरंभ कर दिया। निरमा की कीमत कम होने की वजह से कम आमदनी वाले परिवार भी इसे आसानी से खरीद सकते थे। करसन भाई पटेल अपने इस काम के साथ-साथ अपने सरकारी नौकरी भी किया करते थे।

करसन भाई पटेल ने यह काम शुरू तो कर लिया परंतु उनके लिए यह सफर इतना आसान नहीं था। उनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वह अपनी सरकारी नौकरी भी करते थे और उसके बाद साइकिल से लोगों के घर घर में जाकर वॉशिंग पाउडर भी बेचा करते थे। धीरे-धीरे इस डिटर्जेंट पाउडर के बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जानने लग गए। इसकी कीमत कम होने की वजह से कम आमदनी वाले लोग भी उसे आसानी से खरीद सकते थे।

“निरमा” बन गई पूरे देश की पसंद

उस वक्त तक बाजार में सर्फ जैसे पाउडर आ चुके थे इनकी कीमत ₹15 प्रति किलो थी जबकि निरमा को करसन भाई सिर्फ साढ़े तीन रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा करते थे यानी कि कम आमदनी वाले लोगों के लिए निरमा काफी अच्छा विकल्प लग रहा था। ऐसे में निरमा की बिक्री शुरू हो गई और उनका व्यापार धीरे धीरे चल पड़ा और बाद में उन्होंने अपने व्यापार को और आगे बढ़ाने के बारे में सोच विचार किया।

लेकिन एक तरफ उनकी सरकारी नौकरी भी थी, जिसकी वजह से व्यापार पर पूरा ध्यान देना उनके लिए काफी मुश्किल था। करसन भाई पटेल को अपने फार्मूले पर पूरा विश्वास था और उन्होंने आखिर में यह निर्णय लिया कि वह अपनी नौकरी छोड़कर पूरा ध्यान अपने व्यापार पर देंगे।

अनूठे तरीके से लांच किया

करसन भाई की जिंदगी में इस दौरान बहुत से उतार-चढ़ाव आए। एक समय के लिए उन्हें तो ऐसा लगने लगा कि अब वह हार चुके हैं परंतु तभी उनके दिमाग में एक उपाय आ गया। उन्होंने टीवी विज्ञापन बनाने का विचार किया। उन्होंने टीम की मीटिंग बुलाई और विज्ञापन बनाने का निर्णय ले लिया। यह शानदार जिंगल तैयार हुआ परंतु इसी के साथ करसन भाई ने एक और योजना बनाई। उन्होंने विज्ञापन के टीवी पर आने से पहले ही बाजार से निरमा के सारे स्टॉक को उठा लिया।

निरमा का विज्ञापन ग्राहक टीवी पर एक महीना तक देख पाए। जब भी वह बाजार से यह वाशिंग डिटर्जन पाउडर खरीदने के लिए जाते थे तो उन्हें यह नहीं मिला करता था। उसके बाद खुदरा विक्रेता करसन भाई पटेल के पास पहुंचे और उन्होंने उनसे अनुरोध किया। इसके एक महीने के बाद बाजार में निरमा पहुंच गया।

करसनभाई पटेल के द्वारा की गई यही देरी उनके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुई। जी हां, निरमा की मांग बहुत बढ़ गई, जिसकी वजह से जैसे ही निरमा बाजार में आता वह तुरंत बिक जाता। धीरे-धीरे निरमा ने दूसरे ब्रांड को भी पछाड़ दिया और सबसे अधिक वाशिंग पाउडर बिकने वाली भारत में उस साल निरमा रहा।

1969 में केवल एक व्यक्ति द्वारा शुरू की गई कंपनी में आज लगभग 18000 लोग काम करते हैं और इस कंपनी का टर्नओवर 70000 करोड़ से भी अधिक है। यह इस प्रोडक्ट और उसके पीछे लगे शख़्स का दिमागी कौशल ही है कि अगर कोई व्यक्ति वॉशिंग पाउडर खरीदने जाता है तो पहले उसके मुंह से निरमा शब्द ही निकलता है।

करसन भाई पटेल ने अपनी बेटी की याद में निरमा बेचना शुरू किया था फिर 1995 में करसन भाई पटेल में निरमा को एक अलग पहचान दी और उन्होंने अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की। इसके बाद 2003 में उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट और निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना की।

इतनी संपत्ति के मालिक हैं करसन भाई पटेल

अगर हम करसन भाई पटेल की कुल संपत्ति की बात करें तो 2005 में फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 650 मिलियन डॉलर बताई जाती थी जो बहुत ही जल्द 1000 मिलीयन डॉलर तक पहुंचने वाली थी। अगर हम फोर्ब्स के अनुसार देखे तो करसन भाई पटेल की संपत्ति मौजूदा समय में 4.1 बिलियन है। दुनिया भर के बिलियनर्स की सूची में 775 तथा भारत के सबसे अमीर लोगों की सूची में 39 स्थान पर करसन भाई पटेल का नाम आता है।

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