धार्मिक

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताए हैं ये 4 प्रकार के भक्त, जानिए आप किस प्रकार के हैं

आजकल के समय में पृथ्वी पर ज्यादातर सभी लोग ईश्वर पर विश्वास करते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो आस्था के चलते अपने घर के मंदिर या देश के मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। वैसे देखा जाए तो पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति भगवान पर आस्था रखता है और भक्ति के चलते ही रोजाना नियमित रूप से ईश्वर की पूजा आराधना करता है। दुनिया में सभी लोगों की भक्ति करने का तरीका अलग-अलग है। सभी लोग अपने अपने तरीके से भगवान को प्रसन्न करने की कोशिश में लगे रहते हैं।

आपको बता दें कि गीता में भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं इस बात को बताया था कि “चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोऽर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।।” इस तरह से भगवान श्री कृष्ण ने चार प्रकार के भक्तों के विषय में कहा था। भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता में “आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी और ज्ञानी” यह चार प्रकार के भक्त बताएं हैं। आखिर यह चार प्रकार के भक्त कौन से होते हैं और आप इन चारों में से कौन सी श्रेणी में आते हैं, चलिए जानते हैं इसके बारे में…..

आर्त

इस संसार में ऐसे बहुत से लोग ऐसे हैं जब उनके ऊपर किसी प्रकार की परेशानी आती है या फिर कष्ट उत्पन्न होता है तभी वह भगवान को याद करते हैं। इस तरह के लोग अगर किसी समस्या में आ जाते हैं या फिर जीवन में दु:ख उत्पन्न होने लगते हैं तो यह भगवान को याद करते हैं। भगवान कृष्ण जी ने इस तरह के भक्तों को निम्न कोटि से थोड़ा श्रेष्ठ बताया है। जो भक्त समस्याओं में ही भगवान को याद करते हैं वह आर्त की श्रेणी में आते हैं।

जिज्ञासु

यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने जिज्ञासु भक्तों के बारे में बताया है। जिज्ञासु का मतलब होता है कुछ जानने की जिज्ञासा। इस संसार में जो व्यक्ति निजी जीवन की समस्याओं के लिए भगवान को याद ना करें। जो लोग संसार में फैली हुई अनित्य को देखकर ईश्वर की तलाश में लगे रहते हैं और ईश्वर की भक्ति करते हैं ये लोग जिज्ञासु भक्त की श्रेणी में आते हैं।

अर्थार्थी

भगवान कृष्ण जी ने गीता में इस तरह के भक्तों को लोभी बताया है क्योंकि इस प्रकार के व्यक्ति ईश्वर को सिर्फ लोभ यानी धन-वैभव, सुख-समृद्धि आदि के लिए ही याद करते हैं। इस तरह के लोगों को ईश्वर से अधिक भौतिक सुखों से ज्यादा मतलब होता है। अगर इन लोगों के जीवन में किसी चीज की कमी होती है या फिर कुछ पाने की इच्छा रहते हैं तभी ये भगवान का स्मरण करते हैं। भगवान कृष्ण जी ने इस तरह के भक्तों को (अर्थार्थी) निम्न कोटि के भक्तों की श्रेणी में बताया है।

ज्ञानी

जो लोग सिर्फ ईश्वर की भक्ति में लीन रहने के इच्छुक हैं। जिनका मकसद सिर्फ और सिर्फ ईश्वर की चाह रखना है। जो लोग भगवान से किसी भी प्रकार की इच्छा नहीं रखते हैं। ऐसे लोगों के ऊपर भगवान की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है। भगवान इस तरह के भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं। ऐसे भक्त ज्ञानी भक्त की श्रेणी में आते हैं।

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