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दिल्ली पुलिस के सिपाही ने मुसाफिर को लौटाया रुपयों से भरा बैग, पेश की ईमानदारी की मिसाल

आजकल के समय में देखा गया है कि पुलिस को लेकर ज्यादातर सभी लोगों के मन में छवि नकारात्मक बनी हुई है। सभी लोगों को यही लगता है कि पुलिस हमेशा लोगों को परेशान करती है और रिश्वत खाती है परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कुछ एक पुलिस वालों की वजह से सारे पुलिस वाले बदनाम हो जाते हैं। मौजूदा समय में भी ऐसे बहुत से पुलिस वाले हैं जो अपनी ड्यूटी ईमानदारी के साथ कर रहे हैं।

आज हम आपको पुलिस के ऐसे जवान के बारे में बताने वाले हैं जिसके बारे में जानकर आप भी उनकी तारीफ करेंगे। दरअसल, पुलिस के एक जवान ने इमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की है कि आप उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाएंगे। इस पुलिस वाले की तारीफ हर कोई कर रहा है।

आपको बता दें कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली के शकूर बस्ती में रहने वाले विजय कुमार में 30 जून को अपने बैंक खाते से एक लाख रूपए की मोटी रकम निकाली थी और वह करीब 55 किलो राशन खरीदने के बाद उत्तर प्रदेश के खुर्जा स्थित अपने गृह नगर जाने के लिए शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर पहुंचे परंतु जल्दीबाजी के चक्कर में बरेली-नई दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस में राशन के दो बैग रखने के दौरान वह स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक लाख रूपए से भरा हुआ बैग वहीं बेंच पर भूल गए परंतु दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल ने अपनी ईमानदारी और सूझबूझ का परिचय देते हुए एक मजदूर की मेहनत की कमाई को बर्बाद होने से बचा लिया।

पुलिस उपायुक्त (रेलवे) हरेंद्र कुमार सिंह ने इस पूरे वाकए को दिल्ली पुलिस के ऑफिशियल टि्वटर हैंडल पर शेयर किया है। जब विजय कुमार रेलवे स्टेशन पर अपने पैसों से भरा हुआ बैग भूल गए तो रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी पर तैनात सिपाही नरेंद्र कुमार की नजर उस लावारिस बैग पर पड़ी तो उन्होंने उसे उठाकर अपने पास रख लिया। सिपाही नरेंद्र कुमार ने वहां पर मौजूद कुछ मुसाफिरों से बैग के बारे में पूछा भी था लेकिन हर संभव कोशिश करने के बावजूद भी बैग के मालिक के बारे में उनको कोई भी जानकारी नहीं मिल पाई।

सिपाही नरेंद्र कुमार मुसाफिरों से पूछताछ करने के बाद उन्होंने बैग की तलाशी की तो उन्होंने देखा कि वह बैग पैसों से भरा हुआ है। उस बैग के अंदर एक लाख रूपए नगद रखे हुए थे। इसके अलावा उस बैंक के अंदर कुछ रोटियां, पानी की बोतल, एक चेक बुक, बैंक की पासबुक, एक आधार कार्ड और राशन कार्ड भी रखा हुआ था, तुरंत ही इस पूरे मामले की जानकारी नरेंद्र कुमार ने अपने आला अफसरों को दे दी।

सिपाही नरेंद्र कुमार ने लावारिस बैग के मालिक को ढूंढने की खूब कोशिश की परंतु उसके बारे में कुछ भी पता नहीं लगा। बाद में सिपाही नरेंद्र कुमार को यह उम्मीद थी कि शायद बैग का मालिक उसकी तलाश करते हुए दोबारा स्टेशन पर आएगा। उसी वजह से सिपाही उम्मीद में वहीं पर बैठा रहा।

जब यह पूरा वाकया हुआ तो उसके कुछ घंटे के बाद में शाम 6:30 बजे विजय कुमार शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर वापस पहुंचे और प्लेटफार्म पर उसने मुसाफिरों से अपने बैग के बारे में पूछताछ की। वहां पर सिपाही नरेंद्र कुमार इंतजार में बैठे हुए थे। जब पुलिस वालों को यह तसल्ली हो गई कि बैग का असली मालिक विजय कुमार ही है तो पुलिस ने कुछ जरूरी कार्यवाही करने के पश्चात बैग को विजय कुमार को वापस कर दिया। इस प्रकार से एक सिपाही की सूझबूझ और इमानदारी से गरीब मजदूर को उसकी मेहनत की कमाई मिल गई।

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