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जिस बाप ने पाई-पाई जोड़कर खड़ा किया मकान, उसी में घुसने नहीं देते बेटे-बहू, बोले- जिंदा जला देंगे

कहते हैं मां बाप के चरणों में स्वर्ग होता है। लेकिन कुछ कलयुगी बच्चे अपने मां बाप की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना देते हैं। अब कानपुर के चकेरी के न्यू आजाद नगर का यह मामला ही ले लीजिए। यहां 90 वर्षीय प्रकाश बाबू गुप्ता नाम के शख्स अपने बेटे और बहू से बड़े दुखी हैं। दोनों उन्हें उनके ही घर में घुसने नहीं देते हैं। बुजुर्ग को कई बार कड़कड़ाती ठंड में पड़ोसियों के घर के बाहर रातें गुजारनी पड़ती है।

बहू-बेटों ने बुजुर्ग को घर से निकाला

प्रकाश बाबू का कहना है कि वह घर के पास ही चाय की एक दुकान लगाता था। यहीं चाय बेच-बेचकर उसने पाई-पाई जोड़ी और अपनी मेहनत के पैसों से मकान खड़ा दिया। अब इसी मकान में उसके बेटे बहू उसे आने नहीं देते हैं। वह जाता है तो बदसलूकी करते हैं। अपशब्द बोलते हैं। मारपीट करते हैं। यहां तक कि जान से मारने की धमकी भी देते हैं। बुजुर्ग से कहते हैं तुझे मिट्टी के तेल से फूंक दूंगा।

बुजुर्ग के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। उसने सभी की शादी कर दी है। सभी बेटों की प्राइवेट जॉब भी है। उनके दो बेटे अमर चंद्र और रामू कानपुर में रहते हैं। जबकि छोटा बेटा दीप कुमार परिवार के साथ दिल्ली में रहता है। मकान के दो हिस्से हैं। एक हिस्से में अमर तो दूसरे में रामू परिवार सहित रहते हैं। वहीं मकान के एक कमरे में छोटे बेटे दीप का सामान भी पड़ा हुआ है। उसने कमरे में ताला लगा रखा है।

पड़ोसियों के घर के बाहर रातें गुजरने को मजबूर है बुजुर्ग

बुजुर्ग का आरोप है कि वह जब भी घर जाने की कोशिश करता है तो बेटा रामू और बहू पूनम उसे भगा देते हैं। वह उसके साथ मारपीट और गाली-गलौज पर उतर आते हैं। यह सिलसिला पिछले आठ महीने से यूं ही चल रहा है। बुजुर्ग रात को पड़ोसियों के घर के बाहर सोता है। उसकी खराब हालत देखकर आसपास के लोगों ने पुलिस में शिकायत भी की थी। पुलिस आई भी, लेकिन आरोपित बेटे बहू पर कोई कार्रवाई करने की बजाय कानूनी मामला है कहकर पल्ला झाड़कर चलती बनी।

बुजुर्ग अब न्याय की तलाश में इधर उधर भटक रहा है। कई बार पुलिस में शिकायत करने के बावजूद उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है। उसका कहना है कि उसने बच्चों को बड़े अच्छे से पाला था। उनकी हर ख्वाहिश पूरी की थी। कम पैसे होने के बावजूद उनकी खुशी का ख्याल रखा था। लेकिन अब यही बच्चे उसके दुख का कारण बन रहे हैं। कोई भी उसे अपने घर में पनाह नहीं दे रहा है।

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