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आखिर क्यों सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ ‘नाथूराम गोडसे जिंदाबाद’? जानें वजह

मैंने गांधी को क्यों मारा , नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान जो लोगों को ज़रूर जानना चाहिए

सोशल मीडिया पर इन दिनों ‘नाथूराम गोडसे जिंदाबाद’ जमकर ट्रेंड कर रहा है। हर तरफ नाथूराम गोडसे जिंदाबाद के नारे की पोस्ट शेयर की जा रही है, साथ ही ट्विटर पर भी कुछ ऐसे पोस्ट वायरल हो रहे हैं जिन पर महात्मा गांधी की तस्वीरें की जगह नाथूराम गोडसे जिंदाबाद की तस्वीरें लगी हुई है। आइए जानते हैं आखिर सोशल मीडिया पर ‘नाथूराम गोडसे जिंदाबाद’ क्यों ट्रेंड कर रहा है?

nathuram godse

दरअसल, ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारत की आजादी के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेता राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को सरेआम गोली मार दी थी, इसके बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। 15 नवंबर 1950 को नाथूराम गोडसे समेत नारायण आप्टे को अंबाला जेल में फंसी के फंदे पर लटका दिया गया था।

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यही वजह है कि, 15 नवंबर से ही सोशल मीडिया पर ‘नाथूराम गोडसे जिंदाबाद’ टॉपिक जमकर ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया पर नाथूराम गोडसे के सपोर्ट में कई तस्वीरें शेयर की जा रही है।

इतना ही नहीं बल्कि 500 के नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर हटाकर नाथूराम गोडसे की तस्वीर लगाकर शेयर की जा रही है। लोगों ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा कि, ‘नाथूराम गोडसे की वजह से देश बच गया।’

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है जब नाथूराम गोडसे जिंदाबाद का टॉपिक ट्रेंड में आया है। इससे पहले 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर भी यह टॉपिक जमकर ट्रेंड हुआ था। इतना ही नहीं बल्कि इससे विवाद तक छिड़ गया था। ऐसा करने वालों के खिलाफ बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने विरोध कर कहा था कि “जो नाथूराम गोडसे जिंदाबाद’ tweet कर रह हैं, वे देश को गैर जिम्मेदार तरीके से शर्मसार कर रहे हैं।

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कौन हैं नाथूराम गोडसे?

बता दें, एक समय पर नाथूराम गोडसे खुद महात्मा गांधी के मुरीद थे और उनके आदर्शों का पालन करते थे। लेकिन फिर ऐसा समय आ गया जब नाथूराम गोडसे उनके सबसे बड़े विरोधी बन बैठे और वह महात्मा गांधी को देश का बंटवारा करने के लिए दोषी मानने लगे। देश को आजादी मिलने के 6 महीने के अंदर ही 30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी।

उन्होंने एक साथ तीन गोली सरेआम गांधीजी के सीने में दागी थी। इस दौरान महात्मा गांधी बिरला भवन के प्रार्थना सभा की ओर जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने उन पर हमला कर दिया।

नाथूराम गोडसे ने क्यों मारा था गाँधी क?

 

नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान , कहा जाता है की इसे सुनकर अदालत में उपस्थित सभी लोगो की आँखे गीली हो गई थी और कई तो रोने लगे थे। एक जज महोदय ने अपनी टिपणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्थित लोगो को जूरी बना जाता और उनसे फेसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते!

इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जज खोसला से नाथूराम ने अपना पक्ष खुद पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी, जिसे जज ने स्वीकार कर लिया था l

आगे देखिये नाथूराम गोड़से के आखिरी वो बयान के कुछ खास अंश :

नाथूराम जी ने अपने बयान में कहा था – ” सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमें अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है . में कभी यह नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का सशस्त्र प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण भी हो सकता है .

प्रतिरोध करने और यदि संभव हो तो ऐसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना को मैं एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य मानता हूँ . मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे, या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक ,मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाये अथवा उनके बिना काम चलाये .वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे।

महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे .गाँधी जी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया। गाँधी जी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे। जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ भरा करती थी . उसी ने गुप्त रूप से बन्दुक की नोक पर पाकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया।

मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण भारत माता के टुकड़े कर दिए गय और 15 अगस्त 1947 के बाद देश का एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई। नेहरु तथा उनकी भीड़ की स्वीकारोक्ति के साथ ही एक धर्म के आधार पर अलग राज्य बना दिया गया .इसी को वे बलिदानों द्वारा जीती गई स्वतंत्रता कहते है। और, किसका बलिदान ?

जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी जी के सहमती से इस देश को काट डाला ,जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है , तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया .मैं साहस पूर्वक कहता हूँ की गाँधी अपने कर्तव्य में असफल हो गए। उन्होंने स्वयं को पाकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया।

मैं कहता हूँ की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी ,जिसकी नीतियों और कार्यो से करोड़ों हिन्दुओं को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला। ऐसी कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस अपराधी को सजा दिलाई जा सके, इसीलिए मैंने इस घातक रास्ते का अनुसरण किया।

मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा ,जो मैंने किया उस पर मुझे गर्व है . मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे। जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीचे से ना बहे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन मत करना।

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