बॉलीवुड

जब 16 साल की थी कंगना तभी पापा ने तोड़ लिया था नाता, यूं बन गईं फिर बाॅलीवुड क्वीन

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत इन दिनों बड़ी सुर्खियां बटोर रही हैं। कंगना की हमेशा से ही आदत रही है कि किसी भी विषय पर वे बेबाक तरीके से अपनी राय रखती हैं। जिस तरीके से कंगना लगातार शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार पर टिप्पणी कर रही हैं और दुनियाभर से टकराने का हौसला दिखा रही हैं, उसे देखते हुए बहुत से लोगों ने इसे राजनीति से भी जोड़ना शुरू कर दिया है।

हालांकि, कंगना रनौत सिर्फ अपनी प्रतिभा के दम पर अब तक तीन राष्ट्रीय पुरस्कार और चार फिल्मफेयर अवार्ड जीत चुकी हैं। कंगना को बॉलीवुड की क्वीन के नाम से जाना जाता है। उन्होंने जब से बॉलीवुड में अपना करियर शुरू किया है, तभी से पंगा लेने के लिए वे जानी जाती रही हैं। बचपन से ही प्रतिकूल परिस्थितियों से पार पाते हुए उन्होंने अपने लिए अपना रास्ता बनाया है।

कंगना का परिवार

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में भांबला नामक एक छोटा सा कस्बा स्थित है, जहां 23 मार्च, 1987 को कंगना रनौत का जन्म हुआ था। एक रूढ़िवादी संयुक्त परिवार से कंगना रनौत नाता रखती हैं। कंगना की माता का नाम आशा रनौत है, जो कि एक स्कूल में शिक्षिका थीं। वहीं उनके पिता का नाम अमरदीप रनौत है, जो कि अपना खुद का व्यवसाय कर रहे थे।

कंगना रनौत की एक बड़ी बहन भी हैं, जिनका नाम रंगोली है, जबकि उनके छोटे भाई का नाम अक्षत है। बीते कई वर्षों से बाॅलीवुड में रंगोली को कंगना का साथ देते हुए देखा जा रहा है। कंगना की तरफ से की जाने वालीं टिप्पणियों पर जब भी कोई तल्ख प्रतिक्रिया सामने आती है, तो रंगोली को बढ़-चढ़कर इसका जवाब देते हुए देखा जाता है।

कंगना रनौत सिर्फ आज ही नहीं, बल्कि बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की रही हैं। उन्हें बंधन में बंधकर रहना कभी पसंद ही नहीं था। बचपन में जब खेलने के लिए उन्हें गुड़िया और उनके छोटे भाई को खिलौने वाली बंदूक मिलती थी, वे इसे भेदभाव बताकर विरोध करना शुरू कर देती थीं। चाहे कपड़ों की बात हो या फिर जिंदगी जीने की, वे अपने हिसाब से ही हर चीज हमेशा करना चाहती थीं।

बचपन से ही विद्रोही

कंगना का यह विरोध वाला स्वभाव आज भी बरकरार है, जब वे फिल्मी दुनिया में अपनी एक विशेष पहचान बना चुकी हैं। भेदभाव का विरोध तो उन्होंने हमेशा ही किया है। मीटू विवाद में भी उनकी आवाज बुलंद रही थी। पुरुष कलाकारों को अधिक मेहनताने का भी उन्होंने विरोध किया था। बाॅलीवुड में भाई-भतीजावाद के खिलाफ भी उन्होंने पुरजोर तरीके से आवाज उठाई।

परिवार चाहता था कि उनकी बेटी कंगना डाॅक्टर बने। इसलिए उन्हें चंडीगढ़ के स्कूल में विज्ञान पढ़ने के लिए भेज दिया। वहीं, कंगना को तो कुछ और ही बनना था। इसलिए 16 साल की उम्र में दिल्ली चली आईं। उनके पिता को कंगना का यह कदम नहीं भाया, तो उन्होंने उनसे रिश्ता ही तोड़ लिया।

पहले तो दिल्ली में कंगना ने कुछ समय तक माॅडलिंग की और फिर अस्मिता थिएटर ग्रुप से जुड़कर कुछ नाटकों में बेहतरीन अदाकारी दिखाकर नाम कमाने के बाद मायानगरी मुंबई पहुंच गईं। आशा चंद्रा के ड्रामा स्कूल से चार माह का कोर्स भी उन्होंने किया और फिर फिल्मी दुनिया में अपने लिए रास्ता तलाशना शुरू कर दिया।

चढ़ती गईं कामयाबी की सीढ़ियां

वर्ष 2004 में अनुराग बासु की फिल्म गैंगस्टर से अपना करियर शुरू करने वालीं 17 साल की कंगना को वर्ष 2008 में फिल्म फैशन से जबर्दस्त पहचान मिली और इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार तक मिल गया। कामयाबी तो कंगना को मिली, मगर एक ही तरह की भूमिकाओं से उन्होंने खुद को वर्ष 2011 में आई फिल्म तनु वेड्स मनु से बाहर निकाल लिया और यह साबित कर दिया कि वे हर तरह के किरदार निभाने में पारंगत हैं।

वर्ष 2014 में आई फिल्म क्वीन में कंगना रनौत ने इतना बेजोड़ अभिनय किया कि न केवल वे राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी गईं, बल्कि वास्तव में वे बाॅलीवुड की क्वीन के नाम से जानी जाने लगीं। कंगना का नाता परदे पर भी और परदे से बाहर भी विवादों से रहा है, मगर उन्होंने खुद इस बात को स्वीकारा है कि अपने स्तर से वे हमेशा चीजों को संभालने की कोशिश जरूर करती हैं। जब उनकी कोशिशों को नाकाफी बता दिया जाता है तो वे फिर प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं, जो कई लोगों को अच्छी नहीं लगती।

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