स्वास्थ्य

प्री-मैच्योर बेबी का इस तरह से रखना चाहिए ध्यान, वरना हो सकती है परेशानी

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए, ताकि बच्चे का सही तरीके से विकास हो सके और डिलवरी के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न हो। बता दें कि गर्भावस्था 36 से 37 हफ्तों की पूरी प्रक्रिया होती है, यानी कुल 9 महीने।

9 महीने में अगर बच्चे की डिलवरी होती है, तो बच्चा एकदम तंदरूस्त पैदा होता है। वहीं अगर इस अवधि से कुछ समय पहले बच्चा पैदा हो जाता है तो उसे प्री-मैच्योर बेबी कहते हैं। प्री-मैच्योर बेबी को सेहत से जुड़ी कुछ परेशानियां हो सकती हैं, तो चलिए जानते हैं ऐसे शिशु की देखभाल के लिए किन किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए। इससे पहले प्री-मैच्योर बर्थ के कारणों के बारे में जान लेते हैं…

वैसे तो प्री-मैच्योर बर्थ का कोई खास कारण नहीं बताया गया है, मगर मां की सेहत का शिशु पर गहरा असर जरूर पड़ता है। लिहाजा अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां अपने सेहत का ख्याल नहीं रखती हैं, तो शिशु को सेहत से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

माना जाता है कि जब मां कमजोर होती है, तो प्री-मैच्योर बर्थ की अधिक संभावना रहती है और शिशु का विकास हुए बिना ही उसका जन्म हो जाता है। ऐसे बच्चों का खास ख्याल रखना पड़ता है, नहीं तो बच्चे की जान भी जा सकती है।

संक्रमण से बचाएं

जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता है, उनका इम्यून सिस्टम कमजोर रहता है। प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने के कारण ये बच्चे बहुत जल्द बीमारी के चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में इन बच्चों को संक्रामक रोगों और बीमारियों से बचाने के लिए इनके आस पास हमेशा स्वच्छता बरतनी चाहिए।

इन बच्चों को बार बार छूने से बचना चाहिए। इसके अलावा बाहर से आए किसी भी व्यक्ति को बच्चे के कमरे में आने ना दें और ना ही छूने दें। इसके अलावा किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में बच्चे को न लाएं वरना ये संक्रमित हो सकते हैं।

मां का दूध सही

वैसे तो हर नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार होता है, मगर प्री-मैच्योर बर्थ के लिए मां के दूध का महत्व दोगुना हो जाता है क्योंकि मां के दूध से बच्चे को सभी जरूरी तत्व बहुत आसानी से मिल जाते हैं।

धूम्रपान वाली जगह पर शिशु को ना ले जाएं

प्री-मैच्योर बेबी के सेहत का काफी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में उन्हें घर से बाहर तभी ले जाएं, जब बहुत जरूरी हो। साथ ही इन बच्चों को किसी ऐसे शख्स के संपर्क में ना आने दें, जो धूम्रपान करते हों। इससे नवजात शिशुओं को सांस से जुड़ी समस्या हो सकती है।

बच्चे का रखें खास ख्याल

शिशु मृत्यु सिंड्रोम एक बेहद खतरनाक स्थिति है, जिससे बच्चे की जान भी जा सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं मसलन, शिशु को अधिक गर्मी लगना या अधिक ठंड लगना। इसके अलावा चादर या तकिए से शिशु का मुंह और नाक कवर हो जाने के कारण भी बच्चे की सांस व दिल की धड़कन रूक सकती है। ऐसे में प्री-मैच्योर बर्थ की देखभाल बेहद संभलकर करें।

तेल मसाज करें 

समय से पहले जन्म हो जाने के कारण हड्डी और मांसपेशियां सही तरीके से विकसित नहीं हो पाती हैं, ऐसे में हर रोज नवजात की तेल से मसाज जरूर करें। इससे स्किन को नमी भी मिलती है।

डायपर की जगह नैपी का करें इस्तेमाल

दरअसल प्री-मैच्योर बेबी की स्किन बेहद सॉफ्ट होती है, ऐसे में डायपर की जगह नैपी का इस्तेमाल  करना चाहिए।क्योंकि घंटों तक अगर डायपर पहनाकर रखेंगे तो शिशु को रैशेज, लाल व सफेद दाने हो सकते हैं।

ऐसे में नवजात के लिए कॉटन की नैपी का ही इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही नैपी को चेक करते रहें, अगर गीला हो जाए तो उसे तुरंत बदल दें।

अच्छी नींद दिलाएं

बच्चों के लिए 24 में से 15 घंटों की नींद बेहद जरूरी होती है। इससे बच्चे का बेहतर विकास होने के साथ साथ बीमारियों से भी बचाव होता है। लिहाजा बच्चों की नींद का खास ख्याल रखें और उनके कमरे में ज्यादा शोरगुल न मचाएं।

बच्चे को अधिक समय गोद में रखें

प्री-मैच्योर बेबी का खास ख्याल रखना चाहिए, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा समय बच्चे को गोद में ही रखें। इससे उसका ठंड से बचाव होगा और मां के प्यार दुलार का एहसास भी होगा।

Related Articles

Back to top button